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FATWA: भारत माता की जय के खिलाफ दारुल उलूम का फतवा

सहारनपुर के दारुल उलूम ने भारत माता की जय बोलने के मसले पर फतवा जारी किया। दारुल उलूम के मुफ्ती-ए-कराम की खंडपीठ ने कहा कि तर्कों के आधार पर इंसान ही इंसान को जन्म दे सकता है और भारत की जमीन को माता बताना तर्कों से उलट है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 31 Mar 2016 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 01 Apr 2016 04:01 PM (IST)
FATWA: भारत माता की जय के खिलाफ दारुल उलूम का फतवा

लखनऊ। इस्लामिक तालीम के प्रमुख केंद्र सहारनपुर के दारुल उलूम ने भारत माता की जय बोलने के मसले पर फतवा जारी किया। दारुल उलूम के मुफ्ती-ए-कराम की खंडपीठ ने कहा कि तर्कों के आधार पर एक इंसान ही दूसरे इंसान को जन्म दे सकता है और भारत की जमीन को माता बताना तर्कों से उलट है। मुसलमानों को इस नारे से खुद को अलग कर लेना चाहिए।एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी द्वारा भारत माता की जय न बोलने संबंधी बयान दिए जाने के बाद से देशभर में छिड़ी बहस पर दारुल उलूम का रुख जानने को हजारों खत आए। लोगों ने पूछा कि क्या मुसलमान भारत माता की जय के नारे लगा सकता है? इन खतों का जवाब देने के लिए दारुल उलूम के मुफ्ती-ए-कराम की खंडपीठ गठित गई, जिसमें मुफ्ती हबीबुर्रहमान और मुफ्ती महमूद हसन बुलंदशहरी आदि को शामिल किया गया। खंडपीठ ने कहा कि इससे पूर्व भी वंदेमातरम् को लेकर विवाद खड़ा किया गया था। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को भारत माता की जय बोलने के नारे से खुद को अलग कर लेना चाहिए। मुफ्ती-ए-कराम ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि भारत हमारा वतन है। सबकी तरह हर मुसलमान मुल्क से मोहब्बत करता है, मगर मुल्क की पूजा नहीं कर सकते। उन्होंने फतवे में साफ कहा कि मुसलमान खुदा के सिवा किसी दूसरे की पूजा नहीं कर सकता, जबकि इस नारे में भारत को देवी के अकीदा समझा गया है जो कि इस्लाम मजहब के मानने वालों के लिए शिर्क है। मुफ्ती-ए-कराम ने फतवे में दो टूक कहा कि हिंदुस्तान के संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपने मजहब और उसके अकीदे के हिसाब से जीवन जीने का हक है।

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मादरे वतन इबादत की चीज नहीं : मदनी

जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने आज रात वाराणसी में इस्लाहे मुआशरा कांफ्रेंस में कहा कि 'भारत माता की जय' बोले जाने के सवाल पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय मदनी ने कहा कि 'मादरे वतन' को अगर कोई इबादत के काबिल मान रहा है तो माने, यह उसकी आस्था है, कोई मसला नहीं। लेकिन, मुसलमान सिर्फ अल्लाह यानी एक ईश्वर की इबादत करता है। इस्लाम सूरज, चांद तारे, जमीन, आसमान अथवा किसी दुनियावी वस्तु या मखलूक की इबादत करने की इजाजत नहीं देता। कहा कि विद्यार्थी खुले मिजाज के होते हैं, आगे चलकर देश की जिम्मेदारी इन्हें ही उठानी होती है। ऐसे में किसी खास विचार धारा को विश्वविद्यालयों या छात्रों पर थोपना बेहद शर्मनाक है। आज आग उगल रही फिरकापरस्त ताकतों पर लगाम लगाने की जरूरत। सुप्रीम कोर्ट में लंबित तलाक के मामले में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इस्लाम का अपना एक नजरिया है, जिस पर किसी भी मुसलमान को सवाल उठाने की इजाजत नहीं है। रही बात न्यायालय के नजरिए की तो हम भी इस देश के नागरिक हैं और ऐसे मामलों में अपनी बात रखने का रास्ता हमेशा खुला रखते हैं।

भारत माता की जय न बोलें, ऐसा कहीं नहीं लिखाः कादरी

हैदराबाद के रहने वाले आल इंडिया उलेमा व मशायख बोर्ड की आंध्र प्रदेश शाखा के अध्यक्ष सैयद आले मुस्तफा कादरी ने आज गोरखपुर में कहा कि इस्लाम में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि- भारत माता की जय नहीं बोलना चाहिए। हम जहां रहते हैं वही हमारी मातृभूमि है। बता दें कि गत दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में इसी संगठन द्वारा आयोजित विश्व सूफी सम्मेलन में जमकर भारत माता की जय के नारे लगे थे। कादरी ने कहा कि इस्लाम से आइएस का कोई ताल्लुक नहीं है। कुरआन में बेगुनाहों के कत्ल को सारी इंसानियत का कत्ल बताया गया है। इस्लामी नाम अपने आगे जोड़ लेने से कोई संगठन इस्लामी नहीं हो जाता। इस्लाम तो मोहब्बत का पैगाम देता है। इस्लाम ने हमें सबसे पहले वतन की मोहब्बत सिखाई है। हमारे पैगंबर को इस मुल्क से मोहब्बत की खुशबू आती थी। हमारा पैगाम मोहब्बत है इसी पर फोकस होना चाहिए। सूफियों का सियासत से कोई लेना देना नहीं है। विश्व सूफी सम्मेलन के हवाले से कहा कि हमने 25 बिंदुओं पर तैयार एजेंडा सरकार को सौंपा है। जिसमें अजमेर शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग है। इसके अलावा हर रियासत में सूफी सेंटर कायम किया जाए। मुसलमानों के लिए रोजगार और शिक्षा के अलावा उनमें असुरक्षा की भावना को दूर किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि इन बिंदुओं पर जल्द ही अमल किया जायेगा।


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