सोनिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के रायबरेली सीट से लोकसभा सदस्य के तौर पर निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दी है।

लखनऊ (जेएनएन)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के रायबरेली सीट से लोक सभा सदस्य के तौर पर निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दी है। याचिका में सोनिया गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए, उनका निर्वाचन रद किए जाने की मांग की गई थी।
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रायबरेली निवासी रमेश सिंह की याचिका में कहा गया था कि सोनिया गांधी का जन्म इटली के लुसियाना में 9 दिसंबर 1946 को हुआ। उनका वास्तविक नाम एनोटोनिआ मानिओ है। 25 फरवरी 1968 को राजीव गांधी से विवाह के पश्चात उन्होंने अपना नाम परिवर्तित किया। याची की ओर से दलील दी गई कि भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 5(1)(सी) के तहत उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को नागरिकता हासिल की। भारत में दो प्रकार की नागरिकता का प्रावधान है। जन्म के आधार पर अधिकार स्वरूप नागरिकता व प्रदत्त नागरिकता, जिसके तहत किसी व्यक्ति के अनुरोध पर केंद्र सरकार विचारोपरांत नागरिकता प्रदान करती है। याचिका में कहा गया कि जन्म के आधार पर नागरिक व्यक्ति ही लोकसभा चुनाव लड़ सकता है। याची ने यह भी मांग की कि धारा 5(1)(सी) असंवैधानिक है लिहाजा इसे अधिकारातीत (अल्ट्रावाइरेस) घोषित किया जाए। याचिका में कहा गया कि सोनिया गांधी अब भी इटली की नागरिक हैं। इटली के कानून के मुताबिक वहां का नागरिक दोहरी नागरिकता नहीं ग्रहण कर सकता। याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर आरोप लगाया गया कि अप्रैल 2014 में सोनिया गांधी ने अपने पार्टी के पक्ष में मुसलमानों को वोट करने के लिए जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी से मजहबी आधार पर अपील कराई थी। इसलिए उनका चुनाव शून्य घोषित किया जाना चाहिए। याचिका पर लिखित जवाब देते हुए सोनिया गांधी की ओर से याचिका को झूठ, ओछा और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए, इसे खारिज किए जाने की मांग की गई। सोनिया गांधी की ओर से कहा गया कि उन्होंने यथोचित तरीके से नागरिकता प्राप्त की है। वह इटली की नागरिकता भी त्याग चुकी हैं। उन्होंने जवाब में कहा कि सैयद अहमद बुखारी को मजहबी आधार पर अपने पक्ष में अपील करने की उन्होंने कभी सहमति नहीं दी। सोनिया गांधी के अधिवक्ताओं ने न्यायालय को बताया कि इसके पूर्व इसी विषय पर दाखिल दो अन्य याचिकाएं खारिज की जा चुकी हैं। न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि याचिका में 30 अप्रैल 1983 के नागरिकता दिए जाने संबंधी आदेश को चुनौती नहीं दी गई है लिहाजा वाद कारण उत्पन्न नहीं होता। न्यायालय ने अन्य आरोपों का भी पर्याप्त आधार न पाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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