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    संकल्प-नंदिनी सुसाइड मामले में 38 के खिलाफ रिपोर्ट

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    Updated: Sat, 18 Oct 2014 02:07 PM (IST)

    लखनऊ। मशहूर गीतकार संतोष आनंद के बेटे संकल्प आनंद व पुत्र वधु नरेश नंदिनी के मथुरा में आ ...और पढ़ें

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    लखनऊ। मशहूर गीतकार संतोष आनंद के बेटे संकल्प आनंद व पुत्र वधु नरेश नंदिनी के मथुरा में आत्महत्या मामले में 38 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उसनमें लोक नायक जयप्रकाश नारायण इंस्टीटयूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली के पूर्व निदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस आवास निगम के डीजी कमलेंद्र प्रसाद, डीआईजी संदीप मित्तल भी हैं। इन सभी के खिलाफ मथुरा के थाना कोसी में संकल्प व नंदिनी को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है।

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    लोक नायक जयप्रकाश नारायण इंस्टीटयूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली के प्रोफेसर संकल्प आनंद ने 15 अक्टूबर को सुबह मथुरा के थाना कोसी क्षेत्र में ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी। दंपती की पाच वर्षीय बेटी रिदिमा बच गई थी। घटनास्थल पर खडी संकल्प की कार से 10 पेज का एक सुसाइड नोट भी मिला था। इसमें संकल्प ने अपने संस्थान के अधिकारियों सहित तमाम लोगों पर वित्तीय हेराफेरी का आरोप लगाते हुए खुद के उत्पीड़न का जिक्र किया था। कल मथुरा पुलिस की टीम ने दिल्ली में गीतकार संतोषानंद से जानकारी ली और उनकी तहरीर पर देर रात रिपोर्ट दर्ज कर ली। एसएसपी मंजिल सैनी के मुताबिक, संतोषानंद ने संकल्प के लिखे सुसाइड नोट को ही तहरीर बता कर कार्रवाई का अनुरोध किया है। इसी आधार पर थाना कोसी में उप्र पुलिस आवास निगम के डीजी कमलेंद्र प्रसाद, आईजी संदीप मित्तल सहित 38 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।

    संतोषानंद ने पुलिस को तीन मोबाइल फोन भी दिए हैं। इनमे से दो मोबाइल फोन संकल्प के और एक उनकी पत्नी नंदिनी का है। पुलिस की टीम लोक नायक जयप्रकाश नारायण इंस्टीटयूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फॉरेंसिक साइंस से संकल्प की हैंड राइटिंग का नमूना भी लेकर आई है, जिसे सुसाइड नोट से मिलाया जाएगा।

    मथुरा पुलिस ने दिल्ली में संकल्प आनंद के आवास को सील कर दिया है मथुरा एसएसपी मंजिल सैनी ने पूरे घटनाक्रम से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित सभी आला अधिकारियों को अवगत कराने के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की। प्रदेश सरकार अब मामले की सीबीआई जाच की सिफारिश करने का भी मन बना रही है।

    ये हैं आरोपी

    यूपी पुलिस आवास निगम लिमिटेड के डीजीपी कमलेंद्र प्रसाद, संदीप मित्तल, डा. बी एन चटटोराज, एम के डागा, सिमी शखधर, अमित शखधर, शाही गागुली, गौरी शकर, एल बी सिंह, सुधीर, अजय ठाकुर, फारुख, हाफिज सिद्दकी, प्रदीप शर्मा, मिस्टर श्रीकान्तेव, शरद ओझा, देव कौशिक, सिद्धार्थ अग्रवाल, कामदार मुवई, डा. बत्रा, सपना गोयल, सुखविंदर, अरुण जैन, मिथलेश चौबे, जेपी यादव, पुष्पा यादव, बीएस चौहान, जौली, एके गर्ग, आलोक, सारंग, दीपा पाडेय, इस्माइल खान, रविंद्र, इकराम, त्यागी, कैप्टन चौधरी और सचान के खिलाफ थाना कोसीकला में नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है। जाच कोटवन पुलिस चौकी इंचार्ज प्रेमचंद यादव को सौंपी गई है।

    ये है तहरीर

    तहरीर में संतोष आनंद ने लिखा है कि 15 अक्टूबर 14 को कोसीकला में मेरे पुत्र संकल्प आनंद व पुत्रवधू नरेश नंदिनी ने रेलवे लाइन पर आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट भी छोड़ा है। मेरे पुत्र व पुत्रवधु ने सुसाइड नोट में अंकित लोगों के कारण की आत्महत्या की है। सुसाइड नोट में अंकित तथ्यों के आधार पर मेरी रिपोर्ट लिखकर कार्रवाई करते हुए मुझे न्याय दिलाया जाए। तहरीर पर संतोष आनंद ने अंगूठा निशानी और अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए हैं।

    ये था सुसाइड नोट

    देश के प्रख्यात लोकनायक जयप्रकाश नारायण नेशनल इंस्टीट्यूट आफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट के सोशियोलाजी प्रोफेसर संकल्प आनंद ने सुसाइड नोट में इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक कमलेंद्र प्रसाद और संदीप मित्तल डीआईजी का बार-बार जिक्र किया है। आने वाली करोड़ों की रकम इन्हीं के इशारे पर इधर-उधर हो रही थी। इंस्टीट्यूट के वेबसाइट के अनुसार संदीप मित्तल आईपीएस और डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल आफ पुलिस हैं, जबकि कमलेंद्र प्रसाद 11 जून 2009 से 17 जून 2014 तक इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर रहे हैं। गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों वाले संस्थान में सुसाइड नोट के अनुसार संदीप मित्तल मुख्य सरगना प्रतीत हो रहे हैं। नोट में एक जगह सीवीसी प्रदीप शर्मा के नाम पर धमकाने और वसूली करने का भी जिक्र है।

    मामला दिसंबर 2012 में इम्प्लायमेंट न्यूज में निकाले गए भर्ती विज्ञापन से जुड़ा है, जिसमें देश भर से दलालों ने करोड़ों रुपए इकट्ठे किए थे। इंस्टीट्यूट की ओर से हाल ही में 13 सितंबर को भी डेप्यूटेशन पोस्ट की 11 भर्तिया भी निकाली गयी हैं। सुसाइड नोट में प्रोफेसर ने साफ लिखा था कि यह सब फेक था और उनसे पैसा इधर-उधर कराया जा रहा था। बाद में लोगों ने उनसे पैसे मागने शुरू किए और न देने पर जान से मारने की धमकिया दी जाने लगीं। पत्र के अनुसार दिसंबर 2012 से पहले उसकी जिंदगी खुशहाल थी, लेकिन बाद में नरक बनती चली गयी। तत्कालीन निदेशक कमलेंद्र प्रसाद और डीआइजी संदीप मित्तल समेत बीएन चट्टोराज ने उसे बुलाया। बताया कि 250 करोड़ की स्कीम कंस्ट्रक्शन की है। प्रोफेसर संकल्प को डीडीओ बना दिया गया। रकम अलाट कर दी गयी है। गुड़गाव की कंपनी इंटरजेन एनर्जी ने एक प्रतिशत एडवास मागा है। 4 जून 13 को एक प्रतिशत एडवास के तौर पर 15 लाख मिले। ये पैसा कमलेंद्र और संदीप को दे दिया। 19 जून 13 को कथित एग्रीमेंट तैयार कराया और 75 लाख रुपए रिसीव किये। इसमें से 20 लाख रुपए एमके डागा ने ले लिए। बाकी रकम संदीप मित्तल को दे दी गयी, जिसमें से पांच लाख रुपए प्रोफेसर को दे दिये गये। इस समय तक प्रो. को पता नहीं था कि फेक कार्य हो रहा है और फर्जी नौकरी का रैकेट भी चला रखा है। रोजगार समाचार के अक्टूबर 12 में विज्ञापन भी निकलवाया है। किसी फारच्यून कंपनी में काम करने वाली प्रोफेसर संकल्प की दोस्त सिमी शखधर और उसके पति अमित शखधर ने आवेदन करने वालों से एक करोड़ रुपए कलेक्ट किए। उसने इंदिरापुरम में एक अपार्टमेंट भी खरीदा। फरवरी 13 में कुछ पैसा डीआईजी व डायरेक्टर को भी मिला, लेकिन कितना यह संकल्प को नहीं पता चला। इस बीच आवेदन करने वालों ने पैसा मागना शुरू कर दिया। इंटरजेन कंपनी और दूसरों ने प्रोफेसर को धमकाना शुरू कर दिया।

    प्रो. किसी रूही गागुली से मिला, जिसने उसे गौरी शकंर से मिलवाया। लेकिन आफिस में सबको पैसा चाहिए था। वह परेशान हो गया। सिम्मी और अमित ने उसे देव कौशिक से मिलवाया। देव कौशिक ने प्रो. के महाराष्ट्र बैंक के खाता संख्या 68006129842 में एक करोड़ दस लाख रुपए आरटीजीएस कराए और तीस लाख रुपए अपने खाते में ट्रंासफर करा लिए। उसने 50 लाख रुपए देहरादून के सिद्धार्थ अ‌र्ग्रवाल से लिए और 20 लाख रुपए प्रो. के खाते में आरटीजीएस कराए। 35 लाख का आरटीजीएस मुंबई के किसी कामदार से कराए गए। पत्र में आगे कहा गया है कि देव कौशिक ने उसके खाते में 1.1 करोड़ लिए और 30 लाख रुपए अपने खाते में ट्रासफर करा लिए। इसके अलावा कुछ पैसा डा. बत्रा से लिया गया, जो देव ने अपने खाते में ट्रासफर करा लिए। पत्र में साफ लिखा है कि सपना गोयल व डीआईजी संदीप मित्तल उसको मारना चाहते हैं, क्योंकि वह उनका फर्जीवाड़ा जान गया हूं और कच्चा चिट्ठा खोल सकता हूं। सपना उससे 50 लाख रुपए ले चुकी है और एनएफएल पुलिस स्टेशन का सब इंस्पेक्टर सुखविंदर मामले का जाच अधिकारी बनकर उसको धमका रहा है।

    पत्र में किसी शरद ओझा का जिक्र है। ओझा ने जयपुर के अरुण जैन से एक करोड़ रुपए प्रो. के खाते में ट्रंासफर कराए। मिथलेश चौबे ने 50 लाख रुपए प्रो. के खाते से आरटीजीएस कराए और अब वे पैसा वापस करने से मना कर रहे हैं। प्रो. ने 50 लाख रुपए अरुण जैन को दे दिए, उनको सचाई मालूम है, पर वे रोजाना उसकी शिकायत कर रहे हैं।

    गौरी शकर ने ब्लैकमेलिंग करके 70 लाख रुपए होंडा सिटी कार प्रो. से ली है। अब वह 2.5 करोड़ और माग रहा है। वह भी मेरी मौत का जिम्मेदार होगा। किसी जेपी यादव का जिक्र है, जिसने तीन कंपनियों एचपी, एचएमबी और अर्चना से तीन करोड़ लिए और 1.5 करोड़ रुपए प्रो. को दे दिए। ये रकम प्रो. ने डीआईजी और डायरेक्टर को दे दी। उसे तीन करोड़ रुपए जेपी की पत्‍‌नी पुष्पा यादव को कैश देनी पड़ी। सात करोड़ रुपए उसने मुंबई की कंपनियों से लिए। जेपी ने उसकी जिंदगी नरक कर दी है। पत्र में एक वीएस चौहान का जिक्र है, जिसने जौली से मिलवाया। चौहान ने 75 लाख रुपए जौली से लिए। इसमें से चौहान ने 40 लाख ले लिए। लेकिन उसे पूरा 75 लाख रुपया प्रो. को वापस करना पड़ा। बाद में उसने किसी एकेजी कंपनी के एके गर्ग से मिलाया। जिसने 1.96 करोड़ चौहान को एमएचए कंस्ट्रक्शन के लिए दिए। लेकिन प्रो. को केवल 80 लाख मिले। वे पैसे भी प्रो. ने मार्च 14 में डीआईजी संदीप मित्तल और डायरेक्टर कमलेंद्र को दे दिए।

    पत्र में लिखा है संदीप व कमलेंद्र ने उसके नाम पर करोड़ों बनाए, लेकिन उसकी नौकरी कंफर्म नहीं की। अब उसे धमका रहे हैं। सिम्मी और अमित पैसा वापस नहीं कर रहे। देव कौशिक जिम्मेदारी से भाग रहा है। अजय ठाकुर और उसका भतीजा आलोक ने उसके नाम से फर्जी एक करोड़ का डीडी बनाया और 50 लाख रुपए उससे ले लिए। ठाकुर के साथ अजय चौहान ने एक करोड़ कमाए और उसे बरबाद कर दिया है। संदीप मित्तल और दीपा पाडेय धमका रहे हैं। मुंबई का इम्ति्याज खान रोजाना गालिया दे रहा है। मुंबई के एलबी सिंह ने 40 लाख रुपए प्रो. को दिए, जिसमें 10 लाख रुपए उसने रूही, गौरीशकर और सुधीर को और 30 लाख रुपए कंपनी इंटरजेन को दे दिए। इससे संदीप और कमलेंद्र खुश हुए, क्योंकि कुछ नए क्लाइंट उसने दिए थे। इसी दौरान सिम्मी और अजय ठाकुर ने उसे मुंबई के फारुख, सारग और हाफिज सिद्दीकी से मिलवाया। उन्होंने एक करोड़ रुपए दिए, जिसमें से प्रो. ने 70 लाख इंटरजेन को और 30 लाख रुपए संदीप और कमलेंद्र को दे दिए। दोनों इस पर प्रोफेसर की कंपनी कंफर्म करने को कह दिया। लेकिन स्थितिया खराब होती चली गयीं। गौरी शकर सीवीसी प्रदीप शर्मा के नाम से धमका रहा है और पैसा ऐंठ रहा है। प्रोफेसर ने जिनके भी नाम पत्र में लिखे हैं, उनके मोबाइल नंबर भी दिए हैं और सभी को अपने व अपने परिवार की मौत का जिम्मेदार ठहराया है।