उत्तर प्रदेश में बंद होगी समाजवादी आवास योजना, बिल्डरों को नोटिस
समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस योजना के तहत दो वर्ष में तीन लाख भवन बनाने का दावा किया गया था लेकिन तय अवधि में दस फीसद पर भी काम नहीं शुरू हो सका।
लखनऊ (अजय जायसवाल)। उत्तर प्रदेश में निम्न तथा औसत आय वर्ग को आवास मुहैया कराने की अखिलेश सरकार की समाजवादी आवास योजना को योगी सरकार बंद करेगी। प्रदेश में यह योजना बड़े ताम-झाम के साथ शुरू की गई थी।
इस योजना में भवन न बनाने वाले बिल्डरों को नोटिस जारी कर उनके लाइसेंस निरस्त करने की तैयारी है। समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस योजना के तहत दो वर्ष में तीन लाख भवन बनाने का दावा किया गया था लेकिन तय अवधि में दस फीसद पर भी काम नहीं शुरू हो सका।
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निम्न-मध्यम एवं मध्यम आय वर्ग के परिवारों को शहर में किफायती आवास मुहैया कराने के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के तहत दिसंबर 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने समाजवादी आवास योजना की घोषणा की थी। दो मई 2015 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक पांच सितारा होटल में आयोजित भव्य समारोह में योजना का शुभारंभ किया था।
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योजना से शहर में रहने वाले का 'अपना घर का सपना' पूरा होने का दावा करते हुए कहा गया था कि दो वर्ष में तीन लाख आवास विभिन्न शहरों में बनाए जाएंगे। गौर करने की बात यह है कि दो वर्ष गुजरने को हैं लेकिन अब तक दावे का दस फीसद यानी 30 हजार भवन बनाने का भी काम नहीं शुरू हुआ।
अपर मुख्य सचिव आवास एवं शहरी नियोजन सदाकांत ने बताया योजना के तहत 132 निजी विकासकर्ताओं (बिल्डर) ने आवेदन किया था जिसमें से 106 को पंजीकृत कर लाइसेंस दिए गए हैं। इनमें से 79 की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में से 41 को मंजूरी दी गई लेकिन विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद को छोड़कर ज्यादातर निजी बिल्डरों द्वारा भवन नहीं बनाए जा रहे हैं।
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सदाकांत ने बताया कि सभी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है। योजना का लाभ उठाने के बावजूद भवन न बनाने वालों के लाइसेंस निरस्त कर अन्य कार्रवाई की जाएगी। अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट तौर पर बताया कि समाजवादी आवास योजना अब आगे नहीं चलेगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निम्न-मध्यम आय वर्ग के परिवारों को शहरों में आशियाना मुहैया कराया जाएगा।
योजना में 30 लाख तक था 75 वर्गमीटर का आवास
समाजवादी आवास योजना के तहत 75 वर्गमीटर तक के कारपेट एरिया में बनने वाले आवास की कीमत 15 से 30 लाख रुपये रखी गई थी। विभिन्न नगरों के आकार, लोकेशन और भवन निर्माण की लागत में अंतर होने से अलग-अलग सीलिंग कास्ट तय की गई थी। हालांकि, भवन की कीमत न बढऩे पाए इसके लिए विकासकर्ताओं को सपा सरकार ने तमाम सहूलियतें दी थी। निजी विकासकर्ता मनमाने दाम पर आवास न बेच सके इसके लिए उसे फैसिलीटेटर व रेग्यूलेटर की भूमिका निभाने वाले आवास विकास परिषद या संबंधित विकास प्राधिकरण को शपथ पत्र देने की व्यवस्था रखी गई थी कि वह भवनों को सीलिंग कास्ट से अधिक लागत पर और किसी व्यक्ति को एक से अधिक नहीं बेचेगा।
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