सपा में फायर ब्रांड नेता की छवि वाले आजम खां के बोल उगल रहे आग
अखिलेश यादव सरकार में काफी रसूखदार मंत्री आजम खां के बोल दिन पर दिन कड़वे ही होते जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी में फायर ब्रांड नेता की छवि वाले आजम खां के बोल इतनी आग उगल रहे हैं कि अब फायर ब्रिगेड से भी इनको रोकना मुश्किल है।
लखनऊ। अखिलेश यादव सरकार में काफी रसूखदार मंत्री आजम खां के बोल दिन पर दिन कड़वे ही होते जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी में फायर ब्रांड नेता की छवि वाले आजम खां के बोल इतनी आग उगल रहे हैं कि अब फायर ब्रिगेड से भी इनको रोकना मुश्किल है। इसके बाद भी सपा सुप्रीमो इनपर लगाम नहीं लगा रहे है।
हाल के दो बयान
हम भगवा भारत के पीडि़त हैं, -16 अक्टूबर, लखनऊ में
मोदी सियासत छोड़ दें और मंदिर में जाकर घंटा बजाएं। 14 अक्टूबर, कानपुर में।
दोनों बयान सपा सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले मंत्री आजम खां के हैं। वह ऐसा ही तीखा बोलते हैं, फिर चाहे उससे विवाद हो, उनकी पार्टी के लिए असहज स्थिति हो या उनके बोलने के बाद चारों तरफ से शुरू होने वाला बयान युद्ध हो।
आजम खां उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री हैं। यह ऐसा विभाग है जिसका काम और विफलता सबसे पहले दिखती है, लेकिन तीन वर्ष में यह विभाग काम की बदौलत कम, अपने मंत्री के कारण अधिक जाना गया। यही आजम खां हैं जिन्होंने बीते लोकसभा चुनाव के दौरान गाजियाबाद में कहा था कि, 1999 के कारगिल युद्ध में मुस्लिम सैनिकों ने भारत को फतह दिलाई। आजम खां के मुताबिक जब कारगिल मोर्चा जीता गया तो वहां कोई हिंदू सैनिक नहीं था। दो दिन पहले यह कहकर उन्होंने मुसलमानों को भी नाराज कर दिया कि, निर्यात किया जा रहा गोश्त हलाल का नहीं झटके का है। हज, उमरा पर जाने वाले वहां गोश्त न खाएं।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक आजम खां की पहचान सोशलिस्ट नेता की रही। वर्ष 2012 में समाजवादी सरकार बनने के बाद उनके जुमलों ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कीं। कारगिल की लड़ाई पर उनके बयान को चुनाव आयोग ने भी 'सद्भाव बिगाडऩे' वाला माना था। अपनी ही सरकार के डीजीपी को लिखे उनके खत, प्रधानमंत्री से लेकर अन्य नेताओं के लिए इस्तेमाल उनके जुमले और फैसलों विवादों में रहे। उनके अपर निजी सचिवों ने तो उनके साथ काम करने से ही इन्कार कर दिया।
सपा में आजम खां को लेकर एक राय नहीं
दादरी के बिसाहड़ा कांड को यूएन ले जाने का एलान कर आजम ने सरकार को सकते में ला दिया। यही कारण था कि दूसरे ही दिन एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बयान को यह कहते हुए खारिज किया कि घर के मसले घर में सुलझाये जाने चाहिए। मुलायम परिवार में आजम पर एकराय नहीं है।
मेरठ में परसों शिवपाल यादव ने कह ही दिया कि आजम खां का यूएन वाला बयान उनकी निजी राय थी। इसके विपरीत इस दौरान मुलायम सिंह दो बार सार्वजनिक मंच पर आए मगर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने भी कुछ कहने से साफ इन्कार कर दिया। यह सवाल अब आम है कि क्या समाजवादी पार्टी को आजम खां के बयानों से सियासी नुकसान का खतरा सताने लगा है।
आजम को अतिरिक्त आजादी
आजम खां के बयानों से विवाद की स्थिति बनने पर कांग्रेस विधानमंडल दलनेता प्रदीप माथुर का कहना है कि अखिलेश सरकार में आजम खां को अतिरिक्त आजादी मिली है इसलिए वह कुछ भी बयान दे सकते है और देते भी रहे है। इस बाबत इससे अधिक कुछ कहना मुनासिब न होगा।
आजम के कुछ और बोल
गूगल में पर टॉप 10 क्रिमिनल सर्च करने पर नरेंद्र मोदी का नाम आता है।
बच्चे पैदा करने के लिए मर्दानगी की जरूरत होती है, पुरस्कार बांटने से बच्चे पैदा नहीं होते।
मुसलमान खौफजदा है, उन्हें कुर्बानी से रोका जा रहा है, उनकी धार्मिक भावनाएं आहत की जा रही हैं।
भाजपा उत्तर प्रदेश में दंगा कराना चाहती है। मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना चाहती है।
देश में मुसलमानों के बेहतर हालात नहीं हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।