Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सपा ने शुरू की लोहिया, गांधी और चरण सिंहवादियों को साथ लाने कवायद

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 27 Oct 2016 08:20 PM (IST)

    पारिवारिक कलह में फंसी समाजवादी पार्टी का लोहिया, चरण सिंह और गांधीवादियों को एक मंच पर लाने की कवायद शुरू है।

    Hero Image

    लखनऊ (जेएनएन)। पारिवारिक कलह में फंसी समाजवादी पार्टी का लोहिया, चरण सिंह और गांधीवादियों को एक मंच पर लाने की कवायद शुरू है। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि सपा का चुनाव अभियान शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं बनने देना उनका प्रथम लक्ष्य है। लोहियावादी, चौधरी चरण सिंह वादी व गांधीवादी लोगों को एकमंच पर लाकर सपा फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी। शिवपाल ने कहा कि जिन लालची, भ्रष्टाचारी, स्वार्थी लोगों ने पार्टी की छवि खराब करने व पीछे ले जाने का काम किया, उन्हें बाहर कर दिया गया। आगे जो गलत काम करेगा उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। वह आज बेटे आदित्य यादव के साथ दिल्ली से गाजियाबाद और सहारनपुर में रहे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें, सपा घमासान का चढ़ता सूरज, अब तक 21 मंत्रियों पर चली तलवार

    महागठबंधन बनाकर विधान सभा चुनाव लड़ेगी सपा

    सहारनपुर के भायला गांव की सभा में शिवपाल यादव ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री बनने का शौक होता तो वह 2003 में बन जाते। तब मुलायम सिंह यादव दिल्ली में थे और अखिलेश यादव का कोई अता-पता नहीं था। रामगोपाल यादव पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं, लेकिन ज्यादा पढ़े लिखे लोग तिकड़मबाज होते हैं जो परिवार को तोडऩे का काम करते हैं। हमारे परिवार में गड़बड़ी आंतरिक लोग ही करा रहे हैं। मैं जितना प्रदेश में घूमा हूं, उतना तो मुख्यमंत्री जी भी नहीं घूमे। कहा कि मायावती सिर्फ रुपये लेना जानती हैं देना नहीं। मूर्तियां बनवाने में 70 प्रतिशत तक कमीशन खाया। इसका राजफाश लोनिवि की रिपोर्ट में हुआ। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जेडीयू, राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। लेकिन आतंरिक लोगों ने सांप्रदायिक ताकतों के इशारे पर नेता जी को बहकाकर महागठबंधन से नाता तुड़वा दिया। उन्होंने जेडीयू, राजद, कांग्रेस और रालोद को एक मंच पर लाने का दांव खेलते हुए सांप्रदायिक ताकतों को प्रदेश की राजनीति से उखाडऩे का आह्वान किया। मंच से चौधरी अजित ङ्क्षसह को उपेक्षित नेता बताकर उनकी दुखती रग पर हाथ धरा।

    अब वजूद बचाने का सपा का गठबंधन राग

    सपा में कुनबे की कलह दो फाड़ होने के कगार पर पहुंच गई है। सपा को चुनावी सर्वे डरा रहा है। गत लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले अप्रत्याशित जनसमर्थन के अलावा मुस्लिम वोटरों का बसपा की ओर नजर आते रुझान से भी सपा नेतृत्व के आत्मविश्वास में कमजोरी आई है। साढ़े चार वर्ष तक भारी बहुमत वाली सरकार चलाने के बावजूद सपा नेतृत्व अकेले अपने दम पर चुनावी जंग में उतरने से कतरा रहा है।

    साझा मोर्चा बनाने की जरूरत

    बिहार में महागठबंधन तोडऩे वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को अपनी बारी आने पर उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए साझा मोर्चा बनाने की जरूरत दिखने लगी है। खुद मुलायम ने राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अजित सिंह, कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद और जनतादल यूनाईटेड के नेताओं से फोन पर बातचीत कर महागठजोड़ के लिए मन टटोलना शुरू किया है। पार्टी के रजत जयंती समारोह में शामिल होने का न्योता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, एचडी देवगौड़ा, अजित सिंह व लालू यादव जैसे नेताओं को भेजा जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव न्योता देने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हैं। बुधवार को जदयू के शरद यादव व केसी त्यागी से वार्ता हुई तो शुक्रवार को राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह से मुलाकात होगी।

    रामगोपाल पर महागठबंधन तोडऩे का ठीकरा

    बिहार विधानसभा चुनाव पूर्व महागठबंधन से अचानक किनारा करने का ठीकरा रामगोपाल यादव पर फोड़कर सपा नेतृत्व ने माहौल बनाना शुरू किया है। रामगोपाल को सपा से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर शिवपाल लोहिया, गांधी और चरणसिंहवादियों को एकजुट करने में जुटे है। सर्वे की विभिन्न रिपोर्ट में भाजपा को नंबर वन और बसपा को दूसरे स्थान पर दिखाने से सपा को मुस्लिम वोटों के बिखराव का खतरा बना है। मुस्लिमों के कद्दवार नेता आजम खां द्वारा लिखे गए पत्र में मुसलमानों की बेचैनी जताना भी सपा की आशंका को बढ़ाता है। गत फरवरी में देवबंद विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में मुस्लिम वोटों का कांग्रेस के पक्ष में धुव्रीकरण होना खतरे की घंटी बता रहे एक पूर्व सांसद का कहना है बसपा का दलित मुस्लिम समीकरण व पिछड़ों पर चढ़े भगवा रंग ने भी सपा को गठबंधन का विकल्प तलाशने को मजबूर किया है।

    सपा के बिखराव पर नजर

    सपा भले ही गठजोड़ के प्रयास में जुटी हो परंतु सहयोगी पार्टी आंतरिक उठापटक पर नजर लगाए है। रालोद के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी का कहना है कि लोहिया व चरणसिंह अनुयायियों को एकजुट करने के लिए अजित सिंह गत सितंबर में पत्र लिख चुके है तब सपा की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। सपा की आंतरिक कलह किस किनारे पहुंचेगी इसके बाद ही असल फैसला होगा।