मायावती का फिर यू टर्न : किसी दलित के राष्ट्रपति बनने से बहुत खुश
राष्ट्रपति पद पर एनडीए के रामनाथ कोविंद का चुना जाना तय मानकर मायावती अब एक बार फिर से पलटी हैं। मायावती का कहना है कि मुझे किसी दलित के राष्ट्रपति बनने से बेहद खुशी हो रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती का राष्ट्रपति पद के चुनाव में यू टर्न जारी है। एनडीए के रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के बाद यूपीए की मीरा कुमार में समर्थन में आने वाली मायावती के अब सुर भी बदल गए हैं।
राष्ट्रपति पद पर एनडीए के रामनाथ कोविंद का चुना जाना तय मानकर मायावती अब एक बार फिर से पलटी हैं। मायावती का कहना है कि मुझे किसी दलित के राष्ट्रपति बनने से बेहद खुशी हो रही है। रामनाथ कोविंद जीतें या फिर मीरा कुमार, कोई दलित ही देश का राष्ट्रपति बनेगा। बसपा प्रमुख प्रमुख मायावती ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि हार-जीत से परे भारत का अगला राष्ट्रपति दलित होगा। मैं खुश हूं कि जो भी नतीजा हो एक अनुसूचित जाति का व्यक्ति राष्ट्रपति बनने जा रहा है। यह हमारे आंदोलन और हमारी पार्टी के लिए खुशी का क्षण है।
गौरतलब है कि देश के राष्ट्रपति पद के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के बीच सीधा मुकाबला है। यह दोनों ही दलित वर्ग से हैं।
राजनीतिक पार्टियों के समर्थ और विरोध के समीकरण से साफ है कि एनडीए के उम्मीदवार रामानाथ कोविंद की जीत पक्की है, लेकिन इस जीत-हार से पहले मायावती ने साफ किया है कि इन दोनों उम्मीदवारों में कोई जीते, उन्हें खुशी होगी। मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी दलितों की पार्टी समझी जाती है और उनका आधार वोट बैंक भी दलित ही माने जाते हैं। ऐसे में मायावती के लिए किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ खुलकर बोलना आसान नहीं है।
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मायावती ने कहा कि इस बार दोनों तरफ से एनडीए और यूपीए ने राष्ट्रपति पद के लिए दलित को मैदान में उतारा है, ये पहला मौका है जब दोनों तरफ से दलित उम्मीदवार हैं। चुनाव में हार जीत होती है. खुशी की बात है कि दोनों में से कोई जीते।
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दलित वर्ग का आदमी देश का राष्ट्रपति बनेगा। हमारी पार्टी और मूमेंट के लिए बहुत अच्छी बात है। मायावती ने साफ किया है ये बहुजन समाज पार्टी की मुहिम का असर है कि दोनों पार्टियों को दलित उम्मीदवार उतारने पड़े।
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किसके पास हैं कितने वोट
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास शिवसेना को मिलाकर कुल 5,37,683 वोट हैं और उसे करीब 12000 और मतों की जरूरत है। हालांकि बीजद, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस से समर्थन के वादे और एआईएडीएमके के एक धड़े से समर्थन की संभावना राष्ट्रपति चुनावों में वोटों की कमी के अंतर को पूरा कर सकती है। मीरा कुमार के समर्थन में 3 लाख 86 हजार 500 वोट के साथ 36 फीसदी वोट हैं।
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