आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे लेगा हजारों पेड़ों की बलि
विकास की रफ्तार ने हमेशा प्रकृति की गोद उजाड़ी है। हरियाली को सूली पर चढ़ाया है। ऐसा एक नहीं अनेक बार हुआ। यह क्रम लगातार जारी है। अब आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे 28 हजार पेड़ों की बलि लेने वाला है। इस छह लेन मार्ग की लंबाई लगभग 302 किलोमीटर है। इससे पूर्व
लखनऊ। विकास की रफ्तार ने हमेशा प्रकृति की गोद उजाड़ी है। हरियाली को सूली पर चढ़ाया है। ऐसा एक नहीं अनेक बार हुआ। यह क्रम लगातार जारी है। अब आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे 28 हजार पेड़ों की बलि लेने वाला है। इस छह लेन मार्ग की लंबाई लगभग 302 किलोमीटर है। इससे पूर्व भी कई राजमार्गों के निर्माण में हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं।
एक्सप्रेस-वे हमारी आज की जरूरत हैं लेकिन इसके लिए हमें बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। विकास के लिए पेड़ काटे जाने पर तीन से दस गुना तक पौधे रोपे जाने की व्यवस्था है लेकिन तमाम वन संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं के सर्वें बताते हैं कि इसका शतप्रतिशत अनुपालन कभी नहीं हो पाया।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे आगरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, हरदोई व लखनऊ से गुजरेगा। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने 27 हजार 582 पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया है। हालांकि एक्सप्रेस-वे पूरी तरह से ईको फ्रेंडली बनाया जाना है। यमुना एक्सप्रेस-वे के लिए काटे गए पेड़ों के बदले पौधे रोपे जाने थे, वह काम अभी तक नहीं हुआ।
पर्यावरणविद् कुलदीप कुमार का कहना है कि विकास आज की जरूरत है जिससे इन्कार नहीं किया जा सकता लेकिन हम सिर्फ वृक्षों की कटाई की आलोचना कर अपनी जिम्मेदारी से बरी नहीं हो सकते। हमारा कर्तव्य है कि पौधे लगाएं लेकिन हम इसे भूलकर पौधरोपण के लिए केवल सरकारी प्रयासों पर निर्भर रहते हैं।