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    मोहन सिंह की बातों से सपा की नाइत्तेफाकी

    By Edited By:
    Updated: Sun, 15 Jul 2012 11:30 PM (IST)

    मुख्यमंत्री ने बिना किसी दबाव के किया अपने मंत्रियों का चयन

    - सरकार के फैसले से नहीं हुई कोई किरकिरी

    जागरण ब्यूरो, लखनऊ : सपा पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव मोहन सिंह की बातों से इत्तेफाक नहीं रखती। शनिवार को मोहन सिंह ने एक चैनल में कहा था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को मंत्री बनाये जाने पर गहरी आपत्ति थी।

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    रविवार को पार्टी इससे नाराज दिखी। प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने लिखित बयान जारी कर कहा मंत्रिमंडल के सदस्यों का चयन मुख्यमंत्री के विवेक पर होता है। अखिलेश यादव ने बिना किसी दबाव के सहयोगियों का चयन किया। मोहन सिंह की इस बात का भी पार्टी ने प्रतिवाद किया कि अखिलेश सरकार ने पिछले दिनों जिस तरह से जल्दबाजी में फैसले किए उससे सरकार की किरकिरी हुई। पार्टी की ओर से कहा गया कि सरकार की कोई किरकिरी नहीं हुई। जिन निर्णयों पर अखिलेश यादव को जनसामान्य की असहमति दिखी उसे वापस लेकर यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र में उनकी गहरी आस्था है।

    अखिलेश में अनुभव की कमी के मोहन सिंह के कथन को भी पार्टी ने पसंद नहीं किया। पार्टी ने दावा किया कि अखिलेश यादव राजनीति में नए नहीं हैं। उनकी राजनीतिक परिपक्वता का प्रदर्शन कई मौकों पर हो चुका है। उनको अनुभवहीन कहने वालों को सिर्फ इतना ही बताना काफी होगा कि किसी भी आपराधिक छवि वाले को पार्टी में न लेने का एलान कर अखिलेश यादव ने क्षण भर में पार्टी की छवि बदल दी थी।

    सपा प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री को परिपक्व साबित करने के लिए बकायदा अखिलेश का पूरा राजनीतिक सफर जारी किया। चौधरी ने कहा कि अखिलेश कन्नौज से 1999 में पहली बार सासद बने। उसके बाद कन्नौज की जनता ने उन्हें फिर दो बार अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजा। सपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में न केवल उन्होंने संगठन को मजबूत किया बल्कि चुनाव पूर्व क्रांति रथ यात्रा से सूबे में जो लहर पैदा की उससे ही पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला।

    चौधरी ने कहा प्रदेश में सपा सरकार के आज चार माह पूरे हो गये हैं जो सफलता और उपलब्धियों का दिशा संकेत करते हैं। मुख्यमंत्री ने इस बीच विधानमंडल सत्र में न केवल पूरी सक्रियता दिखाई बल्कि कार्यवाही में हिस्सा लेते हुये अपने संसदीय कौशल की भी छाप छोड़ी। वित्तमंत्री के रूप में बजट में नए कर लगाए बिना सपा के चुनाव घोषणा पत्र में किए गए वायदों को पूरा करने की दिशा में सार्थक कदम उठा कर अखिलेश यादव ने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया।

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