शिवपाल यादव की मुलायम से प्रदेश सरकार का नेतृत्व बदलने की मांग
शिवपाल सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जी मैं जानता हूं कि पार्टी कैसे चलाना है। मायावती की बेईमान सरकार के खिलाफ हम लड़े थे। अब नेताजी को उत्तर प्रदेश की ...और पढ़ें

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में ही आज पार्टी कार्यालय में बैठक के दौरान मंच से ही शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से सरकार का नेतृत्व बदलने की मांग रख दी। शिवपाल आज प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इतने नाराज दिखे कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव से प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने का अनुरोध भी कर दिया।
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री जी मैं जानता हूं कि पार्टी कैसे चलाना है। मायावती की बेईमान सरकार के खिलाफ हम लड़े थे।
पढ़ें- मुलायम ने अखिलेश से कहा, तुम्हारी क्या हैसियत - अकेले चुनाव जीत सकते हो
अब नेताजी को उत्तर प्रदेश की कमान संभालने की जरूरत है। समाजवादी पार्टी में जमीन कब्जाने वाले, लुटेरे आ गए हैं। शिवपाल यादव ने नेतृत्व बदलने की मांग की। उन्होंने पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से अब सरकार का नेतृत्व करने का अनुरोध किया। समाजवादी पार्टी और यादव परिवार के बीच गहराया हुआ संकट अब एक-दूसरे के नीचा गिराने के स्तर पर पहुंच गया है।
पढ़ें- भावुक अखिलेश यादव बोले- नेताजी मुझे हटाना हो तो हटा दो
समाजवादी पार्टी के मुखिया के सामने शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि सरकार में क्या मेरा कोई योगदान नहीं। क्या मेरे विभाग में अच्छे काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह सही है कि मेरे रहते दलाली नहीं चलेगी किसी की भी जमीन कब्जा नहीं होगा। उन्होंने कहा मैंने 1984 में साइकिल चलाकर जनसम्पर्क किया। जिले तथा प्रदेश के गांव-गांव में नेताजी की चिट्ठियां बांटी। इमरजेंसी के दौरान हमने संघर्ष किया। उस वक्त गाडिय़ा कम होती थी। पार्टी के लिए लगातार तीन-तीन महीने साइकिल चलता रहा। इसके बाद जब कोई आरोप लगता है तो फिर मन बहुत आहत होता है।
पढ़ें- अखिलेश व शिवपाल में नोंकझोंक, मुख्यमंत्री ने मुलायम से की मुलाकात
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मैं गंगा जल की कसम खाकर कह रहा हूं कि अखिलेश यादव ने दूसरे दल के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की बात कही थी। अचानक आक्रामक होने वाले शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि अखिलेश ने यह बात मुझसे कही तो मैं अवाक रह गया। हम अखिलेश की इस बात का जवाब दे सकते थे, लेकिन हमको दर्द है पार्टी को इस स्तर तक लाने का। हमने पार्टी बनाने में नेताजी की साथ दिया। नेताजी के साथ-साथ हमने गांव-गांव जाकर साइकिल चलाई। अक्सर सीएम के न बुलाने पर भी मैं उनके पास जाता था। मेरा सीएम से कोई झगड़ा नहीं है। सीएम ने मुझ से कहा था कि मैं अपना दल बनाऊंगा।
पढ़ें- मुलायम सिंह यादव के तेवर सख्त, आज कर सकते हैं बड़ा फैसला
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि बताइये मुझे पार्टी का अध्यक्ष बनाने के बाद सभी विभाग क्यूं वापस लिए गए। क्या सरकार में मेरा कोई योगदान नहीं क्या पार्टी में मेरा कोई योगदान नहीं। शिवपाल ने मुलायम की मौजूदगी में अखिलेश से कहा कि मुझसे क्या झगड़ा था। मेरे विभाग में क्या अच्छा काम नहीं हुआ है। हम जानते है कि मुख्यमंत्री के पास टाइम नहीं होता है। इसी कारण अहम विभाग देख रहे थे।
खुलकर अमर सिंह के साथ
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मैंने कभी भी अमर सिंह के साथ संपर्क नहीं तोड़ा। अमर सिंह ने हमेशा ही पार्टी की मदद की। शिवपाल यादव ने अमर सिंह का विरोध करने वालों को कहा कि वे अमर के पैरों की धूल के बराबर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अमर सिंह से संबंधों को लेकर उन्हें कतई मलाल नहीं है। शिवपाल ने अमर सिंह की भूमिका को उल्लेखनीय बताया। उन्होंने कहा कि अब पार्टी में मलाई चाटने वालों की संख्या बढ़ी है। अब तो वह लोग सक्रिय हैं जिन्होंने नेता जी को पीएम मोदी का विकल्प नहीं बनने दिया।
पढ़ें- मुलायम सिंह की शिवपाल से वार्ता के बाद रामगोपाल यादव हुए पार्टी से बाहर
बिहार में किसने महागठबंधन तुड़वाया यह किसी से छुपा नहीं है। अक्सर ही अधिकारियों की शिकायत पर मेरी नहीं सुनी गई। मैंने सीएम का कौन सा आदेश नहीं माना था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में बतौर नेता प्रतिपक्ष मैंने बड़े हमलों को झेला। नेताजी के एक आदेश पर प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ा था। अखिलेश को नेताजी ने अध्यक्ष बना दिया था। विपक्ष के लोगों ने मेरे काम की तारीफ की, मैं तीन वर्ष तक पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा।
मैं पार्टी के काम में लगातार लगा रहा।
पढ़ें- अखिलेश का बदली सियासी चुनौतियों के लिए तैयार रहने का संकेत
उन्होंने कहा कि राज्यसभा की सीट फंसने के समय राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह ने बात करने के साथ ही कौमी एकता दल से भी बात की। अजित सिंह से बात नहीं करता तो राज्यसभा की सीट फंसती। पहले अजित से फिर कौमी एकता दल से बात की। उन्होंने कहा कि आज की मीटिंग के दो एजेंडे थे। रजत जयंती तथा 2017 चुनाव, लेकिन यह जो हो रहा है पार्टी का एजेंडा नहीं था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।