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    डायल-100 : सरकार का काम अच्छा, धारणा खराब: अखिलेश

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sat, 19 Dec 2015 10:09 PM (IST)

    विकास को गति देने के प्रयासों के बावजूद सरकार के प्रति 'धारणा ' नहीं बदल पाने का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का दर्द फिर बाहर आया। जनहित की कई योजनाएं गि ...और पढ़ें

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    लखनऊ। विकास को गति देने के प्रयासों के बावजूद सरकार के प्रति 'धारणा ' नहीं बदल पाने का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का दर्द फिर बाहर आया। जनहित की कई योजनाएं गिनाते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे काम के बाद भी कुछ लोग 'खराब धारणा ' बनाते हैं। राज्य की छवि खराब करते हैं। गोमतीनगर विस्तार में अत्याधुनिक 'डायल-१०० ' परियोजना के भवन की आधारशिला रखने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण बिगडऩे का शोर हो रहा है, मगर कोई भी गांव और गांवों की खाद्य सामग्र्री पर जोर नहीं दे रहा। इशारों में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, छात्रों को लैपटाप दिया तो लोगों ने इसे झुनझुना ठहराया। एम्बुलेंस पर समाजवादी लिखा गया तो बजट काट दिया गया। पर्यावरण की बेहतरी के लिए साइकिलें दीं तो उसे भी सियासी चश्मे से देखा गया। बड़े उद्योगपति प्रदेश में निवेश की इच्छा जता रहे हैं। राज्य की जीडीपी दर बढ़ गई है। कानून व्यवस्था की बेहतरी के लिए आधुनिक पुलिस कंट्रोल रूम डायल-१०० बना रहे हैं।

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    मदद का यकीन

    मुख्यमंत्री ने कहा सरकार ने हर क्षेत्र में काम किए हैं। देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे बन रहा है। इससे किसानों की हालत सुधरेगी। महंगाई कम होगी। इस कंट्रोल रूम से अपराधियों पर कार्रवाई में मदद मिलेगी। दुश्वारियों के बाद चालीस हजार सिपाही भर्ती किए। पुलिसकर्मियों को प्रोन्नत किया। उन्हें सुविधाएं दीं। अब बिना परीक्षा सिपाही भर्ती होंगे। उन्होंने बाबा रामदेव की तारीफ की कि, वह पहले योग सिखाते तो बड़े अधिकारी, राजनीतिज्ञ चटाई लेकर पहुंचते। अब वह खाना खिलाने लगे हैं।

    डॉयल-१०० का विचार

    अखिलेश ने कहा, मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ दिन बाद पुलिस कंट्रोल रूम का फोन नहीं उठने की खबरें छपीं। पड़ताल कराई तो पता चला कि बिल जमा नहीं होने से फोन कट गया और भुगतान न होने से आउटसोर्सिग के कर्मचारी गायब हो गए। तभी से एकीकृत और अत्याधुनिक पुलिस कंट्रोल रूम बनाने का विचार कौंधा था, जो अब मूर्त रूप ले रहा है। दो लाख स्क्वायर फीट में बनने वाले इस केंद्र का वह जल्द उद्घाटन करेंगे।

    मशीन भी धोखा दे जाती

    मुख्यमंत्री ने सचिवालय की लिफ्ट में फंसने का दर्द भी बताया। कहा, कभी-कभी मशीन धोखा दे जाती है। इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए। मैं लिफ्ट में फंसा रहा। उस दौरान मेरे मन में क्या चल रहा था, मैं ही जानता हूं। बाहर खड़े लोग परेशान थे। डर था कि कहीं बाहर खड़े लोग लिफ्ट खोलने के प्रयास में तोड़-फोड़ न शुरू कर दें। लिफ्ट के अंदर-बाहर ऐसा इंतजाम होना चाहिए कि भीतर वाले को भी पता चले कि आकस्मिक स्थिति में उसे क्या-क्या करना चाहिए। कैसे मदद मिल सकती है।

    मरने के बाद रंभा के पास जाऊंगा

    परियोजना को अमली जामा पहनाने वाले गृह विभाग के सलाहकार वेंकट चंगावल्ली ने कहा कि इस केंद्र में ३३ हजार लोग काम करेंगे। प्रदेश सरकार इस परियोजना पर प्रति व्यक्ति १५ रुपये खर्च कर रही है। प्रत्येक शिकायत के निस्तारण पर ७५० रुपये का खर्च आएगा। देश-विदेश में सर्वे के बाद भी इतनी बड़ी कोई परियोजना नहीं देखने को मिली। परियोजना तभी सफल होगी जब जनता भी रवैया बदले। इमरजेंसी होने पर ही १०० नंबर डायल करें, किसी की मदद को जा रही पुलिस की गाडिय़ों को रास्ता दें। फिर मजाकिया लहजे में बोले, मरने के बाद स्वर्ग जाना है, वह भी रंभा के पास। कारागार मंत्री बीएस रामूवालिया ने मुख्यमंत्री और उनकी कार्य प्रणाली को सराहा।

    डायल-१०० की खूबियां

    • - अमेरिका की डायल ९११ के तर्ज पर परियोजना
    • - २३२५.३३ करोड़ रुपये परियोजना की लागत
    • - दो लाख कॉल प्रतिदिन सुनी जाएंगी
    • - ४०० लाइन का कॉल सेंटर होगा स्थापित
    • - ५०० लोगों के बैठने के लिए बनेगा आडिटोरियम
    • - १७५ पुलिसकर्मी व १२५ टीम लीडर रोजाना लेंगे प्रशिक्षण
    • - १५ मिनट में शहरों में व बीस मिनट में गांव में पहुंचेगी पुलिस
    • - २५०० बोलेरो, ७०० इनोवा व १६०० पल्सर गाडिय़ां रहेंगी
    • - हिंदी व अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं के आपरेटर
    • - मूक व बधिरों की शिकायत दर्ज करने का भी इंतजाम
    • - फीडबैक मिलने के बाद ही शिकायत होगी बंद होगी
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    • -लखनऊ स्थित मुख्य केंद्र में खराबी आने पर आटोमेटिक शुरू हो जाएंगे आगरा और वाराणसी उपकेंद्र
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