अभी हिलेगा हिमालय और डोलेगी धरती, ऊर्जा अंदर दबी
नेपाल के साथ भारत में भी 25 अप्रैल की त्रासदी के बाद आज फिर भूकंप के झटकों ने लोगों में बेइंतहा दहशत पैदा कर दी है। हिमालय क्षेत्र में इंडियन प्लेट जिस तरह से यूरेशियन प्लेट में घुस रही है, उससे हिमालय के अभी और हिलने तथा पृथ्वी के डोलने
लखनऊ। नेपाल के साथ भारत में भी 25 अप्रैल की त्रासदी के बाद आज फिर भूकंप के झटकों ने लोगों में बेइंतहा दहशत पैदा कर दी है। हिमालय क्षेत्र में इंडियन प्लेट जिस तरह से यूरेशियन प्लेट में घुस रही है, उससे हिमालय के अभी और हिलने तथा पृथ्वी के डोलने का लगाया जा रहा है। भोपाल के एक भू-भौतिकविद् का पूर्वानुमान है कि दोनों देशों में अभी भूकंप के और झटके लग सकते हैं। हिमालय के भूगर्भ में जारी उथल-पुथल के चलते तीव्र भूकंप के संकेत भू-भौतिकविदें को छह अप्रैल को ही मिल गए थे।
भोपाल के आइसेक्ट विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सूर्यांशु चौधरी ने बताया कि 25 अप्रैल को भूकंप के दौरान पृथ्वी में कोई बड़ी दरार नहीं आई थी, जिससे भूगर्भ में सक्रिय गैसों से उत्पन्न ऊर्जा पूरी तरह बाहर ही नहीं निकल सकी। वहीं, टक्कर के बाद प्लेट्स भी पूरी तरह से स्थिर नहीं हो सकी हैं, जिसके चलते दोबारा भूकंप के झटकों की आशंका बनी थी। उन्होंने आज भूकंप आने का भी यही कारण माना।
रूस के वैज्ञानिकों के साथ भूकंप के पूर्वानुमान के अध्ययन में लगे सूर्यांशु चौधरी ने बताया कि सेटेलाइट की मदद से हासिल संकेतों का भू-भौतिकविद् अध्ययन करके सटीक अनुमान लगाने में जुटे थे। इससे पहले नेपाल में जिस स्थान पर भूकंप का केंद्र था, उसके आसपास भूगर्भ के अंदर नौ महीने से प्लेटोंं के खिसकने से बड़ी उथल-पुथल चल रही थी। वीक जोन (भूकंप का केंद्र रहे) से कुछ रेडान गैसों का उत्सर्जन जारी था। छह अप्रैल को यह प्रक्रिया तेज होने पर सेटेलाइट की मदद से पकड़ में आई, तो अध्ययन शुरू हुआ। वहीं, 23 अप्रैल को भूगर्भीय उथल-पुथल चरम पर पहुंच चुकी थी। नेपाल और भारत में 25 अप्रैल को आया भूकंप इसी का परिणाम था।
डरें नहीं, सतर्क रहें
डॉ. सूर्यांशु चौधरी के मुताबिक भूकंप के बाद प्लेटों को स्थिर होने में समय लगता है। उसका स्थिर होना इस बात पर निर्भर करता है कि पृथ्वी अपनी कितनी ऊर्जा निकाल चुकी है और कितनी बाकी है। इस प्रक्रिया के दौरान भूकंप के और झटके लग सकते हैं। इससे डरने या घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन सतर्क रहें।
ऐसे लगाते पूर्वानुमान
भूगर्भ के अंदर वीक जोन में रेडान गैसों का उत्सर्जन होता है। यह गैसें वायुमंडल के साथ रासायनिक क्रिया करतीं हैं, जिससे वायुमंडल के तापमान, उसकी स्थैतिक ऊर्जा में परिवर्तन मिलता है। भू-भौतिकविद् इसी के आधार पर भूकंप और उसके केंद्र का अनुमान लगाते हैं।
इसलिए आ रहा है भूकंप
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजीत पांडेय के मुताबिक हिमालय क्षेत्र में इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट में घुस रही है। इसके घर्षण से भूकंप आते हैं। भूगर्भ में प्लेटों की लगातार टक्कर से जब ऊर्जा बहुत ज्यादा हो जाती है तो वह पत्थर को तोड़ देती है। डॉ. पांडे कहते हैं कि भूकंप की ताकत नहीं बदलती, भूगर्भ से जो ऊर्जा निकलती है वह चारों दिशाओं में भागती है। भूकंप के केंद्र से दूरी बढऩे के साथ ही उसका प्रभाव कम होता जाता है। मंगलवार को आए भूकंप के झटकों को वे भी प्लेटों के स्थिर होने की प्रक्रिया का हिस्सा मानते हैं।