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फसल की रही-सही बर्बादी देख सदमे से निकला 62 किसानों का दम

उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश व ओलावृष्टि ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। बादलों की आवाजाही के बीच तबाह किसान दम तोड़ रहे हैं। बीते 24 घंटों में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 62 किसानों की फसल बर्बादी के सदमे से मौत हो गई। बारिश और वज्रपात की वजह

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2015 10:59 AM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2015 03:38 PM (IST)
फसल की रही-सही बर्बादी देख सदमे से निकला 62 किसानों का दम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश व ओलावृष्टि ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। बादलों की आवाजाही के बीच तबाह किसान दम तोड़ रहे हैं। बीते 24 घंटों में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 62 किसानों की फसल बर्बादी के सदमे से मौत हो गई। बारिश और वज्रपात की वजह से भी तीन लोगों की जान चली गई है।

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संत कबीर नगर के बघौली ब्लाक के उतरवाल निवासी 60 वर्षीय छोटेलाल गेहूं की मड़ाई करा रहे थे। तीन बीघे के खेत के गेहूं की मड़ाई मे केवल डेढ़ क्विंटल ही गेहू निकला। घर आने पर उनकी तबीयत खऱाब हो गई।भोर उनकी मौत हो गई।

खलनायक बने मौसम ने कुछ जिलों में खूब कहर बरपाया। महोबा, चित्रकूट, औरैया और फतेहपुर में भारी बारिश के साथ ओले भी गिरे। इससे बची फसलें भी बर्बाद हो गई। फसल बर्बादी के कारण कानपुर के मनफूल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यहीं के बाबूराम पासवान की मौत सदमे से हो गई। राजधानी लखनऊ के माल क्षेत्र के किसान मुन्नीलाल कश्यप की सदमे से मौत हो गई। बांदा में चार किसानों ने दम तोड़ दिया जिसमें दुबरिया, महेश सिंह, राममूरत मौर्य और भइयाराम शामिल हैं। उरई निवासी कढोरे राजपूत व फूलमती ने सदमे से दम तोड़ दिया। झांसी के मुन्नीलाल यादव, शीला देवी, शीतल प्रसाद की सदमे से मौत हो गई। चित्रकूट में वज्रपात भी कहर बनकर किसानों पर टूटी। खेतों में काम कर रहे तेजी पटेल व अवधेश की मौत बिजली गिरने से हो गई जबकि पांच लोग झुलस गए। अमेठी के बाबूराम पासवान और फर्रुखाबाद की सुशीला की मौत हार्ट अटैक से हो गई। हरदोई में एक किसान ने जहर खा लिया। वह गंभीर है।

देवरिया की अट्ठारह वर्षीय बबली ने अपने जेवर बेच कर उधार के खेत में अनाज बोया था, लेकिन मौसम की मार ने सब तबाह कर दिया। रात मड़ाई के दौरान कम अनाज देख वह खेत में ही गिर गई। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। जिले की ही बादामी देवी और राजपति यादव भी सदमा सहन नहीं कर सके। महराजगंज के किसान बासुदेव यादव और विद्यावती देवी की जान सदमे से गई। गोरखपुर की जगरानी, दुर्गावती और रामबेलास की तब मौत हो गई जब बर्बाद फसलों के बारे में इनके परिवार ने बताया। बस्ती के विजय बहादुर चौधरी और शकुंतला की मौत भी ऐसे ही हो गई। प्रतापगढ़ के भगेलू पाल, बचई प्रसाद, द्वारका पटेल और राज कुमार यादव की मौत हृदयाघात से हुई। पानी में फसल डूबने से आजमगढ़ निवासी खंझारी और रामजनम की सांस टूट गई। बलिया के राधेश्याम यादव, गाजीपुर के किसान हरि प्रजापति और जौनपुर के इंद्र प्रकाश ङ्क्षसह की मौत का कारण भी सदमा बताया जा रहा है। कौशाम्बी के संतलाल, नरेंद्र पटेल और रोहित ने फसल बर्बाद होने के कारण दम तोड़ दिया। इलाहाबाद के राम बहादुर सिंह और रमानाथ गुप्ता को तबाही का ऐसा झटका लगा कि फिर न उठ सके। फैजाबाद के रमन सिंह को फसल की चिंता ऐसी सताई कि अस्पताल पहुंचने से पहले दम निकल गया। जिले की ही कलसा देवी और मोहन लाल का भी हार्ट फेल हो गया। गोंडा के होली प्रसाद और हनुमान प्रसाद की मौत का कारण भी फसल की बर्बादी रहा। सुलतानपुर की लालती मिश्रा फसल देखने गई थी। लौटने के बाद सांसें थम गईं।

आंधी के साथ आई बारिश से झोपड़ी गिर गई जिसके नीचे दबकर मथुरा के मेघ ङ्क्षसह की मौत हो गई। बुलंदशहर में भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष किरनपाल ङ्क्षसह की सदमे से मौत हो गई। बुलंदशहर की रानी देवी की भी मौत हो गई है। अलीगढ़ के आशाराम, भगवान सिंह और भूप सिंह भी सदमा बर्दास्त नहीं कर सके। हाथरस की धनवंती सदमे से चल बसी। बरेली के किसान अनोखेलाल व बिहारीलाल का दम निकल गया। पीलीभीत में उजड़ी फसल के सदमे में कृष्णपाल ने दम तोड़ दिया। फीरोजाबाद के सुरेश चंद्र, मैनपुरी के समदभान व मिलाप सिंह और एटा के सत्यप्रकाश सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए। सहारनपुर के राजपाल फसल बर्बाद होने व कर्ज को चुकाने के सदमे में चल बसे। बिजनौर के किसान राम ङ्क्षसह, बागपत के वेदीराम यादव, मुजफ्फरनगर निवासी बिजेंद्र ङ्क्षसह की भी मौत हो गई।

डीएम को सौंपा खराब फसल का गट्ठर

सरकारी सर्वेक्षण में फसल बर्बादी का औसत कम दिखाए जाने पर महराजगंज जिले के पनियरा के बसपा विधायक देवनारायण उर्फ़ जीएम सिंह ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी को खराब फसल का गट्ठर सौंपा। उन्होंने 50 फीसद से अधिक की क्षति बताते हुए तत्काल राहत दिए जाने की मांग की। उल्लेखनीय है कि मौसम की लगातार मार से किसानों की फसल लगभग चौपट हो चुकी है।


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