पहले ही दिन बुलानी पड़ गयी सेना
- दंगा निरोधक बल की कमी आयी सामने - शहर में सेना और देहात में पुलिस को कमान :
- दंगा निरोधक बल की कमी आयी सामने
- शहर में सेना और देहात में पुलिस को कमान : प्रमुख सचिव गृह
- यूपी के लिए मिला 28 कंपनी केंद्रीय बल, आठ कालम सेना तैनात
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : मुजफ्फरनगर में दंगा भड़के एक दिन भी नहीं बीता कि राज्य सरकार को सेना बुलानी पड़ गयी। हालात पर काबू पाने के लिए रणनीतिक तौर पर जरूरी हो गया था, लेकिन इससे साफ हुआ कि सूबे के दंगा नियंत्रक दल ऐसी चुनौतियों से निबटने में अभी पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। सरकार अब शहरी क्षेत्रों में सेना और देहात में पुलिस बल के बूते नियंत्रण में लगी है।
सूबे के सभी जिलों में दंगा निरोधक योजना इस मकसद से बनाई गयी कि संवेदनशील इलाकों का अमन कायम रखने में वह अपनी भूमिका निभा सके । इस सरकार में योजना नये सिरे से बनाई गयी और पुलिसकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है, पर मुजफ्फरनगर के बेकाबू हालात ने साफ कर दिया कि दंगा निरोधक दलों की भूमिका कागजी दायरे से बाहर नहीं निकली है। प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव का कहना है कि जुलाई से ही मुजफ्फरनगर में तनाव चल रहा है और दंगा निरोधक दल ने ही अब तक स्थिति संभाले रखी। उन्होंने कहा कि एक साथ कई इलाकों में बवाल हुए, इसलिए रणनीतिक तौर पर हमे सेना बुलानी पड़ी। श्रीवास्तव की दलील है कि देहातों से तनाव की बड़ी सूचनाएं आ रही थीं और हमें पुलिस गांवों में भेजनी पड़ी, ऐसे में शहरी इलाकों के लिए सेना बुलानी पड़ी। कुल आठ कालम सेना मुजफ्फरनगर में तैनात है। उन्होंने कहा कि शनिवार की शाम सेना बुला ली गयी, तब तक केंद्र सरकार ने पूरे यूपी में 28 कंपनी केंद्रीय पुलिस बल (आइटीबीपी, एसएसपी और सीआरपीएफ) भी दे दिया है। श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में हाई अलर्ट है और चिन्हित क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया जा रहा है। निरोधात्मक कार्रवाई जारी है।
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अनुभवी अफसरों को सौंपी जिम्मेदारी
सूबे के सांप्रदायिक हालात को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तेवर सख्त हैं और उन्होंने दो टूक कह दिया है कि दंगा-फसाद में लिप्त किसी भी दोषी को बख्शेंगे नहीं। उन्होंने अफसरों पर भी सख्ती की है और पूरा सरकारी अमला हालात पर काबू पाने में जुटा है। राज्य सरकार ने अनुभवी अफसरों को हालात पर नियंत्रण की जिम्मेदारी सौंपी हैं। रविवार की सुबह अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अरुण कुमार मुजफ्फरनगर पहुंच गये। वहां एटीएस के कमांडो भी भेजे गये हैं। अपर पुलिस महानिदेशक राजकुमार विश्वकर्मा तीन दिनों से पश्चिम के जिलों की पुलिस का मार्गदर्शन कर रहे हैं। वहां एडीजी रेलवे मुकुल गोयल और आइजी एटीएस राजीव सब्बरवाल भी जमे हुए हैं। कई और अनुभवी अधिकारी लगाये गये हैं। जोन के आइजी और पश्चिम के सभी रेंज डीआइजी को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
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मुख्य सचिव की हिदायत पर नहीं हुआ अमल
निर्देश : सांप्रदायिक तत्वों और समस्या उत्पन्न करने वाले अपराधियों पर चिन्हित सर्विलांस के जरिए नजर रखी जाए।
असर - जुलाई से ही ऐसे तत्व सक्रियता बनाये रहे और प्रशासनिक मशीनरी को उनकी योजना की भनक तक नहीं लगी।
निर्देश : सांप्रदायिक दृष्टिकोण से चिन्हित छोटे-छोटे विवादों का निस्तारण समयबद्ध एवं योजनाबद्ध तरीके से किया जाए।
असर - कवाल के बवाल के बाद शामली समेत कई जगह ऐसी घटनाएं हुई और उस पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई।
निर्देश : पुलिस तथा मजिस्ट्रेट को व्यापक जनसंपर्क कर अभिसूचना तंत्र विकसित करने की जिम्मेदारी।
असर- डीएम और एसपी दफ्तरों में रहे या बाहर निकले तो भी घटनाओं के बाद। नियोजित ढंग से ऐसी सूचनाओं के लिए कोई अभियान नहीं चलाया।
निर्देश : दंगा भड़काने वालों के खिलाफ रासुका, गैंगस्टर एक्ट समेत कई कठोर कानूनों के प्रयोग का निर्देश।
असर- कठोर कार्रवाई नहीं हुई।
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