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स्वदेशी फ्ल्यूड से बोफोर्स तोप को झटका नहीं

By Edited By: Published: Tue, 14 May 2013 10:20 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2013 02:40 PM (IST)
स्वदेशी फ्ल्यूड से बोफोर्स तोप को झटका नहीं

कानपुर : एक दौर था जब बोफोर्स तोप के लिए दस हजार रुपये लीटर का रिक्वायल फ्ल्यूड स्वीडन से और शिल्का गन को ठंडा रखने वाला कूलेंट रूस से आठ हजार रुपये लीटर आता था। अब रक्षा सामग्री एवं भंडार अनुसंधान तथा विकास स्थापना (डीएमएसआरडीई) ने यहां निर्माण किया है और इसकी लागत 200 व 150 रुपये लीटर है। हर साल देश की करोड़ों की रुपये की विदेशी मुद्रा बचाने में संस्थान ने अहम भूमिका निभायी है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर लगायी गयी प्रदर्शनी में वैज्ञानिकों ने उनके बारे में जानकारी दी।

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प्रदर्शनी के दौरान बोफोर्स तोप के मॉडल पर वैज्ञानिकों ने बताया कि रिक्वायल फ्ल्यूड डीएएफसी-60 शून्य से 60 डिग्री कम तापमान पर भी नहीं जमता। अभी शून्य से 48 डिग्री कम तापमान पर इसका बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस फ्ल्यूड के इस्तेमाल से बोफोर्स तोप से फायरिंग में न झटका लगता है और न ही स्प्रिंग डैमेज होती हैं। 50 राउंड प्रतिमिनट फायर करने वाली शिल्का गन के लिए बनाया गया यूआरएफ कूलेंट बखूबी काम कर रहा है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.डीएन त्रिपाठी ने बताया कि बोफोर्स तोप में फायरिंग के दौरान सील फटने की समस्या को दूर कर लिया गया है। अब शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस नीचे या 55 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान हो तो भी इसकी सील लीक नहीं होंगी। फ्लोरो सिलिकान के जरिए इसे मजबूत किया गया है। सेंट्रल प्रूफ इस्टैबलिशमेंट इटारसी में उसका परीक्षण हो गया है। अब शून्य से नीचे के तापमान के लिए परीक्षण होना बाकी है।

तकनीकी अधिकारी हरजीत सिंह ने बताया कि एयरक्राफ्ट में तापमान काफी ज्यादा होता है। ऐसे में सबसे ज्यादा सील लीकेज की समस्या रहती है। अब कावेरी इंजन के पा‌र्ट्स विशेष मैटीरियल से तैयार किये जा रहे हैं। इसके साथ ही रबर सील बेहतर की गयी हैं। लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट के लिए इंजेक्टर शट आफ वाल्व, असेंबली, गियर बाक्स आदि के लिए कार्बो ग्रेफाइट मैटीरियल से सील बनायी गयी हैं। यह 600 डिग्री सेल्सियस पर भी काम करता है और इसमें स्वत:ल्युब्रीकेंट भी निकलता रहता है।

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ताकि फिर न किसी कल्पना चावला को गंवानी पड़े जान

कानपुर : अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला तो याद होंगी जिनका स्पेस शटल वायुमंडल में प्रवेश के वक्त आग लगने से स्वाहा हो गया था। अब ऐसे हादसों को टाइल्स रोकेंगी। स्पेस शटल और मिसाइल्स को बाहरी ऊष्मा से आग लग जाती है। डीएमएसआरडीईवैज्ञानिकों ने बताया कि ने ऐसी ऊष्मारोधी टाइल्स तैयार की हैं जो 1800 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान से मुकाबले में सक्षम होंगी। इन्हें स्पेस शटल या मिसाइल के बाहरी हिस्से में कुछ यूं लगाया जाएगा कि कहीं भी ऊष्मा टकराने से आग नहीं लगेगी। इसी तरह मिसाइल की नोजकोन पर सिलिकान वार्निश हाई हीट रजिस्टेंस पेंटिंग से फायदा होगा कि बाहरी तापमान की गर्मी भीतर नहीं जाएगी। इसके अलावा हाइपर सोनिक एयरक्राफ्ट और मिसाइल्स के हाइड्रोकार्बन फ्यूल के लिए विशेष पदार्थ तैयार किये गये हैं। यह मिलाने पर ईधन कम लगता है।

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