छिन गया फुटपाथ के राही का अधिकार
कुशीनगर : सड़कों पर फर्राटा भरते वाहनों का खौफ हर किसी के मन में है। आए दिन हो रहे हादसों से हर कोई द ...और पढ़ें

कुशीनगर : सड़कों पर फर्राटा भरते वाहनों का खौफ हर किसी के मन में है। आए दिन हो रहे हादसों से हर कोई दहशतजदा है। घर के बाहर पग पड़ते ही सर्र.सर्र..निकलती गाडि़यां सिहरन पैदा करती हैं। पद यात्रियों के अधिकार पर डाका डालने वाले मौज में है। दो, तीन, चार पहिया वाले वाहनों के लिए तो पक्की सड़कें बनी हैं। फुटपाथ भी पद यात्रियों के लिए है, लेकिन दोनों अतिक्रमण की जद में है। लिहाजा फुटपाथ कहीं दिखता ही नहीं।
सड़क पर हो रही मौतों से आए दिन किसी का सुहाग उजड़ रहा, किसी मां की गोद सुनी हो रही, तो किसी बाप के बुढ़ापे की लाठी असमय छीन जा रही। सड़क पर पैदल चलना सुरक्षित नहीं है। फुटपाथ पर हर ओर कब्जा है। इस समस्या को बगैर जनसहयोग के नहीं दूर किया जा सकता।
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यूं ही नहीं हो रही मौतें
-छोटे लाल चौहान कहते हैं फुटपाथ पर चलने वालों की संख्या वाहनों पर चलने वालों से तनिक भी कम नहीं है। दिनों दिन बढ़ते वाहन सड़कों पर पूरी तरह से काबिज हैं। विवश होकर पद यात्रियों को बच बचाकर पिच सड़क पर चलना पड़ता। तेज गति से दौड़ लगा रहे वाहनों के चपेट में आए दिन हो रही दुर्घटनाओं से मौत की संख्या तेजी से बढ़ी हैं। फुटपाथ खाली रहता तो मार्ग दुर्घटनाओं में वृद्धि न होती।
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तय हो पेनाल्टी
-संजय दूबे कहते हैं नगर, उप नगर, कस्बा ही नहीं गांवों में भी फुटपाथों को कब्जा मुक्त करना चाहिए। कब्जा करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई व आर्थिक दंड का प्रावधान जब तक नहीं होगा तब तक जागरुकता क्षणिक होगी। कहा कि सभी लेखपालों को अपने-अपने क्षेत्रों में फुटपाथ को कब्जा मुक्त करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर जिम्मेदारी तय कर देनी चाहिए। इसका नियमित अनुश्रवण तहसील स्तर पर करने व कब्जा करने वालों से सख्ती से निपटने की प्रशासनिक पहल होनी चाहिए।
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सुरक्षित नहीं इंसान
-मनोज चौरसिया कहते हैं इंसान कही भी सुरक्षित नहीं है। हां पहल करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कहते हैं। पडरौना नगर में फुटपाथ की अवधारणा नहीं बन पा रही है। इसका मुख्य कारण सड़क किनारे अस्थाई कब्जा होना है। फुटपाथ ठेला, टेंपो, गैराज, शीतल पेय, सब्जी की दुकान, पटरी कारोबारी के गिरफ्त में है।

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