Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कष्टों का हरण करतीं मां परहुल देवी

    By Edited By:
    Updated: Thu, 25 Sep 2014 08:34 PM (IST)

    कानपुर देहात, जागरण संवाददाता : मैथा ब्लाक के लम्हरा गांव में रिंद नदी किनारे स्थित मां परहुल देवी मंदिर आल्हा काल की यादे संजोये है। मान्यता है कि मां परहुल देवी के दरबार में मत्था टेकने वालों के हर कष्ट दूर हो जाते हैं। मन्नत पूरी होने पर नवरात्र में भक्त घंटे चढ़ाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लम्हरा गांव के पास रिंद नदी की तलहटी स्थित आल्हा कालीन परहुल देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। नवरात्र की अष्टमी पर बड़ी संख्या में दूरस्थ जनपदों व गैर प्रांतों से श्रद्धालु आकर मन्नतें मानते हैं। किवदंती के अनुसार आल्हा ने विजय कामना के लिए मंदिर में सोने का ज्योति कुण्ड बनवाया था। मंदिर में अखंड ज्योति की रोशनी कन्नौज के राजमहल तक जाती थी। इससे परेशान रानी पद्मा के कहने पर ऊदल ने अखंड ज्योति बुझाने के साथ ज्योति कुण्ड को रिंद नदी में फेंक दिया था। आल्हा में लाला भगत का मुर्गा मारो, परहुल दिया बुझावौ जाय की पंक्तियो में इसका उल्लेख मिलता है। किवदंती यह भी है कि आज भी मंदिर में रात्रि में दीपक की रोशनी होती है और प्रात: काल कपाट खुलने पर नौमुखी देवी मूर्ति पूजित व सफेद व गुलाबी जंगली फूल चढ़े मिलते हैं। मनौतियां पूरी होने पर नवरात्रि की अष्टमी पर घंटे चढ़ाने को भक्तों की भीड़ रहती है।

    ऐसे पहुंचे मंदिर : शिवली-रूरा मार्ग पर गहलौं से आग रिंद नदी पुल के पास मंदिर मार्ग है। कन्नौज से आने वाले श्रद्धालु गहिरा चौराहे से गहलौं संपर्क मार्ग से मंदिर पहुंचते हैं। रूरा रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद नहर पुल से बस या टेंपो से मंदिर पहुंचा जा सकता है।