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    बाजार में डंप पड़े हैं 100 करोड़ के सिक्के, कोई लेने को तैयार नहीं

    By amal chowdhuryEdited By:
    Updated: Thu, 29 Jun 2017 10:06 AM (IST)

    बैंकों के करेंसी चेस्ट में सिक्के रखने की जगह नहीं बची है और बैंकों ने सरकारी विभागों की तरफ से जमा होने वाली रकम में सिक्के लेने से मना कर दिया है।

    बाजार में डंप पड़े हैं 100 करोड़ के सिक्के, कोई लेने को तैयार नहीं

    कानपुर (जागरण संवाददाता)। मुद्रा प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाने वाला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) सिक्कों के प्रबंधन में फेल हो गया है। नोटबंदी के दौरान आरबीआइ के खजाने से निकले करोड़ों रुपये के सिक्के बैंक, विभाग और जनता के सिर पर बोझ बन गए हैं।

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    बैंकों के करेंसी चेस्ट में सिक्के रखने की जगह नहीं बची है और बैंकों ने सरकारी विभागों की तरफ से जमा होने वाली रकम में सिक्के लेने से मना कर दिया है। इसके चलते विभाग आम जनता से सिक्के नहीं ले रहे हैं। बैंक बड़े व्यापारियों से भी सिक्के नहीं ले रहे, इसलिए बड़े व्यापारी छोटे व्यापारियों से सिक्के नहीं ले रहे और इसका असर बाजार में दिख रहा है।

    बाजार में मुद्रा (करेंसी और सिक्के) उचित मात्र रहे और कमी या अधिकता न हो, इसका प्रबंधन करने का काम भारतीय रिजर्व बैंक का है। नोटबंदी के दौरान कैश की किल्लत को देखते हुए आरबीआइ ने अपने खजाने में रखे सारे सिक्के निकाल कर जनता को दे दिए। तब पैसों की कमी से जूझ रही जनता और व्यापारियों ने सिक्कों को भी हाथोंहाथ लिया। अब यही सिक्के जनता का सिरदर्द बन गए हैं।

    बाजार से मिले औसत आंकड़ों और करेंसी चेस्टों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय बैंकों के करेंसी चेस्ट, जनता से कैश में डील करने वाले विभाग और जनता 100 करोड़ रुपये से अधिक के सिक्कों के बोझ तले दबे हैं।

    सिक्के डंप होने से कारोबार को बड़ा झटका: बाजार में सिक्के डंप होने से कारोबार को झटका लग रहा है। किराना बाजार में होलसेल का काम करने वाले व्यापारियों के पास एक से दो लाख रुपये तक के सिक्के डंप हैं तो फुटकर सामानों के थोक विक्रेता के पास 50-60 हजार रुपये तक के। स्टाकिस्ट और एजेंसियों के पास चार से पांच लाख रुपये डंप हैं और उन्हें कर्मचारियों के वेतन के रूप में निकाला जा रहा। सेल्समैन के पास भी सिक्के हैं और वह दुकानदार से सिक्के नहीं ले रहे।

    बैंकों के पास भी भरमार: बैंकों की करेंसी चेस्ट की बात करें तो सूत्रों के अनुसार एसबीआइ में करीब सात करोड़, पीएनबी में तीन करोड़, बैंक आफ बड़ौदा में ढाई करोड़, यूनियन बैंक में करीब दो करोड़, इलाहाबाद बैंक में करीब एक करोड़, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया में करीब दो करोड़ रुपये के सिक्के डंप पड़े हैं।

    क्या कहते हैं अधिकारी:
    जब तक हमारा सेवा प्रदाता बैंक हमारे पास जमा सिक्के नहीं लेता, हम जनता से सिक्के नहीं ले पाएंगे। केस्को के पास सात-आठ लाख रुपये के सिक्के जमा हो गए हैं। इसका असर हमारे राजस्व पर पड़ रहा है। हम इस पैसे का उपयोग नहीं कर पा रहे है और हमें नुकसान उठाना पड़ रही है।
    - आशुतोष निरंजन, प्रबंध निदेशक, केस्को

    हमारे पास सिक्के रखने की जगह नहीं है। जब जगह नहीं होगी, तो सिक्के कहां रखेंगे। जब तक चेस्ट खाली नहीं होंगी, सिक्के जमा करना मुश्किल होगा। व्यावहारिक तौर पर जितने सिक्के जमा हो सकते है किए जाएंगे। अगर किसी को शिकायत है तो वह हमें जानकारी दे।
    - एसके सिंह, डीजीएम, पंजाब नेशनल बैंक

    भारतीय रिजर्व बैंक केवल स्वायल्ड नोट और अनकरंट सिक्के (प्रचलन से बाहर) ही स्वीकार करता है। चलने योग्य सिक्के या नोट वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। कोई भी बैंक, संस्था, व्यक्ति भारतीय मुद्रा को अस्वीकार नहीं कर सकता। अगर कोई बैंक सिक्के लेने से मना कर रहा है तो उसके खिलाफ सक्षम अधिकारी के समक्ष शिकायत की जा सकती है।
    - दीपेश तिवारी, प्रबंधक संचार, भारतीय रिजर्व बैंक