Move to Jagran APP

फर्जी मुकदमों पर लगाम लगाएगी अग्रिम जमानत

By Edited By: Published: Wed, 19 Feb 2014 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2014 09:54 PM (IST)
फर्जी मुकदमों पर लगाम लगाएगी अग्रिम जमानत

केस नंबर-1: दबौली गांव निवासी चतुर सिंह के भाई धर्मेद्र उर्फ पप्पू का 20 अप्रैल 07 को अपहरण हो गया। उन्होंने रवि यादव और पिंटू को आरोपित किया। कोई तहरीर दिए बिना ही गांव चले गए। तीन माह बाद वापस आए और किरायेदार गोपाल मिश्रा के खिलाफ तहरीर दी। तहरीर में उन्होंने रवि और पिंटू का नाम हटाने की बात लिखी जबकि रामगोपाल ने पप्पू को अंतिम बार इन दोनों के साथ देखा था। छह साल जेल काटने के बाद अदालत ने रामगोपाल को बरी कर दिया।

loksabha election banner

केस नंबर-2: रावतपुर के भारती ज्ञानस्थली स्कूल में हुए दिव्याकांड मामले में पुलिस ने दिव्या के पड़ोसी मुन्ना को मुख्य अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया जबकि दिव्या की मां सोनू भदौरिया उसे निर्दोष बताती रहीं। जांच सीबीसीआईडी को दी गई जिसमें मुन्ना बेकसूर निकला। पुलिस की यातनाएं और कई माह जेल काटने से गरीब मुन्ना इस कदर दहशत में था कि रिहा होने के बाद वह परिवार समेत घर छोड़कर चला गया।

---------

आलोक शर्मा, कानपुर:

कानून के लिए आम आदमी का मान सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता मायने रखती है लेकिन पुलिस थानों में शायद इसके कोई मायने नहीं। कम से कम उक्त दो मामले तो यही प्रदर्शित कह रहे हैं। हालांकि कानूनविदों ने इसी सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए अग्रिम जमानत की व्यवस्था दी थी लेकिन प्रदेश में यह व्यवस्था 28 नवंबर 1976 को निलंबित कर दी गई थी। लागू होती तो शायद इनका सम्मान बच जाता।

वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा के मुताबिक मांग के चलते मई 2010 में प्रदेश सरकार द्वारा बनायी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अग्रिम जमानत लागू किए जाने की संस्तुति भी की। 2012 में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसवीएस राठौर की दो सदस्यीय खंडपीठ ने भी योगेंद्र सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश में अग्रिम जमानत की व्यवस्था तत्काल बहाल करने के आदेश दिए थे, लेकिन हुआ कुछ नहीं।

क्या है अग्रिम जमानत : सीआरपीसी की धारा 438 में अग्रिम जमानत का प्रावधान है। कोई भी व्यक्ति जिसे खुद को गलत तरीके से फंसाये जाने की आशंका हो वह अग्रिम जमानत के लिए अपील कर सकता है। अदालत सुनवाई के बाद सशर्त अग्रिम जमानत दे सकती है। यह जमानत पुलिस की जांच होने तक जारी रहती है।

तो खारिज हो सकती जमानत : अग्रिम जमानत पर रहने वाला व्यक्ति अगर मामले में गवाह व साक्ष्य आदि तोड़ने का प्रयास करता है तो पुलिस कोर्ट में उसके खिलाफ प्रार्थनापत्र देगी। कोर्ट दोषी पाने पर जमानत खारिज कर सकती है।

----------

अधिवक्ताओं की राय

वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक अग्रिम जमानत लागू होने से आम आदमी को राहत मिलनी तय है वहीं माफिया व अपराधियों को भी इसका लाभ मिलेगा लेकिन कानून में निर्दोष को इंसाफ की अवधारणा सफल होगी। अधिवक्ता मो. आसिफ खान के मुताबिक इसके लागू होने से मासूम और बेगुनाह लोगों का बचाव होगा। अभी रंजिशन फंसाए जाने पर बेगुनाह जेल में ही महीनों गुजार देते हैं।

------------------

इन मामलों में मिल सकेगी राहत

-156(3) के तहत दर्ज होने वाले -कंपनियों के खिलाफ दर्ज होने वाले

-एससीएसटी के तहत दर्ज होने वाले -दहेज के मुकदमों में

-राजनैतिक मामलों में।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.