दावों की 'भीड़' में पिछड़े शहरी
कानपुर, नगर प्रतिनिधि: कानपुर में शनिवार को हुई भाजपा की पहली चुनावी रैली को आयोजक सफल मान रहे हैं। रैली में भीड़ जुटाने के लिए विगत दस दिनों से विधायक, पदाधिकारी ताकत झोंकने में लगे थे। रैली में भीड़ तो जबर्दस्त हुई लेकिन शहरी क्षेत्र के चेहरे ओझल रहे। साफ कहा जाए तो ग्रामीण और अन्य जिलों से आई भीड़ ने लाज बचा ली।
दोपहर एक बजे से इंदिरा नगर के मैदान में शुरू हुई रैली के मिजाज ने पौने दो बजे तक वरिष्ठों के होश उड़ाए रखे। सभी को लगा कि रैली के लिए किए दावे खोखले न रह जाएं। दो बजते ही कन्नौज, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात, कानपुर ग्रामीण, औरैया, इटावा, फतेहपुर जिलों के अलावा कानपुर नगर के दूरस्थ इलाकों महाराजपुर, भौंती, चौबेपुर, शिवराजपुर, मंधना आदि क्षेत्रों की भीड़ आनी शुरू हुई तो नेताओं की जान में जान आई। लेकिन इस भीड़ में कनपुरियों की संख्या काफी कम रही। विधायक सतीश महाना ने दावा किया कि महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र के साथ ही अन्य क्षेत्रों से रैली में काफी संख्या में बसें और मोटर साइकिलों से भीड़ लाए। लेकिन रैली में उनकी टोपी, टीशर्ट और झंडे न के बराबर दिखे। छावनी विधायक रघुनंदन भदौरिया ने 25 बसें, तीन सौ मोटर साइकिल, चार पहिया गाड़ियों से करीब दस हजार की भीड़ आने का दावा किया, ये भी वास्तविकता में पीछे रहा। आर्यनगर से विधायक सलिल विश्नोई व कार्यकर्ताओं ने भीड़ जुटाने की व्यवस्था की थी। लेकिन पुलिस ने गुरुदेव चौराहे के पास ही रोक दिया। विधायक सत्यदेव पचौरी ने दावा कि काफी संख्या में बसें, टेंपो लगाई गईं थीं। ऐसा ही दावा पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार ने भी किया। किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र से जिला मंत्री भूपेन्द्र त्रिपाठी के नेतृत्व में बर्रा मंडल, निराला नगर और किदवई नगर मंडल से भारी संख्या में लोगों के पहुंचने का दावा किया गया।
लेकिन असली तस्वीर कुछ और ही रही।
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