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    बच्चों की पढ़ाई में आड़े नहीं आएगी गरीबी

    By Edited By:
    Updated: Thu, 19 Sep 2013 08:06 PM (IST)

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    कानपुर, हमारे संवाददाता: राजू का ख्वाब अपने बेटे को अफसर बनाना है पर उसकी पढ़ाई में गरीबी आड़े आ जाती है। इसीलिए वह बेटे को अपने साथ पंचर की दुकान में लगाए रहता है। हालांकि अब वह बेटे को पढ़ाएगा तो सरकार उसे 500 रुपये प्रतिमाह देगी। केंद्र सरकार की समेकित बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) शहर में राजू जैसे हजारों पिता का ख्वाब पूरा करने के लिए जल्द ही कार्य करना शुरू कर देगी।

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    केंद्र सरकार ने गरीब बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पुनर्वास के लिए समेकित बाल संरक्षण योजना शुरू की है। गरीब मां-बाप मजबूरी में बच्चों को दुकान, होटल व कारखानों में लगा देते हैं, जिससे बचपन के साथ बच्चों का भविष्य भी खराब होता है। योजना के तहत ऐसे मां-बाप अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे तो उन्हें 500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। मां-बाप के न होने पर अक्सर परिवार और रिश्तेदार बच्चों से किनारा कर लेते हैं। ऐसे बच्चों को पालने वाले परिवार को 750 रुपए प्रति माह मिलेंगे। वहीं अस्पतालों में शिशु पालना केंद्र खोले जाएंगे जिनमें मां बाप द्वारा त्यागे गए नवजात बच्चों को रखा जाएगा। अपराध में लिप्त और सड़क पर घूमते बच्चों के पुनर्वास के लिए एनजीओ की मदद से जिले में दो बालगृह खोले जाएंगे। काम करने वाले माता-पिता के बच्चों को भी इसमें रखा जाएगा। डीएम के नेतृत्व में काम करने वाली बाल संरक्षण समिति इस पूरे कार्य की निगरानी करेगी।

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    समेकित बाल संरक्षण योजना गरीब बच्चों के विकास और पुनर्वास को ध्यान में रखकर बनाई गई है। बाल संरक्षण समिति के गठन को प्रदेश सरकार से शासनादेश आ चुका है। समिति गठन के साथ ही योजना का लाभ गरीब बच्चों को मिलने लगेगा।

    आशुतोष कुमार सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी

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