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    ये कैसी जननी शिशु सुरक्षा योजना

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    Updated: Sun, 08 Apr 2012 10:21 PM (IST)

    अमरोहा (ज्योतिबाफुलेनगर)। जननी शिशु सुरक्षा योजना पर पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी नतीजा वही ढाक के तीन पात ही है। प्रसव हेतु अस्पताल में भर्ती होने वाली गर्भवती महिलाओं को न तो खाना मिल रहा है और न ही सरकारी वाहन की सुविधा। खाने से लेकर वाहन तक की व्यवस्था प्रसूता के परिजनों को ही करनी पड़ती है जबकि इसकी जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की है लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते पात्र महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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    गौरतलब है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत जिला स्तर पर प्रथम संदर्भन इकाई सीएचसी अमरोहा और गजरौला में जननी शिशु सुरक्षा योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत प्रसव हेतु अस्पताल में भर्ती होने वाली गर्भवती महिलाओं को भोजन देने व प्रसव उपरांत जच्चा और बच्चा को सरकारी वाहन से घर पहुंचाने की सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी संबंधित अस्पताल प्रशासन को सौंपी गई है। योजना के तहत संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अस्पताल प्रशासन द्वारा एनजीओ को भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं जच्चा और बच्चा को घर पहुंचाने के लिए निजी वाहन संचालकों से अनुबंध किया गया है। प्रत्येक महिला के एक दिन के भोजन पर दो सौ रुपए का खर्च निर्धारित किया गया है। शासन द्वारा विभाग को शतप्रतिशत पात्रों को योजना का लाभ दिलाने के लिए निर्देशित किया गया है लेकिन विभागीय अनदेखी के चलते पात्र महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। रविवार को नगर सीएचसी में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। आज सुबह शहर के मोहल्ला अफगानान निवासी मोबीन की पत्‍‌नी इशरती को प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने उसे नगर सीएचसी में भर्ती कराया। सुबह नौ बजे डिलीवरी हुई। इशरती ने बेटी को जन्म दिया। इसके बाद उसे महिला वार्ड में पहुंचा दिया गया। दोपहर तक उसे अस्पताल में न तो चाय मिली और न ही नाश्ता, जबकि योजना के तहत नाश्ते में चाय, दूध दलिया आदि खाद्य वस्तुएं दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इशरती को न तो चाय दी गई और न ही दूध व दलिया। परिजनों ने फोन कर घर से उसके लिए चाय मंगवाई। बाद में घर से दलिया भेजा गया। सच तो यह है परिजनों को ही अपने पैसों से चाय नाश्ते से लेकर वाहन का बंदोवस्त करना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन तो योजना के नाम सिर्फ कागजों का पेट रहा है। इस बारे में चिकित्सा अधीक्षक डा. अशोक कुमार का कहना है कि एनजीओ का अनुबंध खत्म हो गया है। नये सिरे से अनुबंध करने के लिए एनजीओ द्वारा विभाग में आवेदन किया जा चुका है, मगर इसके बाद भी पात्रों को भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है।

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    योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाएं

    -नि:शुल्क भोजन

    -नि:शुल्क खून, पेशाब आदि की जांचें

    - घर पहुंचाने के लिए नि:शुल्क वाहन की व्यवस्था

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