जागरण इन्फो
जागरण विचार : समस्याओं को आमन्त्रण देते कुछ लोग वाहनों की ऱफ्तार सीमा से अधिक चलाकर अपने साथ-साथ दूसरों की जान भी जोख़्िाम में डालते हैं। क्या कभी इस बात पर विचार किया है कि ऐसे में होने वाली दुर्घटना के लिये किसे ़िजम्मेदार ठहराएंगे?
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जागरण टिप्स का लोगो
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सुरक्षित ऑनलाइन शॉपिंग के 10 नुस्ख़्ो
इण्टरनेट के दौर में शॉपिंग की सुविधा आम लोगों की पहुँच में हो गई है। शॉपिंग साइट्स के ़जरिये विभिन्न वस्तुओं और उसकी ़कीमतों के बारे में अलग-अलग साइट्स पर जाँच-परखकर कर कि़फायती दाम पर ख़्ारीदारी कर सकते हैं, लेकिन इस प्रकार की शॉपिंग के लिये थर्ड पार्टी से आपको अपनी निजी जानकारियों को शेयर करना होता है। सुरक्षा का देखते हुए ़जरूरी है कि सुनिश्चित कर लिया जाए कि आपका ट्रांजैक्शन सुरक्षित है या नहीं?
0 अपने कम्प्यूटर या लैपटॉप को हमेशा अपडेट रखें। वेब ब्राउ़जर समेत सभी सॉफ्टवेयर ख़्ासकर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का भी करण्ट व़र्जन अपडेट रखें, ताकि कोई भी आपकी सिक्योरिटी और पासवर्ड आदि न चुरा सके।
ट्राजैक्शन सुरक्षित है या नहीं?
किसी वेब पेज पर कॉन्फिडेन्शियल जानकारियाँ डालने से पहले सुनिश्चित कर लें कि साइट डेटा सिक्योरिटी के लिये उपयोग की जाने वाली एनक्रिप्सन उपयोग करती है या नहीं। सुरक्षा के संकेत के रूप में वेब अड्रेस में 'एस' होना चाहिये। 'एस' का अर्थ होता है 'सिक्योर' या 'सुरक्षित'। साथ ही इसमें एक ताले का निशान भी होता है, जो सुरक्षित होने का संकेत होता है।
0 अलग-अलग अकाउण्ट के लिये अलग-अलग पासवर्ड का प्रयोग करें।
0 पासवर्ड को सेफ रखने के लिये उसे समय-समय पर बदलते रहना चाहिये। कोशिश करें के पासवर्ड आठ कैरेक्टर का ही हो।
0 अपनी यू़जर आइडी और पासवर्ड बिना किसी ठोस व़जह के किसी अन्य से शेयर न करें।
0 अपने सुरक्षित ट्रांजैक्शन के लिये प्रयोग किये जाने वाले वेबसाइट के डिजिटल पेज को अवश्य चेक कर लें। यह एक लोगो होता है, जिस पर क्लिक करते ही आप साइट की वैधता के बारे में पता कर सकते हैं।
0 पब्लिक प्लेस पर किसी भी प्रकार के ट्राजैक्शन से बचें। कोशिश करें के पब्लिक प्लेस पर वायरलेस नेटवर्क की बजाय हमेशा अपना पर्सनल नेट ही प्रयोग करें।
0 आपकी कॉन्फिडेन्शियल जानकारी माँगने वाली साइट्स का जवाब कतई न दें। भी सन्देह होने पर सम्बन्धित बैंक या कार्यालय को इसकी सूचना दें और उस ईमेल को डिस्कार्ड कर दें।
0 किसी भी ऑनलाइन पेमेण्ट या शॉपिंग के बाद अपना ई-मेल चेक अवश्य करें। अक्सर शॉपिंग साइट्स ख़्ारीदारी के बाद कर्न्फमेशन मेल आपके द्वारा बताई गई ई-मेल आइडी पर अवश्य भेजती है, जो आपके सुरक्षित ट्रान्जेक्शन का संकेत है।
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लोगो : बातें विज्ञान की
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नॉन स्टिक बर्तनों की फोटो
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ऐसे लगाई जाती है नॉन स्टिक बर्तनों में काली परत
आजकल के दौर में खाना बनाने के लिये नॉन स्टिक बर्तनों का प्रयोग बढ़ गया है। इनकी ख़्ासियत होती है कि इनमें खाना ़जल्दी और बिना जले बन जाता है, लेकिन मन में सवाल उठता है कि आखिर इस परत में ऐसी क्या चीज है, जो गैस पर रखे जाने के बाद भी खाने को जलने और चिपकने से बचाती है। वास्तव में खाना पकाने के लिये नॉन स्टिक बर्तनों में टैफ्लॉन की परत चढ़ी होती है। टैफ्लॉन एक बेहद कठोर पदार्थ होता है, जो विद्युत का कुचालक तो होता ही है, साथ में इस पर अम्ल, क्षार और ऊष्मा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। रासायनिक रूप में टैफ्लॉन किसी भी चीज से नहीं चिपकता, लेकिन बर्तनों पर चढ़ाये जाने के लिये इन पर एक विशेष प्रकार की तकनीक काम करती है। टैफ्लॉन की परत चढ़ाने के लिये सबसे पहले इसे उच्च ताप पर गर्म किया जाता है, जिससे पिघला हुआ टैफ्लॉन समान रूप से बर्तन के चारों ओर फैल जाए। नॉन स्टिक बर्तनों के निर्माता सबसे पहले सही साइ़ज में बर्तन बनाते हैं, और जिस ओर टेफ्लॉन कोटिंग होनी होती है, उस सतह को खुरदुरा ही रखते हैं। इसके बाद खुरदुरी सतह पर प्राइमर की कोटिंग कर दी जाती है। इस प्राइमर की कोटिंग पर पिघले हुए टैफ्लॉन का गर्म घोल समान रूप से डाल देते हैं। खुरदुरी सतह होने के कारण टैफ्लॉन सतह पर मौजूद छेदों में भर जाता है और ठण्डा होने पर एक सतह के रूप में हमेशा के लिये जम जाता है। इस परत के कारण तेल की खपत भी कम होती है और इन बर्तनों की स़फाई भी आसान होती है।
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आज का इतिहास
0 1918 को यूनाइटेड स्टेट कांग्रेस ने टाइम ़जोन स्थापित कर डेलाइट सेविंग टाइम को सहमति प्रदान की।
0 1931 को नेवादा शहर में जुआ खेल को वैध माना गया।
0 1931 को सिडनी हार्बर ब्रिज आम जनता के लिये खोला गया।
फाइल : शिखा पोरवाल
समय : 4:00
18 मार्च 2014
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