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    चिंतन में आवेदक : गलती, साजिश या 'जुगाड़'

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    Updated: Thu, 24 Jan 2013 12:51 AM (IST)

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    उरई, कार्यालय संवाददाता : प्राथमिक विद्यालयों में प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति हेतु जारी की गई रैंकिंग सूची सवालों के घेरे में आ गई है। इसने आवेदकों को सोच में डाल दिया है जिससे गलती, जुगाड़ या साजिश जैसे प्रश्न उनके मन में उठने लगे है।

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    केस-1

    एक महिला अभ्यर्थी ने विकलांग कोटे से फार्म भरे है। 75 जिलों में करीब डेढ़ सौ फार्म भरे गये है। एक ही जिले से कई-कई फार्म डाले गये है। संभव है कि इसमें कुछ गलती हो परंतु लगभग हर जिले में हालत यह है कि रैक एक सीरियल में न होकर अलग-अलग है और इसमें भी 6-10 हजार तक का अंतर है। अब सवाल है कि आखिर हर फार्म में गलती हो रही थी या यह जानबूझकर किया गया या फिर किसी विशेष प्रयास के चलते, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा। इसमें विकलांग कोटे से कई जगह चयन हो रहा है तो कई जगह सामान्य रैकिंग से ही चयन संभावित है।

    केस-2

    एक अभ्यर्थी की बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर में सामान्य रैक सवा-डेढ़ लाख से ऊपर है परंतु सोचनीय यह है कि उसको श्रावस्ती, सोनभद्र जैसे जनपदों में सामान्य सूची में ही पचासवीं रैकिंग मिल रही है। अब इस पर किसी को यकीन नहीं है, क्योंकि अगर उसका गुणांक ज्यादा है तब अन्य जनपदों में भी रैक अच्छी होती।

    केस-3

    एक अभ्यर्थी के अंक आवेदन में सही भरे हैं परंतु उसका इन्हीं अंकों के आधार पर एक जनपद में चयन होता दिख रहा है जबकि अन्य जनपदों में उसकी रैकिंग काफी कम आ रही है। यह भी सवालों के घेरे में आ रही है।

    बेसिक शिक्षा परिषद ने जिस तरह रैक सूची जारी की है उसको लेकर अभ्यर्थी काफी परेशान थे परंतु इस तरह के तमाम मामलों ने इस सूची पर यकीन करना मुश्किल कर दिया है। यही वजह है कि तमाम आवेदक गड़बड़ी की आशंका जाहिर करने लगे है। उनका कहना है कि किसी आवेदक के एक-दो फार्मो में गलती हो सकती है परंतु इतनी भी नहीं कि उसकी रैकिंग कहीं आसमान पर हो और कहीं जमीन पर। खासकर एक ही जिले से कई फार्म डालने वाले आवेदकों के मामले में कुछ आवेदकों ने कहा कि संभव है कि इन लोगों ने किसी जुगाड़ लगाने के चलते ऐसा किया हो। वहीं कुछ ने कहा कि यह चयन प्रक्रिया रोकने के लिए साजिश भी हो सकती है।

    इनसेट---

    जांच में हो जाएंगे रद्द

    उरई : जिन आवेदकों ने गलती से या फिर जानबूझकर अपनी मेरिट ज्यादा दिखाने की कोशिश की, वे काउंसलिंग में बाहर हो सकते है क्योंकि तब मूल कागजात देखे जाएंगे। वैसे इसमें किसी तरह की धांधली होने की गुंजाइश नहीं है। यही वजह है कि उनके अरमानों पर पानी फिर सकता है।

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