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    सातवें वेतन आयोग के लिए कर्मचारी हो रहे लामबंद

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    Updated: Tue, 14 Jun 2016 01:00 AM (IST)

    संवाद सहयोगी, हाथरस : आल इंडिया गवर्नमेंट इम्पलाइज कन्फेडेरशन की नेशनल काउंसिल की बैठक में लिए गए ...और पढ़ें

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    संवाद सहयोगी, हाथरस : आल इंडिया गवर्नमेंट इम्पलाइज कन्फेडेरशन की नेशनल काउंसिल की बैठक में लिए गए निर्णय के क्रम में सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों से निपटने की रणनीति बनाई गई है, जिसमें 17 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस विसंगति को लेकर पूरे देश में 11 जुलाई से प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल में राज्य कर्मचारियों के भाग लेने पर सहमति बनाई गई है। इसे लेकर कर्मचारी संगठनों को लामबंद करने की रणनीति तैयार की जा रही है, ताकि सरकार से अपनी मांगों को मनवाया जा सके।

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    राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामकुमार गोस्वामी ने बताया कि सातवें वेतन आयोग के संबंध में अभी तक कैबिनेट सचिव से हुई वार्ता में न्यूनतम वेतन में मामूली बढ़ोत्तरी के अलावा अन्य पर स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया है। जिससे नेशनल ज्वाइंट काउंसिल आफ एक्शन ने 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। देशभर के राज्य कर्मचारियों ने भी हड़ताल का समर्थन करते हुए उसमें कूदने का मन बना लिया है और हड़ताल की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा है कि 26 हजार की जगह 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन स्वीकार नहीं है। 1955 के श्रम सम्मेलन के सिद्धांत को तोड़ा जा रहा है। इस हड़ताल से रेलवे, पोस्टल, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी सेवाएं पूर्ण रूप से प्रभावित होंगी। 19 जून को महासंघ की जनरल बाडी की बैठक लखनऊ में होगी, जिसमें 11 जुलाई को ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों के भाग लेने के लिए दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। इधर आंदोलन को पैनी धार दिए जाने के लिए रामकुमार गोस्वामी विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों से लगातार संपर्क कर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं। ताकि सरकार को झ़ुकाने में सफलता मिल सके।