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    नदी की गोद में सूखा

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    Updated: Fri, 06 May 2016 01:56 AM (IST)

    गोरखपुर: गंगा का मैदानी इलाका, दुनिया की सबसे उर्वर भूमि, हिमालय से निकलने वाली व साल भर भरी रहने

    गोरखपुर:

    गंगा का मैदानी इलाका, दुनिया की सबसे उर्वर भूमि, हिमालय से निकलने वाली व साल भर भरी रहने वाली नदियां, घने जंगल, अंग्रेजों के जमाने का सी ग्रेड का हिल स्टेशन। हिमालय की तराई में स्थित इस क्षेत्र की ये खूबियां बीते जमाने की बातें हैं। हाल के वर्षो का सच यह है कि घाघरा, राप्ती, कुआनों, आमी, गंडक आदि नदियों की गोद और ताल-तलैया से भरपूर इस क्षेत्र में सूखे के हालात हैं। धीरे-धीरे ही सही पानी के लिहाज से बेहद संपन्न पूर्वाचल बुंदेलखंड की राह पर है। आंकड़े ही नहीं, हालात चीख-चीख कर इसकी गवाही दे रहे हैं। सूखे ताल, पोखरे और नालों में तब्दील नदियां इसका प्रमाण हैं।

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    पूर्वाचल के केंद्र गोरखपुर क्षेत्र में मानसून के सीजन की औसत बारिश 1221 मिलीमीटर (मिमी) है। 1995 से 2015 तक बीस साल के आकड़ों पर गौर करें तो 1995 से 2002 के दौरान सिर्फ 1999 को छोड़ दें तो हर साल औसत से अधिक बारिश हुई।

    इसके बाद के वर्षो में ठीक इसका उलटा हुआ। 2002 से 2015 के दौरान 2008 को छोड़ दें तो हर साल औसत से कम बारिश हुई। पिछले दो वर्षो में 50 और 34 फीसद बारिश ही हुई। पिछले 13 वर्ष के बारिश के आंकड़ों का औसत निकालें तो गोरखपुर में मानसून के सीजन के औसत बारिश की मात्रा घटकर करीब 66 फीसद हो गई। यह खुद में खतरनाक संकेत है।

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    अब नहीं चेते तो देर हो

    जाएगी: प्रो.डीके सिंह

    गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के समन्वयक प्रोफेसर डीके सिंह के अनुसार इस हालात के लिए गुनाहगार भी हम सभी हैं। वर्षा जल के भंडारण के प्राकृतिक स्रोतों ताल, पोखरे, कुएं एवं नदियों की हाल के कुछ दशकों में बेहद अनदेखी हुई है। इसके नाते भूगर्भ जल लगातार नीचे जा रहा है। अवैध कटान की वजह से जंगल खोखले हो चुके हैं। हमने बाग तो काटे पर पेड़ नहीं लगाए।

    एक हेक्टेयर वन साल में करीब दो मैट्रिक टन आक्सीजन अवमुक्त करते हैं। ये बादलों को अपनी ओर आकर्षित कर वर्षा की वजह बनते हैं। अगर वन सघन हुए तो मूसलाधार बारिश का भी पूरा पानी जज्ब कर भूगर्भ जल का स्तर बढ़ाने में मददगार बनते हैं। साथ ही कार्बन डाईआक्साइड को अवशोषित कर ग्लोबल वार्मिग को भी कम करते हैं।

    पानी की राशनिंग, युद्ध स्तर पर पौधरोपण, कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार फसल चक्र में बदलाव और बारिश के पानी के प्रबंधन से हालात सुधारे जा सकते हैं।

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    मानसून के दौरान औसत 1221

    मिलीमीटर के सापेक्ष हुई वर्षा

    साल वर्षा फीसद में

    2002 855 70

    2003 784 64

    2004 882 72

    2005 853 70

    2006 734 60

    2007 1061 87

    2008 1405 115

    2009 575 47

    2010 1090 89

    2011 760 62

    2012 980 80

    2013 995 81

    2014 612 50

    2015 447 37

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    औसत 66 फीसद

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    (स्रोत कृषि विभाग गोरखपुर, वर्षा मिलीमीटर में)

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