चारा मिलेगा और चूल्हे को आग भी
गोरखपुर : आसानी से हर भूमि में उगने वाला 'सुबबूल' बहुपयोगी वृक्ष है। पोषक तत्वों से भरपूर इसकी पत्

गोरखपुर :
आसानी से हर भूमि में उगने वाला 'सुबबूल' बहुपयोगी वृक्ष है। पोषक तत्वों से भरपूर इसकी पत्तियां पशुओं के लिए बेहतर चारा है। खूबी ये कि यह गर्मी में उस समय मिलती हैं, जब चारे की भारी कमी रहती है। चारे के अलावा लकड़ी ईधन और घर बनाने के काम आती है। मेड़ पर ये बाड़ का काम करता है। सघन होने के नाते भूमि का कटान भी रोकता है।
दलहन कुल का होने के नाते इसमें नाइट्रोजन स्थिरीकरण का गुण होता है। ये खूबी टहनियों एवं पत्तियों में भी होती है। 4-5 साल बाद प्रति हेक्टेयर वृक्ष से 30-50 क्विंटल लकड़ी एवं 7-10 क्विंटल बीज से होने वाली आय बोनस है।
खेत कमजोर है तो प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की क्रमश: 20, 40 और 50 किग्रा मात्रा के प्रयोग से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है।
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इन बातों पर करें गौर
-सुबबूल के बीज की परत कड़ी होती है। परंपरागत रूप से बोने पर जमता देर में होता है, वह भी बेहतर नहीं। बेहतर जमता के लिए बीज को उबलते पानी में 2-3 मिनट के लिए डालकर निकाल लें। इससे ऊपरी परत मुलायम होने से जमता शीघ्र एवं बढि़या होता है।
-बीज को मार्च-अप्रैल में पालीपैक में लगाएं। जरूरत के अनुसार नमी बनाए रखें।
-जुलाई-अगस्त में तैयार पौधों को 45 सेंटीमीटर की लंबाई, चौड़ाई और गहराई वाले गढ्डे में लगाएं।
- मेड़ पर लगाने के लिए पौध से पौध और लाइन से लाइन की दूरी 3-4 मीटर रखें। साथ में दूसरी फसल लेनी है तो भी यही दूरी रखें।
-सघन खेती के लिए यह दूरी एक मीटर की होनी चाहिए।
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सुबबूल से होने वाला लाभ
-दलहन कुल का होने के नाते इसकी जड़े गहराई में जाकर पोषक तत्व लेती हैं। लिहाजा खेत की फसल से उसकी कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं होती।
-प्रति हेक्टेयर सुबबूल वायुमंडल से 125-200 किग्रा नाइट्रोजन लेकर भूमि में स्थिर करता है। इसकी पत्तियों और शाखाओं में भी नाइट्रोजन होता है। इसकी डेढ़ मीटर लंबी शाखा को भूमि में दबा देने उसकी उर्वरता बढ़ती है।
-2 से 3 मीटर की मानक दूरी पर लगाए गए पौधों की कटाई से हर वर्ष 50-60 क्विंटल हरा चारा मिलता है। सघन पद्धति से लगाए गए पौध की वर्ष में करीब आधा दर्जन बार छंटाई की जा सकती है। इससे प्रति वर्ग मीटर 5-6 किग्रा सूखा चारा मिलता है।
-पांच वर्ष के बाद एक हेक्टेयर से लकड़ी एवं बीज क्रमश 30-50 और 7 से 10 कुंतल प्राप्त होता है। इससे अतिरिक्त आय होती है।
-नैपियर घास, ज्वार, बाजरा और मक्का आदि सहफसल के रूप में ले सकते हैं। इनकी बढ़वार अच्छी होती है और प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है।
नोट-इसकी पत्तियों में 2-3 फीसद माइमोसिन मिलता है। इसके कुप्रभाव से बचने के लिए इसकी पत्तियों एवं बाकी चारों को अनुपात आधे-आधे का रखें।
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