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    दहशत के वो तीन घंटे

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    Updated: Sun, 10 Aug 2014 01:14 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर : नेपाल जा रही कोलकाता निवासी श्रीमती पी सेन की 5 साल की बेटी यहां पूर्वाचल एक्सप्रेस से उतरने के बाद भी दहशत में थी। वह मां की गोद से नीचे उतरने का नाम नहीं ले रही थी। मां की आंखें भी डबडबाई थीं। कुरेदने पर बोल पड़ी, बेटी ने उन हैवानों को देख लिया था। मैने तो जल्दी से उसे गोद में छिपा लिया। बंदूक की नोक पर तीन घंटे तक तांडव मचाया। उन्होंने कुछ भी नहीं छोड़ा, किसी को नहीं बक्शा। सूना गला और हाथ की अंगुलियां दिखाते हुए बोलीं, उन्होंने तो कान की बाली भी नोच डाली।

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    सदमें में सिर्फ पी सेन का परिवार ही नहीं था। बल्कि गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर एसी की दो बोगियों से उतरे 41 यात्री थे। शयनयान और साधारण बोगियों से उतरे यात्री भी डरे सहमे थे। उनके चेहरे पर खौफ चस्पा था। किसी के पास न पैसा था और न जेवर बचे थे। हां, लुटेरों ने उनके शरीर पर निशान जरूर छोड़ा था। कोलकाता से बस्ती जाने वाले यात्री संतोष कुमार ने अपनी गर्दन दिखाते हुए बताया कि चेन खींच लिया। नृपेंद्र कुमार ठाकुर के पास तो कुछ था ही नहीं। जो लेकर चले थे उसे लुटेरों ने पीटकर ले लिया। बी वन के यात्री अलंकार गुप्ता के परिवार के पास तो 1 लाख के जेवर थे, सब ले गए। श्रीमती आशा देवी तो 1 लाख का जेवर ही पहनी थीं। अंगुठियां तक निकाल लिए। इनके अलावा सैली सरकार, अनु और पवन, रवि शर्मा आदि यात्रियों की आपबीती रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा था। यात्रियों के अनुसार लुटेरों का कहना था कि हमलोग 3 घंटे लूटपाट करेंगे कोई आएगा नहीं। आराम से नकदी और जेवरात हमारे हवाले कर दो नहीं तो मारे जाओगे। ऐसे में लोगों का गुस्सा सिर्फ लुटेरों के खिलाफ ही नहीं था, बल्कि रेलवे पर भी था। उनका कहना है कि लुटेरों ने 3 घंटे जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं पहुंचा। रास्ते में भी किसी ने कुछ नहीं पूछा। गोरखपुर पहुंचने के बाद भी पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सुध नही ली।

    बता दें कि हावड़ा से चलकर गोरखपुर आने वाली 15047 पूर्वाचल एक्सप्रेस में झारखंड के जसीडीह स्थित तुलसीटांड़ में गुरुवार की रात 9 बजे के आसपास जमकर लूटपाट हुई थी।

    40 की संख्या में थे लुटेरे

    यात्रियों के अनुसार लुटेरे 40 की संख्या में थे। वे स्थानीय और युवा ही लग रहे थे। बोली भी झारखंड की थी। हां, सभी मुंह पर गमछा बांधे थे। किसी का चेहरा नहीं दिख रहा था। 25 से 30 एसी ए वन और एसी बी वन में थे। जबकि, 10 से 15 लुटेरे कोच के बाहर थे।

    एसी को ही बनाया निशाना

    लुटेरों ने एसी के दो कोचों को ही निशाना बनाया। सूत्रों की मानें तो उन्हें पहले ही जानकारी हो गई थी कि एसी बोगियों में बैंकाक से आ रहे कुछ यात्री पैसे और जेवर लेकर चल रहे हैं। कोलकाता के कुछ व्यवसायी भी हैं। लुटेरों ने साधारण बोगियों से चेन पुलिंग कर ट्रेन को घने जंगल में रोक दिया। फिर, कुछ चालक और गार्ड के पास चले गए कि वे ट्रेन न बढ़ा सकें। इस दौरान विरोध करने पर उन्होंने गार्ड और चालक को जख्मी भी कर दिया। फिर, एसी बोगियों के शीशे तोड़कर अंदर घुस गए। यात्रियों की मानें तो लुटेरों ने कुल 1 करोड़ की लूट की है। इसमें से 50 लाख के तो सिर्फ जेवर हैं।

    गोरखपुर में भी खून के छीटें

    झारखंड में यात्रियों के निकले खून के छीटें गोरखपुर तक पहुंच आए। बोगियों से निकाले गए कंबल, चद्दर, तकियों पर लगे खून के धब्बे घटना की भयावहता बयान कर रहे थे। टायलेट और कोचों में भी चारो तरफ खून पसरा था। यात्रियों के अनुसार लुटेरे कोच के शीशे तोड़कर अंदर घुसे। वे बंदूक के अलावा चाकू, छूरा और छोटे-छोटे असलहों से लैस थे। किसी के सीने पर तो किसी के सिर पर तमंचे लगाकर भद्दी-भद्दी गालियां देनी शुरू कर दी। दहशत में जो जिसके पास था निकालकर दे दिया। जिसने नहीं दिया उसे चाकू से घायल कर दिया। छीना-झपटी में कई यात्री घायल भी हो गए। सादे वर्दी में चल रहे आरपीएफ जवान ने विरोध किया तो उन्हें चाकू मारकर घायल कर दिया।

    ट्रेन 7 घंटे लेट, परिजन परेशान

    पूर्वाचल एक्सप्रेस 7 घंटे की देरी से शुक्रवार को दिन के 3 बजे गोरखपुर के प्लेटफार्म नंबर 7 पर पहुंची। इधर, उनके परिजन सुबह से ही परेशान थे। गोरखपुर निवासी नीरज अपने बहनोई को लेकर तो विकास अपनी मां के लिए परेशान थे। बड़हलगंज से आए मन्नू लाल गुप्त, बैजनाथ गुप्त, गंगा सागर और रमेश गुप्ता अपने बेटों को लेकर परेशान थे। उनके बेटे बैंकाक से घर आ रहे थे। ट्रेन के प्लेटफार्म पर लगते ही परिजन दौड़कर बोगियों में घुस गए। अपने लोगों को देखकर उनकी आंखे भर आईं।

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    कौशल ने दिखाया कौशल,

    सत्य और राम पिटते रहे

    एसी मैकेनिक कौशल किशोर ने अपना कौशल दिखाया तो कोच अटेंडेंट सत्यदेव भारती और रामकेवल तीन घंटे तक थप्पड़ ही खाते रहे। लुटरों ने जब शीशा तोड़ तो कौशल यह जान गए कि अब लूटपाट होने वाली है। ऐसे में उन्होंने भागकर कोच की बत्ती गुल कर दी। फिर, टायलेट में जाकर छिप गए। ऐसे में कुछ यात्रियों के सामान बच गए। लेकिन, दोनों अटेंडेंट खाना खा रहे थे। वे लुटेरों के हत्थे चढ़ गए। जो भी आता उन्हें एक थप्पड़ जरूर लगाता। रामसेवक के गाल तो सूज गए हैं। खड़ा नहीं हो पा रहा है। सत्यदेव की भी यही दशा है।

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