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    मधुमेह, बीपी, दर्द निवारक दवाएं गुर्दे के दुश्मन

    By Edited By:
    Updated: Thu, 13 Mar 2014 09:21 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

    गुर्दे की बीमारी गंभीर समस्या बनती जा रही है। देश की करीब आठ फीसद आबादी जहां इसकी चपेट में है वहीं पूर्वाचल में यह तादाद इससे कहीं ज्यादा है। गंभीर बात तो है बीमारी के लक्षण तब सामने आते हैं जब गुर्दे सत्तर से अस्सी फीसद क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं। तब तक इलाज बेहद कठिन होता है। जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम प्रश्न-पहर में जब गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. आनन्द बंका फोन पर जनता रूबरू हुए सवालों की झड़ी लग गई। एक तरफ गुर्दे के रोगियों ने अपनी बीमारी के इलाज के बारे में पूछा तो वहीं भारी तादाद में ऐसे लोग भी थे जो जानना चाहते थे कि ऐसा क्या किया जाए कि गुर्दे सलामत रहें। बीमारी के कारण व लक्षण पूछने वालों की फेहरिश्त भी काफी लंबी थी। डा. बंका ने सभी को जवाब से संतुष्ट किया। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप व दर्द निवारक दवाएं गुर्दे की बीमारी की बड़ी वजह हैं।

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    गुर्दे की तरफ कमर में तेज दर्द के बारे में पूछे गए सवाल पर डा. बंका ने बताया कि गुर्दे में संक्रमण की संभावना लगती है। सीरम क्रिएटनीन, यूरीन का परीक्षण व किडनी का अल्ट्रासाउंड कराएं। दर्द निवारक दवाएं डाक्टर की सलाह से लें।

    दो किडनी खराब, डायलिसिस के बावजूद सांस फूलने के सवाल पर बताया गया कि फेफड़े का एक्स-रे कराएं, हफ्ते में डायलिसिस की संख्या दो से बढ़ाकर तीन बार कराएं।

    एक व्यक्ति ने पूछा कि छह साल से गुर्दे में दस मिमी की पथरी है, पहले दर्द रहता है अब नहीं है क्या करें। बताया गया कि यदि गुर्दे में पथरी है तो उसे निकालना है या नहीं यह इस बात पर निर्भर है पेशाब में रुकावट है या नहीं, यदि गुर्दे में सूजन या परेशानी नहीं है तो छोड़ा जा सकता है। अल्ट्रासाउंड कराएं। गुर्दे में गांठ के सवाल पर कहा कि यदि एक किडनी में एक से अधिक गांठ हो या आकार बड़ा हो तब इलाज की जरूरत है। सीरम क्रिएटनीन की जांच कराएं।

    पचहत्तर वर्षीय व्यक्ति द्वारा शरीर में हल्के सूजन संबंधी सवाल पर बताया गया कि नमक व पानी की मात्रा कम करें। सीरम क्रिएटनीन, मूत्र में प्रोटीन की मात्रा की जांच कराएं। कोलेस्ट्राल से किडनी के पथरी के सवाल पर जवाब दिया गया कि सिर्फ कोलेस्ट्राल से पथरी का संबंध नहीं है। ज्यादातर लोगों में पथरी के बनने का कारण नहीं पता होता। बीस फीसद की वजह यूरिक एसिड है। एक बार यदि पथरी बन गई तो इसकी संभावना बार-बार होती है।

    दो साल के बच्चे के गुर्दे में पथरी बनने के सवाल पर बताया गया कि कुछ बीमारियों के चलते बच्चों के गुर्दे में पथरी बनती है। इलाज से ठीक हो सकता है।

    एक सवाल था कि कितने क्रिएटनीन पर डायलिसिस जरूरी होता है। डा. बंका ने बताया कि डायलिसिस कुछ बातों पर निर्भर करता है। कई मरीज 6-7 क्रिएटनीन पर सामान्य रहते हैं। कई को 5 तक क्रिएटनीन पहुंचने पर ही सांस फूलने, भूख न लगने, उल्टी की समस्या होती है।

    दोनों किडनी में 4.5 मिमी की पथरी, पेशाब में जलन की समस्या के बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि यदि किडनी में सूजन नहीं है तो 4.5 मिमी की पथरी से कोई दिक्कत नहीं होती। पेशाब में जलन की वजह संक्रमण हो सकता है। हर छह माह या साल भर पर अल्ट्रासाउंड कराते रहें। पेट में दर्द होने पर तुरंत दिखाएं। पर्याप्त पानी पीएं।

    मधुमेह पीड़ित ने पेट व पैर में सूजन के बारे में पूछा तो बताया गया कि चौबीस घंटे का मूत्र इकट्ठा कर प्रोटीन की जांच कराएं। एक बच्चे को पहले टायफायड, पेशाब में पीलापन, शरीर में सूजन, पेशाब में पस व प्रोटीन, दोनों गुर्दे में पथरी संबंधी शिकायत में बारे में पूछने पर बताया गया कि मूत्र में प्रोटीन की पथरी से संबंध नहीं, सीरम क्रिएटनीन व रक्त की जांच कराएं। गुर्दे के बायोप्सी की जरूरत पड़ सकती है। डायलिसिस पर चल रहे मरीज को भोजन में प्रोटीन की मात्रा अधिक लेनी चाहिए।

    दाहिने गुर्दे में तीन पथरी, गुर्दे में सूजन संबंधी सवाल पर जवाब दिया गया कि पथरी के साथ किडनी में सूजन हो तो सर्जरी से पथरी निकलवाने की जरूरत हो सकती है।

    पेशाब बार-बार व जोर लगाकर करने, कभी-कभी जलन के बारे में पूछने पर बताया गया कि पेशाब में संक्रमण हो सकता है। जांच कराएं। गुर्दे का अल्ट्रासाउंड कराएं।

    डायलिसिस कराने वाले मरीजों में हीमोग्लोबिन की मात्रा संबंधी सवाल पर बताया गया कि यदि हीमोग्लोबिन बारह से कम हो तो बढ़ाएं। डायलसिस के पहले बीपी की दवाएं न दें। गुर्दे की पथरी के मामले में परहेज के बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि रोजाना तीन से चार लीटर पानी पीएं, मूत्र को गाढ़ा न होने दें। मांसाहार, अंडा, पालक आदि से परहेज करें। अल्ट्रासाउंड कराएं।

    बच्चे के किडनी में संक्रमण, पैर व शरीर में सूजन संबंधी सवाल पर बताया गया कि पेशाब में प्रोटीन आने की शिकायत हो सकती है। गुर्दे की बायोप्सी करानी पड़ सकती है। गुर्दे में सिकुड़न, पीठ में हल्का दर्द के बारे में बताया गया कि सीरम क्रिएटनीन की जांच कराएं। इसी के आधार पर आगे का इलाज होगा।

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    गुर्दे की बीमारी के लक्षण

    -चेहरे, पैर, शरीर में सूजन

    -पेशाब में झाग

    - भूख न लगना

    -उल्टी या मितली, थकान

    - हड्डी में दर्द, सांस फूलना

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    बचाव

    - पर्याप्त पानी पीएं, दिन भर शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखें

    - मधुमेह व रक्तचाप को नियंत्रण में रखें

    - नमक कम लें

    - वजन नियंत्रण में रखें

    - नियमित व्यायाम करें

    - धूम्रपान न करें

    - बिना चिकित्सक की सलाह दर्द निवारक दवाएं न लें

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    इन लोगों ने पूछे सवाल

    आसिया सुल्ताना, देवरिया, मोनू गुप्ता गोरखपुर, साहब अली, रामकोला, हरिकेश गोरखपुर, जावेद महराजगंज, राजमणि त्रिपाठी, सहजनवा, हर्ष ओझा सिकरीगंज, राजकुमार पांडेय, सिद्धार्थनगर, योगेश यादव, देवरिया, बजरंगी लाल, कुशीनगर, पप्पू पाल कुशीनगर, सत्य प्रकाश पांडेय तमकुही, मन्नू कुमार बड़हलगंज, विश्वनाथ उपाध्याय बस्ती, विजय कृष्ण देवरिया, सुमन श्रीवास्तव कुशीनगर, रामनारायण देवरिया, विनोद गुप्ता देवरिया, संजय शुक्ला बस्ती, कर्मराज कसौधन, सिद्धार्थनगर, गोपाल रुद्रपुर, केएन गुप्ता खलीलाबाद, लियाकत अली कुशीनगर, जावेद मलिक गोरखपुर, एसपी त्रिपाठी गोरखपुर, अनिल पांडेय कप्तानगंज, अमन महराजगंज, मनोज कुमार देवरिया, रोहित सिंह बस्ती, गणेश प्रसाद खजनी, अश्वनी त्रिपाठी खजनी, वीरेंद्र यादव भरवलिया, हिमा गुप्ता देवरिया, पंकज गुप्ता मऊ, प्रतिभा गोरखपुर, हीरामणि भाटपाररानी, ममता गोरखपुर, प्रेम कुशवाहा लार।