पैटन टैंक उड़ाने वाली वीर अब्दुल हमीद की आरसीएल गन अब सार्वजनिक
वीर अब्दुल हमीद ने 1965 में जिस आरसीएल गन से पाकिस्तानी सेना के पैटन टैंकों को उड़ाया था, वह गन अब जनता के अवलोकनार्थ रखी गई है।
गाजीपुर (जेएनएन)। वीर अब्दुल हमीद ने सन 1965 में जिस आरसीएल गन से पाकिस्तानी सेना के पैटन टैंकों (अमेरिका निर्मित) को उड़ाया था, वह गन अब जनता के अवलोकनार्थ गाजीपुर स्थित पार्क में रखी गई है। इसको पहली बार सार्वजनिक किया गया है। यह गन जबलपुर से लाकर वीर अब्दुल हमीद पार्क में एक जीप पर स्थापित की गई है। रविवार को अमर शहीद के शहादत दिवस पर दुल्लहपुर के धामूपुर में राज्यपाल राम नाईक और आर्मी चीफ थल सेनाध्यक्ष विपिन रावत द्वारा वीर अब्दुल हमीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। उनकी पत्नी रसूलन बीबी का सम्मान किया गया। परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद अब्दुल हमीद को राज्यपाल व आर्मी चीफ द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करते ही मौजूद लोगों का रोम-रोम अब्दुल हमीद की वीरता को याद कर पुलकित हो उठा। पंडाल में कई लोगों की आंखें नम दिखीं।
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चार दिन में उड़ाए थे पांच टैंक
गाजीपुर के वीर अब्दुल हमीद की सेना में तैनाती 1954 में हुई थी। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने इसी आरसीएल गन से सात, आठ, नौ और दस सितंबर को अजेय माने जाने वाले पांच पैटन टैंकों का उड़ाया था। हालांकि इसी दौरान वह शहीद भी हुए थे। यह टैंक सामने से 18 इंच मोटी परत वाला था जबकि तब भारत की बेहद विनाशक मानी जानी वाले आरसीएल गन महज 11 इंच की मोटाई भेद सकती थी। हालांकि पैटन टैंक के पीछे का हिस्सा महज छह इंच मोटा था लिहाजा वीर अब्दुल हमीद ने जान की परवाह किए बगैर इसके पिछले हिस्से पर वार करने का निर्णय लिया। तरकीब काम कर गई और नतीजा इतिहास में दर्ज हो चुका है।
लिखा-पढ़ी के साथ परिवार को सौंपी आरसीएल गन
लोगों ने पैटन टैंक व आरसीएल गन के बारे में सुना तो बहुत था लेकिन इसे देखने का कभी मौका नहीं मिला था। रविवार को इसे देखने भीड़ उमड़ पड़ी। दरअसल, अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी की यह ख्वाहिश थी कि जिस गन से उनके सरताज ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे उसे यहां पार्क में रखा जाए। अंतत: पांच सितंबर की दोपहर कड़ी सुरक्षा में यह गन जबलपुर से हमीद पार्क गाजीपुर पहुंचाई गई। वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील अहमद बताते हैं कि इसे लाने के लिए आर्मी के अधिकारियों के साथ बाकायदा लिखा पढ़ी हुई है। इसे यहां के लिए पास कराया गया है, अब यह गन यहीं रहेगी। इसे लाने का मकसद यह कि युवा इससे प्रेरणा लें। पार्क में अभी यह खुले में है, जल्द ही छाजन बनाया जाएगा।
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