बंदरों के मारे ये कुंवारे बेचारे, गांव में बेटियां ब्याहने से कतराते हैं लोग
यहां किसी माफिया और गुंडों का नहीं बल्कि बंदरों का साम्राज्य चलता है। उनका खौफ इस कदर है कि इस गांव में लोग अपनी बेटियों का विवाह तक करने से कतराते हैं।
गाजीपुर (जेएनएन)। विचित्र किंतु शतप्रतिशत सत्य है यह। बंदर यहां कुंवारों की संख्या बढ़ा रहे हैं। यहां किसी माफिया और गुंडों का नहीं बल्कि बंदरों का साम्राज्य चलता है। उनका खौफ इस कदर है कि इस गांव में लोग अपनी बेटियों का विवाह तक करने से कतराते हैं। इससे गांव में दुल्हनों का अकाल पड़ा हुआ है। जी हां, दरअसल सादात ब्लाक के मिर्जापुर व आजमगढ़ के तरवां ब्लाक के बीच बहने वाली उदन्ती नदी के दोनों तरफ जंगल में हजारों की संख्या में बंदरों का साम्राज्य है।
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ऐसे में इनका आसपास के गांवों में इस कदर आतंक है कि लोग आने-जाने से कतराते हैं। गांव के लोगों को कहीं आना-जाना होता है तो समूह में ही निकलते हैं। ऐसे में कोई अपनी बेटी की शादी इन गांवों में नहीं करना चाहता। आंकड़े भी गवाह हैं इसके। तमाम लोगों की बिन ब्याहे उम्र बढ़ती जा रही है।इस बारे में गांव के प्रधान प्रतिनिधि किशोर यादव ने बताया कि हमारे तीन मौजा की आबादी 1500 है तो बंदरों की आबादी इससे बहुत ही ज्यादा है।
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लड़कों की शादी के लिए कोई तिलकहरू आता है तो उनके खाने-पीने के रखे सामानों को झपट्टा मारकर बंदर ले भागते हैं। सरैयां गांव के रामाश्रय उर्फ मटरू यादव, भोला, योगेंद्र यादव, सुभावती व आजमगढ़ के खरका गांव की हुभराजी आदि ने बताया कि बंदरों के आतंक से लड़कों की शादी में समस्याएं आती हैं। तमाम बिन ब्याहे लड़कों की बढ़ी उम्र इस बात की तस्दीक करती है। मिर्जापुर के पवहारी कुटी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक महेंद्र यादव व शिक्षिका अर्चना सिंह ने कहा कि बंदरों के कारण विद्यालय में बच्चे कम आते हैं।
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बच्चों को खाना छीन लेना उन्हें काट लेना आम बात है। करीब 40-50 बीघे का यह जंगल बंदरों का ठौर-ठिकाना है। मिर्जापुर के मौजे पवहारी कुटी, सरैयां व नौआताली और नदी के उस पार आजमगढ़ के खरका व वनगांव सहित अन्य गांव भी इन बंदरों से पूरी तरह से परेशान हैं। इनके आतंक के कारण कई घरों के टीनशेड, मड़इयां व कच्चे-पक्के मकानों की दशा बदतर हो गई है। ऐसे में किसान न तो ठीक से खेती कर पाते हैं ना ही फल-फूल उगा पाते हैं। यहां तक की आलू, मटर, गन्ना, जौ आदि तो इनके लिए सपनों के जैसी चीजें हो गई है।