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    डा. राही के बाद उबैदुर्रहमान का बड़ा नाम

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    Updated: Sun, 09 Feb 2014 06:33 PM (IST)

    गाजीपुर : चश्मे रहमत इंटर ओरिएंटल कालेज में रविवार को साहित्यकार उबैदुर्रहमान सिद्दीकी को उनके शोध कार्य के लिए सम्मानित किया गया। इस मौके पर पूर्वाचल विकास संस्थान की ओर से ' उबैदुर्रहमान एक मुहक्किक, एक अदीब' गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने उबैदुर्रहमान द्वारा जनपद के साहित्य और इतिहास पर किए गए शोध की सराहना की।

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    हमदर्द विश्वविद्यालय (दिल्ली) के कुलपति प्रो. तारिक असलम ने कहा कि उबैदुर्रहमान ने शोध के लिए जनपद में जिस तरह गांव-गांव जाकर पांडुलिपियां इकट्ठा की है वह सराहनीय है। डा.पीएन सिंह ने कहा कि डा. मासूम रजा राही एवं मोनिस रजा के बाद उबैदुर्रहमान का बड़ा नाम साहित्य के क्षेत्र में उभर रहा है। पीजी कालेज के डा.समर बहादुर सिंह ने कहा कि उबैदुर्रहमान का शोध कार्य छात्रों के लिए मिसाल है। शेख जैनुल आब्दीन ने उबैदुर्रहमान को अनवरत चलने वाला राही बताया। वहीं शिया इमाम तनवीरूल हसन ने कहा कि इनके ग्रंथ में जनपद के शियाओं के इतिहास को जिस तरह से स्थापित किया है वह काबिले तारीफ है। प्रो.अनीसुर्रहमान ने कहा कि इनके ग्रंथ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में मशहूर हैं। डा.जितेंद्रनाथ पाठक ने कहा कि उबैदुर्रहमान ने जिस प्रकार हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू भाषाओं में जनपद के इतिहास और साहित्य पर शोध पत्र लिखे हैं, वह उनकी विलक्षण प्रतिभा को दर्शाते हैं। इससे पहले मुख्य अतिथि ने उबैदुरर्हमान को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। साथ ही सैफर्रहमान अब्बाद व डा.उबैदा बेगम को शाल एवं ताम्रपत्र से नवाजा गया। इस मौके पर वारिस हसन खां, सैफुर्रहमान अब्बाद, खुर्शीद अहमद, डा.अशोक सिंह, डा. बद्रीनाथ सिंह, हंटर गाजीपुरी, रईस शहीदी, अजीज गाजीपुरी, अबूनसर खां, अख्तर उस्मान, मकबूल अकरम, आफाक, एकादुर्रहमान आदि थे।

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