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जम्हूरियत की पीर समझकर ही ताजा रहेंगी कमल की पंखुड़ियां

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अपनी सरकार का सौ दिन का रिपोर्ट कार्ड जनता के दरबार में पेश किया। सौ दिन के सफर की तमाम उपलब्धियां उन्होंने गिनाईं।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 06:02 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 06:02 PM (IST)
जम्हूरियत की पीर समझकर ही ताजा रहेंगी कमल की पंखुड़ियां
जम्हूरियत की पीर समझकर ही ताजा रहेंगी कमल की पंखुड़ियां

आंख पर पट्टी रहे और अक्ल पर ताला रहे
अपने शाहे-वक्त का यूं मर्तबा आला रहे
एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार-छह चमचे रहें, माइक रहे, माला रहे

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गाजियाबाद [मनीष शर्मा]। जनकवि अदम गोंडवी के ये अल्फाज जनपद में भगवा झंडे के अलंबरदारों की मौजूदा हालत बयां करने के लिए काफी हैं। सत्ता परिवर्तन का असर सरकारी दफ्तरों में तो साफ दिख रहा है, लेकिन वनवास के बाद मिले सिंहासन की खुमारी में जिम्मेदार भगवाधारी दुनियादारी से दूर होते जा रहे हैं।

सौ दिनों में ज्यादातर वक्त पदाधिकारियों के स्वागत-अभिनंदन में ही बीत गया। विकास की कई सौगात जनता को मिली, लेकिन विपक्ष में रहते हर मोर्चे पर जुझने वाले भाजपाई इस दरम्यान सीधे जुड़े मुद्दों पर कहीं न कहीं जनमानस की पीर समझने में नाकामयाब दिखे। उधर, विपक्षी भी मुद्दे उछालकर पांव जमाने की कोशिश में हैं। ऐसे में भाजपा वक्त रहते नहीं संभली तो आने वाला चुनौती से भरा होगा।

मंगलवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अपनी सरकार का सौ दिन का रिपोर्ट कार्ड जनता के दरबार में पेश किया। सौ दिन के सफर की तमाम उपलब्धियां उन्होंने गिनाईं। सरकार बदलने का सकारात्मक असर सरकारी मशीनरी और योजनाओं में जरूर दिखा, लेकिन जिले की बात करें तो विकास को आई निधि खर्च होने के लिए कई विधायकों के इशारे के इंतजार में है।

बात संगठन की करें तो ज्यादातर जिम्मेदार अभी सत्ता की खुमारी में आकंठ डूबे हैं, जबकि राष्ट्रीय नेतृत्व मिशन-2019 को लेकर चिंतामग्न है। भाजपा के अधिकांश ओहदेदार गाड़ियों पर झंडा और सड़कों पर होर्डिंग्स तक सिमटे नजर आते हैं। अगर जिले में बीते सौ दिनों पर नजर दौड़ाएं तो निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों ने आवाज बुलंद की, लेकिन भाजपाई खामोश रहे।

मंडोला में मुआवजा मांगते किसानों ने लाठियां खाईं, जबकि भाजपाई एक-दूसरे के हाथों से मिठाई खाते रहे। नवयुग मार्किट में पैंठ को लेकर व्यापारियों और पथ विक्रेताओं में पाले खिंच गए, लेकिन सत्ताधारी दल के झंडाबरदारों की सुलह-समझौते की पहल से दूरी सालती रही।

बहरहाल, यह तय है कि आने वाले दिनों में भाजपाइयों की चाल, चरित्र और चेहरा ही पहले निकाय चुनाव और फिर मिशन-2019 की तस्वीर का खाका खींचेगा। साथ ही जिस विश्वास के साथ जनता ने जनादेश दिया उसे कायम रखना भी भाजपा के लिए चुनौती से कम नहीं होगा।

विवादों के कांटों में उलझता रहा दामन

सत्ता मिलने के बाद जहां भाजपा में अंदरूनी खेमेबाजी ने जोर पकड़ा, वहीं विवादों के कांटों में पदाधिकारियों को दामन उलझता रहा। ताजा विवाद महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा का सत्ता की हनक से भरे वायरल ऑडियो का रहा। पैठ ठेकेदार को हड़काने के चक्कर में महानगर अध्यक्ष के कहे शब्द जिसने भी सुने मर्यादित कतई नहीं कहे। इससे पहले पिछले दिनों चुनाव में सहयोग पर आभार जताने आई कबीना मंत्री अनुपमा जायसवाल के कार्यक्रम के बाद ओहदेदारों के बर्ताव पर लंबी फेसबुकवार चली। विवाद सामने आते ही प्रभावित खेमा जहां डैमेज कंट्रोल करते दिखा, वहीं और खेमों के सूरमा चटखारे लेते।

विपक्ष की कमजोरी से 'अश्वमेघ' का कारण

सत्ता में आने से पहले भाजपा ने मजबूती से विपक्ष की भूमिका निभाई। छोटे-छोटे मुद्दों पर थानों से लेकर आला अफसरों तक की घेराबंदी से कभी नहीं चूके। सत्ता की चाबी हाथ लगते ही भाजपाई खमोश हो गए, जबकि मुद्दे लपकने से चूका विपक्ष कमजोर साबित हो रहा है। पूर्व राज्यसभा सदस्य केसी त्यागी की पहल पर पिछले दिनों पुलिस की लाठियों से मिले मंडोला के किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की नाकाफी कोशिश जरूर हुई। विपक्ष की कमजोरी से ही 'अश्वमेघ' कारण साबित होती दिख रही है।

सौ दिन बेहतरीन रहे

भाजपा जिलाध्यक्ष बसंत त्यागी का कहना है कि सरकार के सौ दिन बेहतरीन रहे। पूर्व की सरकारों से त्रस्त जनता को राहत पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया। भाजपा जनता के साथ खड़ी थी, खड़ी है और खड़ी रहेगी। जनहित के मुद्दों पर संवैधानिक प्रक्रिया के तहत समाधान कराया जा रहा है।

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