सूरदास का वात्सल्य वर्णन है श्रेष्ठतम साहित्य
फीरोजाबाद, (शिकोहाबाद) : ब्रजभाषा काव्य को प्रोत्साहित करने के लिए शब्दम द्वारा ताज साहित्योत्सव के तहत सूरदास पर केंद्रित गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर पं. हरिबाबू कौशिक द्वारा सूरदास के पद का गायन के साथ सूरदास जी पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन किया। प्रो.मैनेजर पांडे ने सूर काव्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा वात्सल्य वर्णन से बच्चों के प्रति नई दृष्टि का बोध जागृत होता है। यशोदा, राधा और गोपिकाओं की सशक्त उपस्थिति भारत में नारी और प्रेम स्वतंत्रता को सिद्ध करती है। 'सूर मूर अक्रूर लै गये' व 'हरिहै राजनीति पढि़ आये' जैसी कुछ पंक्तियों को पढ़ गुजरे जमाने की राजनीतिक विडंबनाओं पर चर्चा की। शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने सूरदास के वात्सल्य वर्णन को संसार का श्रेष्ठतम साहित्य बताया।
परिचर्चा में जन-जन के बीच जाने के लिए संगीत के साथ जुगलबंदी पर जोर दिया। आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार प्रयाग शुक्ल भी उपस्थित रहे। हरविजय वाइया, अशोक जैन सीए, अनिल शुक्ल व आरएम कपूर ने स्वागत किया। अंशुमान बावरी, महेश आलोक, अरविंद तिवारी, मुकेश मणिकांचन प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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