मरणोपरांत आर्यन राज को मिलेगा बहादुरी का खिताब

फैजाबाद : महज 14 वर्ष की उम्र में आर्यन राज शुक्ल ने 13 मई 2013 की तारीख को मानवता, दोस्ती बलिदान और वीरता की ऐसी कहानी लिख दी थी, जिस पर फैजाबाद सदैव नाज करेगा। तवारीख में दर्ज यह कथा है खुद की जान कुर्बान कर तीन दोस्तों की जान बचा लेने की। आगामी 25 जनवरी को वह मौका होगा जब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह बापू गेधानी अवार्ड देकर आर्यन की इसी वीरता को नमन नमन करेंगे। बहादुर बच्चे को दिया जाने वाला यह पुरस्कार आर्यन के माता-पिता हस्तगत करेंगे। पुरस्कार के रूप में आर्यन की स्मृतियों को सहेजने उसकी मां गीता शुक्ला के साथ पिता विजय शुक्ल नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
इंडियन कौंसिल फार चाइल्ड वेलफेयर के तत्वावधान में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम के लिए अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ की ओर से आमंत्रण पत्र व रेल आरक्षण टिकट भेजा गया है। नयापुरवा नियावां निवासी गीता व विजय को आगामी 16 से 26 जनवरी तक दिल्ली में ही प्रवास करना होगा। इस दौरान उनकी मुलाकात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से होगी। गणतंत्र दिवस पर आने वाले अतिथि भी बहादुर बच्चे के मां-पिता से मुलाकात कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। गीता शुक्ला ने कहा कि बेटे की बहादुरी पर उन्हें गर्व है।
नगर के जिंगल बेल स्कूल में पढ़ने वाले अमन व नमन रस्तोगी, ध्रुव जीवानी, मोहित अमलानी तथा आर्यन राज के बीच गहरी दोस्ती थी। 13 मई 2013 को सभी गुप्तारघाट घूमने गए थे। आर्यन तैरना नहीं जानता था, उसे छोड़कर बाकी साथी सरयू में तैरने लगे। अचानक तीनों साथी नदी के बहाव में बहने लगे और मदद की गोहार लगाने लगे। आर्यन ने तुरंत पास में रखे बांस को नदी में फेंक दिया और एक सिरा पकड़ कर डूब रहे दोस्तों को बचाने में जुटा रहा। तीनों दोस्त तो किसी तरह बच कर किनारे आ गए पर आर्यन का संतुलन अचानक गड़बड़ा गया और वह नदी की तेज धार में बह गया। जिलाधिकारी विपिन कुमार द्विवेदी ने पत्र भेजकर आइसीसीडब्ल्यू को आर्यन के बहादुरी भरे कारनामे से अवगत कराया। इसके बाद पुरस्कार के लिए चयन समिति ने उसका नाम पुरस्कार के लिए नामित किया।
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