इटावा-भिंड रेल सेवा शुरू होने पर बंद होगी डग्गामारी
इटावा, जागरण संवाददाता : इटावा से दिल्ली-लखनऊ जाना आसान है लेकिन महज 40 किमी की दूरी पर स्थित इटावा
इटावा, जागरण संवाददाता : इटावा से दिल्ली-लखनऊ जाना आसान है लेकिन महज 40 किमी की दूरी पर स्थित इटावा से भिंड जाना मुश्किल है। परिवहन निगम की बसें न चलने से यात्रियों को डग्गामार वाहनों के माध्यम से सफर करना पड़ता है। डग्गामार वाहनों की आड़ में वाहन लुटेरे भी खेल करते हैं जो यात्रियों को लूटकर निर्जन स्थान में फेंककर गायब हो जाते हैं। इससे यात्री खासे आहत हैं, भिंड रेल सेवा शुरू होने पर इस क्षेत्र में डग्गामारी का दंश मिट जायेगा। यात्रियों को खासी राहत मिलेगी।
इटावा से भिंड-ग्वालियर मार्ग को छोड़कर अन्य सभी मार्गो पर आवागमन करना सहज है। भिंड-ग्वालियर मार्ग पर परिवहन निगम की बसों का संचालन नहीं होता है। पांच निजी बसों के परमिट हैं पर करीब दो दर्जन बसें तथा तीन दर्जन लोडर तथा जीपें इस मार्ग पर डग्गामारी कर रही है। यहां से भिंड करीब 40 तथा ग्वालियर की 105 किमी दूरी है। इस दूरी को डग्गामार वाहन करीब पांच-छह घंटे में तय करते हैं, जब तक सवारियां खचाखच नहीं भर जाती हैं तब तक वाहन चलाए ही नहीं जाते हैं। इसके अलावा ग्वालियर तक जाने की कहकर ग्वालियर की सवारियां बैठा ली जाती हैं, भिंड पर ग्वालियर की अन्य सवारियां न मिलने पर यहां से ग्वालियर के लिए सवार हुए लोगों को भिंड में उतार दिया जाता है। इससे यात्री खासे आहत होते हैं। डग्गामार जीपों में कई लुटेरे भी शामिल हैं जो शीघ्रता से भिंड पहुंचाने की कहकर बैठा लेते हैं, निर्जन स्थान आने पर माल लूटकर चलते वाहन से फेंक जाते है। इस तरह की कई वारदातें हो चुकी हैं लेकिन पुलिस ने टालमटोल करके मामले दर्ज ही नहीं किए। इससे अपराधी बुलंद हौसलों के साथ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
अब ट्रेनें चलने में ज्यादा देर नहीं
भिंड से इटावा रेल सेवा शुरू होने में ज्यादा देर नहीं है। सूत्रों के मुताबिक एक माह के अंदर इस ट्रैक पर दौड़ने लगेंगी। इससे इटावा से भिंड ही नहीं अपितु ग्वालियर व अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर आवागमन करना सहज हो जायेगा। शुरूआत में करीब आधा दर्जन ट्रेनों के संचालन होगा, इससे अधिकतर यात्री ट्रेनों के माध्यम से सफर करने लगेंगे जिससे निजी वाहनों की डग्गामारी काफी हद तक बंद हो जायेगी।
दो राज्यों में होने से दिक्कत
इटावा-भिंड के बीच आवागमन दो राज्यों के बीच का मामला होने से हमेशा परेशानी भरा रहा है। दोनों राज्य सरकारों के परिवहन अधिकारी सड़क यातायात को लेकर कभी आपस में समन्वय नहीं बना पाये जिसकी वजह से डग्गामार वाहनों को हमेशा प्रोत्साहन मिला और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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