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    औषधीय पौधों की खेती से किसान होंगे लाभांवित

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    Updated: Fri, 11 Jan 2013 06:06 PM (IST)

    निज प्रतिनिधि, एटा: औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए शासन ने राष्ट्रीय औषधीय पौध मिशन के अंतर्गत वर्ष 2012-13 में वेल रोपण, सर्पगंधी, अशोक, अश्वगंधी, सताबरी और क्वारपाठा आदि पौधों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। इन पौधों के रोपण के लिए राज्य सहायता और अनुदान राशि भी निश्चित कर दी है। ताकि किसान औषधीय पौधों की खेती करके लाभान्वित हो सकें।

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    राष्ट्रीय औषधीय पौध मिशन के तहत एटा जनपद के किसानों को जो लक्ष्य दिया गया है। उसके तहत 40 हेक्टेयर में वेल रोपण कराया जायेगा। वहीं 10 हेक्टेयर में सर्पगंधा और 10 हेक्टेयर में ही अशोक की खेती की जायेगी। 8 हेक्टेयर में अश्वगंधा, 10 हेक्टेयर में सताबरी और सर्वाधिक 30 हेक्टेयर में क्वारपाठा की खेती होगी। इन सभी फसलों का रोपण किसानों को करना है। जिला उद्यान अधिकारी उदयवीर सिंह गौर ने जानकारी दी है कि सम्बंधित फसलों का रोपण और बीज बुवाई का समय फरवरी के प्रथम सप्ताह से प्रारंभ होकर फरवरी माह के अंत तक चलेगा। उन्होंने कहा है कि जो भी किसान औषधीय फसलों का रोपण करना चाहते हैं वे अलीगंज रोड स्थित कार्यालय पर औषधीय पौधों के बारे में जानकारी प्राप्त कर अपने आवेदन भरकर जमा कर सकते हैं।

    किस फसल पर कितना है अनुदान

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    औषधीय पौध मिशन ने सतावरी, अश्वगंधा, क्वारपाठा, सर्पगंधा, अशोक और नीम तथा वेल रोपण की खेती करने वाले किसानों के लिए जो अनुदान राशि निर्धारित की है। उसके तहत वेल रोपण करने वाले किसानों को 13 हजार प्रति हेक्टेयर, सर्पगंधा पर 23 हजार 437 रुपये, अशोक पर 20 हजार 312 रुपये,्र अश्वगंधा पर पांच हजार रुपये, सतावरी पर 9375 रुपये, नीम पर 4 हजार 875 रुपये और एलोबेरा यानि क्वारपाठा की खेती पर प्रति हेक्टेयर 8500 रुपये राज्य अनुदान दिया जायेगा।

    क्या करना होगा किसानों को

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    औषधीय पौधों की खेती के लिए शासन द्वारा अनुदान की जो व्यवस्था की गई है उसका लाभ पाने के लिए किसानों को प्रार्थना पत्र के साथ एक फोटो, खसरा-खतौनी की नकल, दस रुपये के स्टाम्प पर शपथ पत्र बनवाकर देना होगा। जो प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न रहेंगे। सिर्फ वही किसान योजना का लाभ ले सकेंगे जिनके पास स्वयं की जमीन हो, सिंचाई के समुचित साधन हों, खेत, मुख्य सड़क अथवा लिंक रोड से जुड़ा है। औषधीय पौधों का रोपण क्लस्टर के रूप में अर्थात एक गांव में कम से कम 5 लाभार्थी होना निश्चित किया गया है।

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