विवेकानंद सार्द्धशती: सूर्य नमस्कार को उठे हजारों हाथ
बुलंदशहर: स्वामी विवेकानंद सार्द्धशती समारोह के तहत पूरे जनपद में सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन किया गया। हजारों हाथ एक साथ सूर्य नमस्कार को उठे। नगर के डीएवी मैदान सहित दर्जनों स्कूल-कालेज में यह कार्यक्रम हुआ।
भारतीय नवजागरण के अग्रदूत स्वामी विवेकानंद के 150वें जन्मदिन पर सार्द्धशती समारोह आयोजित किया जा रहा है। पूरे देश में एक साल तक विभिन्न आयोजन होंगे। इस कड़ी में सोमवार को सामूहिक सूर्य नमस्कार के जरिये स्वामीजी को श्रद्धांजलि दी गई। छात्र-छात्राओं ने हर दिन सूर्य नमस्कार करने का व्रत लिया। नगर के डीएवी मैदान में छत्रपति शिवाजी विद्या मंदिर, भूतेश्वर सरस्वती विद्या मंदिर, सरस्वती शिशु मंदिर शिवपुरी, विवेकानंद विद्या मंदिर डीएम रोड, डीएवी इंटर कालेज, शिवचरन इंटर कालेज, राजकीय इंटर कालेज, महाराणा प्रताप कालेज चांदपुर आदि स्कूलों के दो हजार छात्रों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र सेवा प्रमुख गंगाराम ने भारत माता एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह सिरोही, हितेश कुमारी, पूर्व विधायक मुंशीलाल गौतम, जयप्रकाश शर्मा, संजय गर्ग, विभाग प्रचारक अनिल कुमार, प्रधानाचार्य ऋषिपाल, मुरलीधर गौड़, सेवाराम, धर्मपाल, विजेंद्र सिंह, नीरज गुप्ता, आरपी सिंह, ओमवीर, राजेंद्र, यशपाल सोलंकी आदि शामिल रहे। अध्यक्षता अनिल गर्ग एवं संचालन संदीप त्यागी ने किया।
ककोड़ स्थित केशव माधव सरस्वती विद्या मंदिर में 450 छात्रों ने सामूहिक सूर्य नमस्कार किया। मुख्य वक्ता कृष्णपाल, मनोज कुमार मिश्र ने सूर्य नमस्कार का महत्व बताया। कार्यक्रम संयोजक आचार्य संदीप, कृष्णपाल, आचार्य धमेंद्र, कालीचरन, इंद्रप्रकाश, श्रीकृष्ण शर्मा, सतीश शर्मा आदि मौजूद रहे।
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सूर्य नमस्कार से मिल सकती है मंजिल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र सेवा प्रमुख गंगाराम का कहना है कि सूर्य नमस्कार करने से व्यक्ति लक्ष्य को सहज प्राप्त कर सकता है। इससे शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ गुरु रामदास प्रतिदिन एक हजार सूर्य नमस्कार लगाते थे। स्वामी आठवलेकर इसका नियमित अभ्यास कर 102 वर्ष तक जीवित रहे। नई पीढ़ी को इसका संस्कार दिया जाना जरूरी है। डा. रूपनारायण का दावा है कि सूर्य नमस्कार से शरीर-मन-मस्तिष्क की समस्त विकार दूर किये जा सकते हैं।
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