Move to Jagran APP

आवेदनों के बोझ में दबता आरटीआइ कानून

जागरण संवाददाता, बरेली : सूचना का अधिकार कानून-2005 भारतीय संविधान में सबसे लोकप्रिय कानून माना जाता

By Edited By: Published: Fri, 24 Oct 2014 09:04 PM (IST)Updated: Fri, 24 Oct 2014 09:04 PM (IST)
आवेदनों के बोझ में दबता आरटीआइ कानून

जागरण संवाददाता, बरेली : सूचना का अधिकार कानून-2005 भारतीय संविधान में सबसे लोकप्रिय कानून माना जाता है। अगर किसी कानून भ्रष्टाचारी डरते हैं तो वह आरटीआइ। इस कानून से न केवल देश का हर नागरिक सरकार से सूचनाएं मांग सकता है बल्कि अपने अधिकारियों का संरक्षण भी कर सकता है, लेकिन तेजी से पनपते भ्रष्टाचारी माहौल में यह कानून आवेदनों के बोझ तले दबता चला जा रहा है। इस मामले में यूपी सबसे आगे दिख रहा है। प्रदेश में अब तक 48442 मामले लंबित पड़े हैं। अन्य प्रदेशों का हाल भी बदतर है।

loksabha election banner

साल 2012-13 में यूपी में 62008, केंद्रीय सूचना आयोग में 62723 और महाराष्ट्र में 73968 मामले दर्ज हुए। लेकिन निस्तारण का स्तर काफी नीचे रहा। अगर 23 सूचना आयोगों की बात करें तो लंबित मामलों का आकड़ा 1,98,739 के पार पहुंचता है। केंद्रीय सूचना आयोग में ही पंद्रह हजार से अधिक मामले लंबित पड़े रहे गए। 25 अक्टूबर को इस कानून को दस साल पूरे हो जाएंगे। इन दस सालों में शायद ही ऐसा कोई विभाग बचा हो जहां शिकायतों का स्तर साठ प्रतिशत से अधिक का इजाफा न हुआ हो। वहीं इस कानून के प्रति विभागीय अधिकारियों का रवैया आज भी बेहद चिंताजनक है। अधिकारी सूचना देने में हीलाहवाली करते हैं और जानकारी के अभाव में पीड़ित राज्य या केंद्रीय सूचना आयोग में शिकायत नहीं कर पाता।

क्या है कानून

सूचना का अधिकार कानून 15 जून 2005 को संसद ने पास किया और 12 अक्टूबर को पूरी तरह से प्रभावी हो गया। पहला आवेदन 12 अक्टूबर को ही पुणे के पुलिस स्टेशन में शाहिद रजा नाम के व्यक्ति ने दिया था। इस कानून के तहत कुछ विभागों को छोड़कर सभी से जानकारी मांगी जा सकती है। अधिनियम की धारा 6-एक के तहत दस रुपये शुल्क देकर सूचना मांगने का अधिकार है। अगर सूचना अधिकारी बिना उचित कारण बताए या भ्रामक सूचना देता है तो उसपर प्रतिदिन 250 रुपये या अधिकतम 25 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है। अगर कोई विभाग सूचना नहीं देता है तो उसके खिलाफ राज्य सूचना आयोग और उसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग में शिकायत की जा सकती है।

--------------

वर्जन

आरटीआइ को और मजबूत करने की जरूरत है। सरकार को चाहिए जिन विभागों में अधिक मामले लंबित पड़े हैं उनको दंडित करें ताकि अन्य विभाग सीख ले सकें। आरटीआइ का उद्देश्य तभी पूरा हो सकेगा जब हर नागरिक अपने अधिकारों को लेकर जागरूक होंगे।

-मुहम्मद खालिद जीलानी, आरटीआइ कार्यकता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.