हिंदी में है शब्दकोष की कमी
जागरण संवाददाता, बरेली: मारीशस से बरेली आए हिंदी साहित्यकार प्रहलाद रामशरण ने कहा कि हिंदी में वृहद शब्दकोष की कमी है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रसार में दिक्कतें आती हैं। जबकि अंग्रेजी और फ्रेंच में आपको अच्छा शब्दकोष मिल जाएगा। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रसार के लिए वह संघर्षरत हैं।
लंबे समय से मारीशस में हिंदी के प्रचार प्रसार में लगे साहित्यकार प्रहलाद रामशरण ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया कि मारीशस में करीब 67 फीसदी भारतवासी हैं। अधिकांश लोग हिंदी बोल और समझ लेते हैं। लेकिन वहां की राजकाज की भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच है। वहां फ्रेंच में ही अखबार छपते हैं। ऐसे में मारीशस में हिंदी को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए वह संघर्षरत हैं। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे हिंदी का कुनबा बढ़ता जा रहा है। इसमें फिल्मों और पत्र पत्रिकाओं का बड़ा योगदान है। लेकिन भारत आते हैं तो एक अफसोस होता है कि यहां की हिंदी की पत्रिकाएं दम तोड़ रही हैं। लेकिन हिंदी के अखबार और हिंदी के टीवी चैनलों में तेजी से बढ़ोतरी दिखी है, जो हिंदी के लिए शुभ संकेत हैं। उन्होंने कहा कि कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के शब्दकोष की कमी खलती है। अंतरराष्ट्रीय फलक पर अंग्रेजी और फ्रेंच का समृद्ध शब्दकोष है और वह हर साल अपडेट होता रहता है। ऐसा ही हिंदी में होना चाहिए। उन्होंने बताया कि सालों पहले एक गाने के माध्यम से बरेली का नाम सुना था। अब बरेली आया हूं तो यहां का बाजार जरूर घूमूंगा। उन्होंने बताया कि वह मूलत: बिहार के आरा जिले के रहने वाले हैं। सालों पहले उनके परिवार को अंग्रेज मजदूरी कराने के लिए मारीशस ले गए थे। अब ये लोग वहीं के निवासी हो गए है लेकिन हिंदी का साहित्यकार होने के नाते वह हर साल भारत आते हैं। प्रहलाद रामशरण ने अब तक हिंदी में 40 और अंग्रेजी फ्रेंच में 30 किताबें लिखी हैं।
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