पहले शराब, फिर स्मैक और आखिर में मौत
जागरण संवाददाता, बरेली : जिंदगी भर जिस नशे से नफरत की उसी से मुहब्बत हो गई उन्हें। पहले बेटी और धेवते की मौत, फिर दामाद के गुजरने का गम। खुद को नशे में डुबो दिया उन्होंने। पहले शराब.. फिर स्मैक और आखिर में मौत। नशे ने मेरा परिवार ही तबाह कर दिया।
पहली बार नारकोटिक्स के दफ्तर में मिली थी उनसे.. दो साल बाद हम दोनों ने शादी कर ली। दो बच्चे हुए, जिन्हें पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया। बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर की डिग्री लेकर अमेरिका चला गया। बेटी डिग्री कॉलेज में शिक्षक थी और दामाद पुलिस में दारोगा। धेवते के जन्म के बाद तो हमारी खुशियां दुगनी हो गई थीं लेकिन न जाने किसकी नजर लग गई।
11 दिसंबर 2007 भुलाए नहीं भूलता। जन्मदिन था उनका। आधी रात में मोबाइल की घंटी बजी तो लगा बेटी और दामाद ने विश करने के लिए कॉल की होगी। फोन उठाया तो कलेजा धक से रह गया। दामाद थे दूसरी तरफ। एक्सीडेंट हो गया था उनका। नशे में धुत ट्रक ड्राइवर ने रौंद दिया था पूरा परिवार। बेटी, धेवता, समधी और समधन मौत को मुंह में समा चुके थे। दामाद खुद भी गंभीर थे। अभी बेटी को खोने के गम में डूबे थे, दामाद ने भी दम तोड़ दिया। जिन हाथों से कुछ साल पहले उन्हें बेटी सौंपी थी, उन्हीं हाथों से अंतिम संस्कार करना पड़ा। मेरे पति टूट गए। गम भुलाने को दिन रात शराब में डूबे रहते। इस बीच न जाने कब उन्हें स्मैक की लत लग गई। बहुत कोशिश की उन्हें संभालने की। लाख समझाया लेकिन नहीं माने। जिंदगी भर जिस नशे के खिलाफ जंग लड़ी, उसी नशे के आगे हार गए थे हम। शराब और स्मैक के कॉकटेल ने छह साल में ही उनका शरीर खोखला कर दिया। बहुत छटपटाई, इलाज कराया, दुआएं मांगी, लेकिन सब बेकार। तीन महीने पहले आंखें मूंद ली उन्होंने।
(नारकोटिक्स विभाग से रिटायर्ड एएसपी ने जागरण संवाददाता से साझा किया अपना दर्द)