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    छोटे शहरों से भी बाहर निकालना होगा काला धन

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    Updated: Tue, 11 Oct 2016 01:55 AM (IST)

    अतीक खान, बरेली : देश में छिपा काला धन निकासी में सरकार के प्रयास सराहनीय रहे हैं। आय घोषणा योजना (आ

    अतीक खान, बरेली : देश में छिपा काला धन निकासी में सरकार के प्रयास सराहनीय रहे हैं। आय घोषणा योजना (आइडीएस) में गोपनीयता और संरक्षण के बल पर ही महज चार माह के अंतराल में 65,000 करोड़ रुपये काला धन घोषित हुआ है। यह बात अलग है कि केंद्र सरकार एक लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था। इसकी वजह शायद यह रही कि योजना महानगरों तक सीमित होकर रह गई, छोटे शहरों में प्रभावशाली तरीके से नहीं पहुंची। एक महत्वपूर्ण बात यह भी कि अब भी जो लोग काला धन दबाए बैठे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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    जागरण विमर्श में सोमवार को मुख्य वक्ता बरेली कॉलेज में अर्थशास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर रीमा अग्रवाल ने कालेधन की निकासी-कामयाबी कितनी पड़ी विषय के हर बिंदु पर प्रकाश डाला। बोलीं कि मेरा मानना है कि सरकार ने आइडीएस को लागू करने में बेहद पारदर्शिता बरती। आय घोषित करने वाले का नाम और पता गोपनीय रखा गया। चार माह तक लोगों को लगातार जागरुक किया गया। मीडिया और आयकर विभाग ने योजना का सही पक्ष लोगों तक पहुंचाया। हालांकि योजना सिर्फ महानगरों तक सीमित रही। यदि इसे मध्यम शहरों तक भी पहुंचा देते तो लख्य के अनुरुप परिणाम आ सकते थे।

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    मजबूत होगी अर्थव्यवस्था

    65,000 करोड़ से अधिक काला धन घोषित होने से सरकार को 45 प्रतिशत टैक्स, यानी तकरीबन 33,000 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही 65 हजार करोड़ रुपये अब देश की अर्थव्यवस्था में उपयोग आ सकेंगे। इस पर सरकार को सालाना टैक्स मिलता रहेगा। डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि अब यह धनराशि देश के विकास में इस्तेमाल होती रहेगी।

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    बड़े शहरों पर सवाल

    देश में सबसे अधिक काला धन हैदराबाद में 13,000 करोड़ रुपये घोषित हुआ है। जबकि मुंबई में 8500 करोड़, दिल्ली में 6000 करोड़ और कोलकाता में 4000 करोड़ रुपये का काला धन घोषित हुआ है। डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि काला धन की घोषणा पूरी ईमानदारी से नहीं हुई। हैदराबाद में सबसे अधिक काला धन घोषित हुआ, इसका मतलब यह नहीं कि वहां ज्यादा धनी लोग रहते हैं। मुंबई और दिल्ली में सबसे अमीर हैं, उसकी तुलना में घोषणा कम हुई। इससे स्पष्ट है कि अभी भी देश में बड़ी संख्या में काला धन जमा है। जिसे उजागर करने से लोग कतरा रहे हैं। इनकी पहचान कर कड़े कदम उठाने होंगे।

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    यह ग्लोबल अभियान का हिस्सा

    आय घोषणा योजना वैश्रि्वक स्तर काला धन के लिए चल रही योजनाओं का एक हिस्सा है। तमाम देश काला धन बाहर निकालने की मुहिम में लगे हैं। इसके बीच भारत ने देश के अंदर छिपे काला धन को बाहर लाने में अच्छी पहल की है। देश को फौरी तौर पर ही इसका लाभ मिल गया है।

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    39 साल पहले भी हुई थी कवायद

    वर्ष 1977 में सरकार ने पहली बार काला धन बाहर निकालने के लिए वीडीआइएस योजना शुरू की थी। तब 33,000 करोड़ रुपये का काला धन बाहर आया था। जबकि वर्ष 2016 में 65,000 करोड़ रुपये काला धन घोषित हुआ है। हालांकि 39 साल के फासले से अगर इस बार घोषित हुए काले धन की धनराशि का आकलन करें, तो यह बेहद कम है। फिर भी सुखद संकेत है कि लोग आगे आए हैं।

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    पारदर्शिता और गोपनीयता बनी हथियार

    सरकार ने आइडीसी को बड़ी पारदर्शिता के साथ लागू किया है। संरक्षण का भरोसा भी दिया गया कि आय घोषित करने वाले को कोई अधिकारी तंग भी नहीं कर सकेगा। डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि योजना का यह सबसे मजबूत पक्ष है।

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    पिछले साल से अधिक मिला लाभ

    विदेशों में जमा काला धन भारत लाने के लिए गत वर्ष सरकार ने पहल की थी। तब 4164 करोड़ रुपये कालेधन की घोषणा हुई थी। यह बात अलग है कि योजना अधिक सफल नहीं हो सकी थी। इसके मुकाबले इस बार अधिक लाभ मिला है। डॉ. अग्रवाल का मानना है कि विदेशों में छिपा काला धन वापस लाने में शायद हमारी योजना कमजोर रही है।

    मन की बात का भी रहा प्रभाव

    प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी कई बार काला धन घोषित करने का संदेश दिया। डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि प्रधानमंत्री ने कालेधन पर स्वयं आगे आकर लोगों से आह्वान किया कि वह आय घोषित करें। कोई कार्रवाई नहीं होगी।

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    अब मिला कालाधन तो होगी कार्रवाई

    डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि योजना में स्पष्ट है कि तीस सितंबर के बाद अगर आयकर विभाग के छापे में काला धन मिला तो आयकर सहित अन्य प्रावधानों में कड़ी सजा दी जाएगी। डॉ. अग्रवाल का मानना है कि हमारे देश का रिवाज बन गया है कि बिना कार्रवाई किसी चीज को गंभीरता से नहीं लेते। लिहाजा सरकार को कार्रवाई के लिए अतिशीघ्र कड़े कदम उठाने होंगे।

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    चार माह में हुई 500 बैठकें

    काला धन घोषित करने की चार महीने की प्रक्रिया में आयकर अधिकारियों की करीब पांच सौ बैठकें हुई। बोलीं कि सरकार नियमित योजना की प्रगति और पारदर्शिता की समीक्षा करती रही। वित्तमंत्री स्वयं भी पूरे अभियान पर नजर बनाए रहे। टॉप ब्यूरोक्रेट्स के साथ बैठकें करते रहे।

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    भ्रष्टाचार खत्म कर रोक सकते हैं कालाधन

    काला धन विकसित होने से रोकने के लिए सिस्टम को पारदर्शी बनाना होगा। अगर देश में भ्रष्टाचार खत्म हो जाए, तो कालाधन भी पैदा होना बंद हो जाएगा। भ्रष्टाचार की बेल कालेधन को बढ़ा रही है। भारत दुनिया के दस धनी देशों में शुमार है। लिहाजा हमें भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने की पहल करनी होगी। यह जनता से शुरू होगी। डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि अगर जनता काम के एवज में सुविधा शुल्क देना बंद कर देगी, तो निश्चित ही काले धन पर रोक में बड़ी सफलता मिलेगी।

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    राष्ट्रीयता की भावना जगानी होगी

    काला धन और भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए राष्ट्र भावना जगाने की जरूरत है। ताकि घर या परदेश में काला धन छिपाने के बजाय लोग देश के विकास में योगदान करें। अपनी आय पर सरकार को टैक्स दें। सरकार ने युवाओं को जोड़कर इस दिशा में सराहनीय कदम उठाए हैं। डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि कोलकता में ऐसी क्रांति सामने भी आई है। लोग भ्रष्टाचार मुक्ति के विरोध में खड़े हुए। लिहाजा में ऐसा माहौल बनाना होगा, जो हर व्यक्ति कहे सोचे के देश के विकास में मेरा भी कुछ योगदान हो।

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    आयकर छूट की सीमा बढ़े

    डॉ. अग्रवाल कहती हैं कि सातवां वेतन आयोग लगने से मध्यम वर्गीय परिवारों की आय बढ़ी लेकिन दस लाख से अधिक पर तीस फीसदी टैक्स लगा दिया गया। उम्मीद थी कि टैक्स में छूट मिलेगी, पर नहीं हुआ। अब जब मध्यम वर्ग पर बोझ पड़ेगा, तो वह अपने छोटे मोटे काम सुविधा शुल्क देकर ही कराएगा। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।