वीर अब्दुल हमीद का पाठ हटाना दुर्भाग्यपूर्ण : रसूलन बीबी
बाराबंकी: वर्ष 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना का डटकर मुकाबला करते समय शहीद वीर अब्दुल हमीद से जुड़ी स्मृतियों को मिटाने का उनकी पत्नी रसूलन बीबी को मलाल है। उनका कहना है कि राजनेताओं का यह कृत्य समाज में शून्यता का माहौल पैदा करेगा।
85 वर्षीय रसूलन बीबी सोमवार को नगर स्थित भाजपा के पूर्व एमएलसी रामनरेश रावत के आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। रसूलन बीबी ने कहा कि पूर्ववर्ती बसपा सरकार में कक्षा छह की हिंदी पुस्तिका में पढ़ाया जाने वाला पाठ वीर अब्दुल हमीद को समाप्त कर दिया गया। इससे देश की नई पीढ़ी अब अपने जांबाजों के करतबों को नहीं जान सकेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा करके हमारे राजनेता क्या संदेश देना चाहते हैं? यही पाठ ऐसा था जिससे एक बलिदानी के परिवार को मान-सम्मान व स्वाभिमान का एहसास होता था। उन्होंने कहा कि नई सरकार से उन्हें उम्मीद है कि वह बलिदानी के परिवार के अपमानजनक कार्य को जरूर खत्म करेंगे। यह भी कहा कि सीबीएसई बोर्ड के कक्षा छह के पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा में वीर अब्दुल हमीद पाठ पढ़ाया जा रहा है।
रसूलन बीबी ने कहा कि उनके गाजीपुर जिले के पैतृक गांव के समीप के दुल्लापुर रेलवे स्टेशन का नामकरण आज तक वीर अब्दुल हमीद के नाम पर नहीं हो सका। यह जरूर है कि तमाम नेताओं ने सिर्फ आश्वासन ही दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों में आज तक शहीद की तीसरी पीढ़ी तक को सरकारी सेवा में लिए जाने का आदेश नहीं हो सका। उनके पौत्र व पौत्री आज भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।
इस मौके पर पूर्व एमएलसी ने वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी को बाराबंकी में एक भूखंड दिए जाने की घोषणा की।
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