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    धान के कटोरे में एसआरआई ने लगाई छलांग

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    Updated: Mon, 27 Feb 2012 06:44 PM (IST)

    बांदा, जागरण संवाददाता : धान का कटोरा कहे जाने वाले अतर्रा व नरैनी क्षेत्र में प्रदर्शनों के अंतर्गत एसआरआई ने उत्पादन में खासी छलांग लगाई, परिणामस्वरूप एक हेक्टेयर में औसत उत्पादन 71.76 क्विंटल तक जा पहुंचा। बुंदेलखंड में आयी नई प्रजाति के सहभागी एसआरआई से तो पीछे रहा लेकिन उसका भी उत्पादन बढि़या माना जा रहा है।

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    धान के कटोरे में चावल उत्पादन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कृषि विभाग द्वारा नरैनी व अतर्रा क्षेत्र के ब्लाकों में धान उत्पादन के लिए कुल 240 प्रदर्शन कराये गये। जिसमें एसआरआई पद्धति (धान की सघनीकरण से पौध रोपाई) के 85 संकर तकनीकी के 58 एवं आईपीपी (उन्नतशील कृषि पद्धति प्रदर्शन) के 88 प्रदर्शन कराये गये। प्रदर्शनों में उत्पादन में सबसे बेहतर परिणाम एसआरआई के रहे। एसआरआई के अंतर्गत प्रदर्शनों में धान का औसत उत्पादन 71.76 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा। जबकि संकर तकनीक प्रदर्शन व सहभागी ने भी किसानों व विभाग को खुश करने का काम किया है लेकिन इन सबमें एसआरआई भारी रहा। खाद्य सुरक्षा मिशन के सलाहकार रामविशाल पाल बताते हैं कि एसआरआई का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 71.76 क्विंटल है। प्रति बीघे के हिसाब से देखा जाये तो यह 11.96 क्विंटल हो रहा है। इसी तरह संकर तकनीकी प्रदर्शन में औसत उत्पादन 65.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा। इन दोनों प्रदर्शनों में धान की पीएचपी-71 प्रजाति की बुवाई व रोपाई की गई थी और उत्पादन भी बेहतर रहा। जनपद के लिए सहभागी प्रजाति नई है लेकिन इसका भी उत्पादन बेहतर ही कहा जायेगा। इसका औसत उत्पादन 57.21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंचा है। बताया कि प्रदर्शनों में बेहतर उत्पादन रहा। निश्चित ही धान बाहुल्य क्षेत्रों में चावल उत्पादन के क्षेत्र में प्रदर्शनों से बेहतर उत्पादन की उम्मीद जगी है। बताया कि कुल 240 प्रदर्शन में नौ प्रदर्शन जल भराव व बाढ़ में नष्ट हो गये थे। बाकी शेष में उत्पादन बहुत ही बेहतर रहा।

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