शासन की कसरत में हाइकोर्ट का रोड़ा
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नवीन चिकारा, बागपत
आखिर जिसका अंदेशा था वही हुआ, टीईटी को लेकर शासन द्वारा हाई पावर कमेटी गठित करने जैसे हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद अब इस पूरी भर्ती को रद कर हजारों उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर कुठाराघात कर दिया गया है। प्राथमिक विद्यालयों में 72825 शिक्षकों की भर्ती रद करने का फरमान तो शासन ने सुना दिया है, मगर उम्मीद की किरण अभी बाकी है। तीन सितंबर को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई इस भर्ती के भविष्य को तय करेगी।
बसपा सरकार में उलझा टीईटी का गणित सपा सरकार में ओर भी उलझ गया है। विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दों में शामिल रही टीईटी भर्ती प्रक्रिया पर सपा की कसरत सरकार बनने के बावजूद कोरा आश्वासन ही साबित हुई। प्रमुख सचिव जावेद उस्मानी के नेतृत्व में हाई पावर कमेटी की सिफारिशें भी इस बहुप्रतिक्षित भर्ती को जीवनदान न दे सकी। इधर, कोर्ट में भर्ती नियमों में संशोधन के मामले में खुद को घिरता देख शासन ने भर्ती निरस्त करने का आसान दांव खेल दिया है।
तीन सितंबर पर लगी निगाहें
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति अरुण टंडन की कोर्ट में तीन सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई है। कोर्ट ने जहां पूर्व में भर्ती विज्ञापन जारी करने के मामले में स्टे दे रखा है, वहीं चार अन्य दायर रिटों में शासन के शैक्षिक आधार पर भर्ती कराने की मंशा को चैलेंज किया है। गत 27 अगस्त को कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि भर्ती को लेकर शासन द्वारा बनाए गए नए नियम मान्य नहीं होंगे। लिहाजा शासन ने पुराने विज्ञापन को रद करते हुए नए सिर से भर्ती करने का निर्णय ले लिया है।
अंत तक जारी रखेंगे संघर्ष
टीईटी संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि इस भर्ती की बहाली के लिए अंत तक प्रयास किए जाएंगे। कोर्ट में प्रकरण चल रहा है। कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही आगामी रणनीति बनाई जाएगी।
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