अब दो गुना होगा धान का उत्पादन
बागपत: लंबे मंथन के बाद कृषि अधिकारियों ने बागपत में एसआरआई विधि (चावल सघनीकरण प्रणाली) लागू कर दी है। अब किसान जरा सी मेहनत कर धान का दोगुना उत्पादन कर सकते हैं, क्योंकि कम पानी में भी यह पद्धति कारगर है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की एसआरआई पद्धति बागपत जिले के किसानों के लिए लागू कर दी गई। साधारण विधि से धान की खेती में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 कुंतल बीज की जरूरत होती है। पानी भरकर खेत की गाही की जाती है।
जबकि एसआरआई पद्धति में प्रति हेक्टेयर छह-सात कुंतल बीज की आवश्यकता होती है। गाही के स्थान पर समतल खेत में पानी भरा जाता है। दो दिन बाद पानी सूखने पर पौध लगाई जाती है। साधारण पद्धति में हर तीसरे दिन पानी की जरूरत है, जबकि एसआईआर विधि में आठ दिन बाद खेत में पानी भरना पड़ता है।
ये है एसआरआई विधि
जहां पौध लगाई जाए वहां पहले गोबर की खाद की तह बिछाएं, फिर हल्की बालू डालें। बीज पानी में भिगोकर 24 घंटे के लिए भूसे में दबा देते हैं। जब वह अंकुरित होने लगे तो बीज को निकालकर बालू के ऊपर डाल दें। फिर बीज के ऊपर बालू और फिर हल्की गोबर की तह डाली जाती है। यहां हल्की मिट्टी का भी इस्तेमाल करना चाहिए। 12 दिन बाद पौध को खेत में लगा दिया जाए। साधारण विधि से लगाई गई पौध का इस्तेमाल एक माह बाद किया जाता है।
इतना होगा उत्पादन
साधारण पौध लगाने पर 40 से 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होगा, जबकि एसआरआई विधि में डेढ़ से दोगुना उत्पादन हो जाता है। हाईब्रिड बीज का यदि इस्तेमाल किया जाए तो ढाई से तीन गुना उत्पादन बढ़ जाता है। हाईब्रिड में पायोनियर 6444 सबसे उत्तम माना गया है।
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