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    आरुषि-हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपती इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 12 Oct 2017 09:33 PM (IST)

    आरुषि के अभिभावकों राजेश और नुपुर तलवार को हाईकोर्ट ने आरुषि-हेमराज हत्याकांड में आरुषि को संदेह का लाभ देते बरी कर दिया है। ...और पढ़ें

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    आरुषि-हेमराज हत्याकांड में तलवार दंपती इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी

    इलाहाबाद (जेएनएन)। बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डा. राजेश तलवार और नूपुर तलवार को संदेह का लाभ देते हुए हत्या के आरोप से बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट से तलवार दंपती को मिली उम्रकैद की सजा के आदेश को भी रद कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें जेल से रिहा करने का आदेश भी दिया।

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    तलवार दंपती की अपील को मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र (प्रथम) की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जिन परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपितों को सीबीआइ कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, उनकी कडिय़ां टूटी हुई हैं। उनके आधार पर यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि हत्या अन्य कोई नहीं कर सकता था। हाईकोर्ट ने कहा कि संदेह का लाभ हमेशा आरोपित को ही मिलेगा। इस मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य हत्या का आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सीबीआइ अदालत इन साक्ष्यों की तारतम्यता को नहीं मिला सकी और इस वजह से उसका निष्कर्ष कानून की दृष्टि में सही नहीं माना जा सकता। 

    तीसरे शख्स से इन्कार नहीं

    कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ की विवेचना में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए। हाईकोर्ट कोर्ट ने बार-बार कहा कि सीबीआइ के पास अपनी कहानी साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं।

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    सीबीआइ की दलीलों से सहमत नहीं कोर्ट 

    तलवार दंपती के अधिवक्ता दिलीप कुमार का कहना था कि सीबीआइ के पास ऐसा कोई सीधा साक्ष्य नहीं जिससे हत्या का आरोप तलवार दंपती पर साबित हो सके। सीबीआइ ने तीसरे पक्ष की भी तलाश नहीं की। उधर सीबीआइ की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग खन्ना का कहना था कि जिस फ्लैट में हत्या हुई, उसका ताला बाहर से बंद था। ऊपर सीढ़ी का दरवाजा अंदर से बंद था और तलवार दंपती भी फ्लैट के अंदर थे। घर में प्रवेश का ऐसा कोई रास्ता नहीं था जिससे कोई तीसरा व्यक्ति घर में घुसकर बाहर जा सके। शक केवल तलवार दंपती पर ही जाता है कि इनके अलावा हत्या में किसी अन्य का हाथ नहीं था। कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना। 

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    यह था प्रकरण 

    15/16 मई 2008 की रात नोएडा के सेक्टर 25 में रहने वाले डा. राजेश तलवार की 14 वर्षीय बेटी आरुषि तलवार अपने कमरे में मृत पाई गई थी। दूसरे दिन उनके घरेलू नौकर हेमराज का शव उसी फ्लैट की छत पर पाया गया था। पुलिस की शुरुआती जांच में तलवार दंपती पर ही हत्या का संदेह जताया गया। 29 मई 2008 को इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई। सीबीआइ के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे लिहाजा 29 दिसंबर 2010 को क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई। 23 मई 2008 को पुलिस ने डा. राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया था। कोर्ट ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए अभियोजन चलाने का निर्णय लिया और नौ फरवरी 2011 को आरोप तय कर दिया। 18 महीने की सुनवाई के बाद गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट ने 25 नवंबर 2013 को डा. राजेश तलवार और डा. नूपुर तलवार को उम्र कैद की सजा सुनाई।