इंदिरा जयंती से कांग्रेस साधेगी पूर्वाचल की राजनीति, अानन्द भवन में तैयारियां जोरों पर
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 19 नवंबर को जयंती है। कांग्रेस आलाकमान ने इस जयंती को शताब्दी वर्ष के रूप मे मनाने का ऐलान किया है।

इलाहाबाद [संजय कुशवाहा]। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 19 नवंबर को जयंती है। कांग्रेस आलाकमान ने इस जयंती को शताब्दी वर्ष के रूप मे मनाने का ऐलान किया है। इसी हिसाब से तैयारी भी चल रही है। कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम के दम पर कांग्रेस पूर्वाचल की राजनीति पर निशाना साधने की तैयारी मे है।इलाहाबाद कभी कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन अब उसका अस्तित्व ही दांव पर लग गया है। शायद इसी अस्तित्व को बचाने के लिए पिछले साल देश के पहले प्रधानमत्री जवाहर लाल नेहरू की 125वी जयती को राष्ट्रीय पर्व के रूप मे मनाने की घोषणा की गई थी।
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इस साल दांव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर लगाया गया है। बीते फरवरी माह मे शहर पहुंची पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी द्वारा इंदिरा गांधी की जयंती को शक्ति दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा की गई थी। समारोह का केद्र बिंदु इलाहाबाद के आनंद भवन को बनाया गया है। इसके पीछे तमाम राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे है। कहा जा रहा है कि इंदिरा जयंती के नाम पर कांग्रेस इस बार पूर्वाचल सहित इलाहाबाद के अन्य पड़ोसी जिलो पर निशाना साध रही है।
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काशी प्रांत, बुंदेलखंड, बिठूर व अवध प्रांतो की करीब डेढ़ सौ सीटो को पार्टी साधने की कोशिश मे है। वैसे भी पूर्वाचल मे कभी कांग्रेस की तूती बोला करती थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा मिर्जापुर व उसके आसपास जिलो मे कराए गए विकास की कहानी औद्योगिक इकाइयो के रूप मे आज भी जीवित है। पंडित नेहरू इलाहाबाद के फूलपुर से दो बार सांसद भी रहे। पहला चुनाव 1952 व दूसरा 1957 मे जीता था। उस समय उनके यहां होने का असर पूर्वाचल व आसपास के इलाके पर साफ नजर आता था। वर्तमान समय मे इलाहाबाद मे भी कांग्रेस दूर-दूर तक नजर नही आ रही।
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यही कारण है कि पार्टी इंदिरा जयंती के नाम पर अपने पुराने गढ़ मे फिर से पांव जमाना चाहती है। यहां से उसकी नजर पूर्वाचल पर भी टिकी हुई है। इलाहाबाद के अन्य पड़ोसी इलाको बंुदेलखंड, प्रतापगढ़, कौशांबी, सुल्तानपुर, अमेठी, राय बरेली आदि जिलों मे भी इस कार्यक्रम का संदेश पहंुचाने की तैयारी है।
पूर्व शहर अध्यक्ष अभय अवस्थी बाबा कहते है कि इंदिरा गांधी की ताकत का लोहा पूरा विश्र्व मानता है। उन्होने देश को एक नई दिशा दी थी। अब एक बार फिर कांग्रेस उनके नाम का सहारा लेकर अपनी खोई जमीन हासिल करना चाहती है। कहाकि इलाहाबाद को केद्र बनाने से न सिर्फ पूर्वाचल बल्कि पूरे प्रदेश मे इसका फायदा मिलेगा।

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