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    रीता को लेकर सियासी ऊफान

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    Updated: Tue, 18 Oct 2016 01:00 AM (IST)

    जासं, इलाहाबाद : कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व लखनऊ कैंट से विधायक डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा

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    जासं, इलाहाबाद : कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता व लखनऊ कैंट से विधायक डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में शामिल होने की चर्चा से सियासी ऊफान खड़ा हो गया है। वहीं डॉ. जोशी के भाई शेखर बहुगुणा ने इस अफंवाह को सिरे से खारिज करते हुए साफ किया है कि अस्वस्थ होने के कारण चिकित्सकों ने उन्हें फुल बेड रेस्ट की सलाह दी है।

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    इधर, कांग्रेस के गढ़ व रीता जोशी के अपने शहर में जैसे ही भाजपा में जाने की चर्चा ने जोर पकड़ा, जितने मुंह, उतनी बातें शुरू हो गईं। कल क्या होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन न्यूज चैनलों में उनके भाजपा में जाने की खबर कांग्रेसियों में उत्सुकता का कारण जरूर बनी रही। कहा यहां तक जा रहा है कि दिल्ली में डॉ. रीता बहुगुणा जोशी और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह से उनकी मुलाकात भी हो चुकी है। अब अंतिम मुहर लगनी बाकी है। ऐसे तमाम कारण भी हैं जो इन अफवाहों को बल देते हैं। डॉ. जोशी के बड़े भाई व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पहले ही कमल के साथ हो लिए हैं। कांग्रेस हाईकमान से उनकी नाराजगी जगजाहिर है। कहा जा रहा है कि बड़े भाई के भाजपा में चले जाने के बाद से डॉ. रीता जोशी को तगड़ा झटका लगा। पार्टी के अंदर विरोधियों को भी एक बहाना मिला और पार्टी सुप्रीमों के कान भरे जाने लगे। उनके नजदीकियों की मानें तो पार्टी में कहीं न कहीं उनकी उपेक्षा हो रही है। यह भी एक बड़ा कारण बन सकता है उनके पार्टी छोड़ने का। पार्टी सूत्रों पर विश्वास करें तो एक बात और सुनने को मिल रही है कि डॉ. जोशी लखनऊ कैंट से चुनाव भी नहीं लड़ना चाहतीं, जबकि पार्टी उनको वहीं से टिकट देने के मूड में है। सिर्फ इतना ही नहीं उनके खुद के शहर इलाहाबाद में पिछले दिनों राहुल गांधी की किसान यात्रा में भी उनकी उपेक्षा की झलक देखने को मिली। किसान रथ पर डॉ. जोशी को चंद मिनट ही रहने का मौका मिला, जबकि कई अन्य नेता बराबर राहुल गांधी के साथ बने रहे। इसमें डॉ. रीता जोशी के प्रतिद्वंदी कहे जाने वाले एक बड़े नेता भी शामिल रहे। बहरहाल डॉ. जोशी कमल का दामन थामेंगी या नहीं, यह तो समय की बात है, लेकिन इस अफवाह ने पार्टी के भीतर ही एक ऊफान सा ला दिया है। माना जा रहा है कि अगर वह भाजपा ज्वाइन करती हैं तो कांग्रेस को यहां तगड़ा झटका लग सकता है। बता दें कि इससे पहले वर्ष 2004 में डा. रीता जोशी कांग्रेस छोड़कर सपा के टिकट पर सुल्तानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। वहीं इससे पहले मेयर के चुनाव में कांग्रेस के डा. रंजना बाजपेयी पर विश्वास जताने से नाराज डा. रीता जोशी पार्टी से विद्रोह कर चुकी हैं। रंजना के खिलाफ निर्दल उन्होंने प्रत्याशी के रूप में उतर मेयर की कुर्सी पर कब्जा जमाने में कामयाब रही थीं। हालांकि उस समय भी सपा ने ही उन्हें समर्थन दिया था।

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    न्यूज चैनल पर जो चल रहा है, उस पर हम कैसे विश्वास कर सकते हैं। अभी मैं इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कह सकता है। कोई बात सामने आएगी तो बोलूंगा।

    प्रमोद तिवारी, राज्य सभा सांसद

    अभी वह बीमार चल रही हैं। चिकित्सकों ने उन्हें तीन चार दिन बेड रेस्ट करने की सलाह दी है। वे दिल्ली में हैं। उन्होंने मुझसे भाजपा में जाने जैसे कोई बात नहीं की है। ऐसे में मैं क्या बता सकता हूं।

    शेखर बहुगुणा, डॉ. रीता के छोटे भाई