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एक और कैराना: बाबरी मंडी के सभी हिंदुओं का पलायन का एलान

अलीगढ़ की बाबरी मंडा में आए दिन गुंडागर्दी, छेड़छाड़, मारपीट और लूटपाट से सहम कर जीना दिनचर्या में शामिल है। पलायन का दौर बदस्तूर जारी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 09:14 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 11:06 AM (IST)

अलीगढ़ (जेएनएन)। चार दिन पहले बाबरी मंडी क्षेत्र में छेड़छाड़ की घटना के बाद पनपा आक्रोश आत्मसम्मान की खातिर वर्षों से धधक रही आग है। आए दिन गुंडागर्दी, छेड़छाड़, मारपीट और लूटपाट से सहम कर जीना यहां की दिनचर्या में शामिल है। पलायन का दौर बदस्तूर जारी है। ऐसे हालातों में हिंदू यहां अल्पसंख्यक हो गए हैं। बीते दस सालों में पचास लोगों के पलायन का आंकड़ा चौंकाने वाला है। दो साल में दो परिवार इस इलाके को छोड़कर सासनी गेट पहुंच चुके हैं। पुलिस-प्रशासन के दबाव में लोगों ने दुकानें भले ही खोल दी हों, लेकिन असुरक्षा के चलते वे यहां रहने को कतई तैयार नहीं है। आज साठ और परिवारों ने इलाका छोडऩे का एलान कर दिया है। अगर ऐसा हुआ तो यह इलाका हिंदू विहीन हो जाएगा। मुस्लिमों ने भी अपने मकानों को बेचने के लिए टांगे गए बोर्ड को महज पुलिस-प्रशासन पर दबाव बनाने का खेल माना जा रहा है।

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1971 में भड़की थी आग

लोगों के मुताबिक बाबरी मंडी में दंगे की सबसे पहली आग 1971 में भड़की थी। यहां एक समुदाय के लोगों ने हिंदुओं के 10 घरों को निशाना बनाकर लूटपाट की। महिलाओं की इज्जत पर भी हाथ डाला गया। वो हौलनाक मंजर प्रत्यक्षदर्शियों के अब भी रोंगटे खड़े कर देता है।

देवी जागरण में भी विवाद

करीब दो साल पहले नवरात्र पर्व के दौरान मोहल्ले के सय्यदपाड़ा में देवी जागरण चल रहा था, जिसका दूसरे समुदाय ने विरोध किया तो हालात बिगड़ गए। पुलिस ने भी आत्मसमर्पण कर देवी जागरण को बंद करा दिया था।


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